नवी मुंबई और जालना से आई दो खबरों ने मंगलवार को पूरे महाराष्ट्र को हिला दिया। नवी मुंबई में CIDCO रिश्वतखोरी के मामले में तीन कर्मचारियों और एक दलाल को एंटी-करप्शन ब्यूरो ने रंगे हाथ पकड़ा, जबकि जालना में एक धार्मिक जुलूस के दौरान भीड़ में घुसे डीजे वाहन ने 22-वर्षीय युवक की जान ले ली। दोनों घटनाएँ बताती हैं कि कानून-व्यवस्था और सार्वजनिक सुरक्षा के मोर्चे पर राज्य को अभी लंबी लड़ाई लड़नी है।
CIDCO में दबिश के बाद तीन कर्मचारी सलाखों के पीछे, दलाल भी पकड़ा गया
एंटी-करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को सूचना मिली थी कि सिडको के एक प्रोजेक्ट विभाग में पदस्थ कर्मचारी फाइल पास कराने के बदले दस लाख रुपये की माँग कर रहे हैं। शिकायतकर्ता छोटी रियल-एस्टेट फर्म चलाता है और उसकी बिल्डिंग योजना कई महीने से अटकी थी। एसीबी ने सोमवार देर रात जाल बिछाया। जैसे ही पाँच लाख रुपये की पहली किश्त कर्मचारी के हाथ में पहुँची, टीम ने दफ़्तर में छापा मारा और सभी को पकड़ लिया। एसीबी सूत्रों का कहना है कि पूरे नेटवर्क की जाँच होगी क्योंकि शक है कि ऊँचे स्तर तक पैसे का हिस्सा जाता था।
बचने की हर चाल हुई नाकाम, ऑफिस से निकलते ही लगी हथकड़ी
छापे के दौरान एक कर्मचारी ने घूस की रकम को फाइलों के ढेर में छिपाने की कोशिश की, जबकि दलाल ने मोबाइल से कुछ नंबर डिलीट करने का प्रयास किया। पर एसीबी टीम पहले से अलर्ट थी। छानबीन में नकद पाँच लाख, तीन मोबाइल और दो डायरी मिलीं जिनमें कथित लेन-देन का हिसाब लिखा है। अफसरों ने साफ किया कि फोरेंसिक टीम डिजिटल सबूत भी निकालेगी ताकि अदालत में पुख्ता केस बन सके।
काम रोकने के लिए माँगा दस लाख, सौदा पाँच पर तय
शिकायतकर्ता ने बताया, “मेरी फाइल छोटे-छोटे आपत्तियों के नाम पर रोकी जा रही थी। आखिरकार मुझे इशारा मिला कि बिना ‘चाय-पानी’ के मंजूरी मिलना मुश्किल है।” शुरुआती माँग दस लाख थी, लेकिन कई दौर की ‘मोलभाव’ के बाद पाँच लाख पर सौदा तय हुआ। यही किश्त एसीबी ने ट्रैप की। अब आरोपियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की कड़ी धाराएँ लगाई गई हैं। पुलिस रिमांड में उनसे यह भी पूछा जाएगा कि बीते दो साल में उन्होंने कितनी फाइलें पास कराईं और कितना पैसा वसूला।
कलेक्टर कोर्ट में पेशी के वक्त बढ़ा हंगामा
चारों आरोपियों को मंगलवार दोपहर कलेक्टर कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट के बाहर सिडको कर्मचारी संघ के कुछ लोग जुटे और गिरफ्तारी को “छवि खराब करने की साजिश” बताया। दूसरी ओर, स्थानीय व्यापार मंडल के सदस्यों ने सख्त सजा की माँग करते हुए नारेबाजी की। अदालत ने सभी को तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।
जालना धार्मिक जुलूस में घुसा डीजे वाहन, 22-वर्षीय युवक की मौत
उधर जालना के अंबड तहसील में गणेश विसर्जन के दौरान बुरा हादसा हुआ। रात करीब साढ़े दस बजे तेज़ आवाज में संगीत बजाता एक ट्रैक्टर-ट्रॉली अनियंत्रित होकर जुलूस में घुस गया। भीड़ में चल रहा 22-साल का सुरेश लोहार वाहन की चपेट में आ गया। मौके पर अफरा-तफरी मच गई। लोगों ने किसी तरह वाहन रोका, मगर तब तक सुरेश गंभीर रूप से घायल हो चुका था। अस्पताल ले जाते समय उसने दम तोड़ दिया।
शोक में बदला उत्सव, परिवार का रो-रो कर बुरा हाल
सुरेश परिवार का इकलौता बेटा था। उसके पिता छोटा सा कैंटीन चलाते हैं। हादसे के कुछ घंटे पहले ही सुरेश ने सोशल मीडिया पर जुलूस की फोटो डालकर लिखा था, “गणपति बाप्पा मोरया, अगले साल तू जल्दी आ।” मंगलवार सुबह जब उसका पार्थिव शरीर घर पहुँचा, मोहल्ले की गलियाँ सिसकियों से भर गईं। गणपति विसर्जन का रंगीन माहौल सिर्फ कुछ पलों में मातम में बदल गया।
पुलिस पर उठे सवाल: जुलूस मार्ग पर क्यों नहीं थी बैरिकेडिंग
घटना के बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस-प्रशासन पर उंगली उठाई। उनका कहना है कि हर साल भीड़ बढ़ रही है, फिर भी ट्रैफिक विभाग ने न ही बैरिकेडिंग की और न अतिरिक्त वॉलंटियर तैनात किए। पुलिस ने ड्राइवर को हिरासत में लिया है। शुरुआती जाँच में सामने आया कि वाहन का ब्रेक फेल हो गया था। ड्राइवर के पास वैध लाइसेंस तो है, पर वाहन के डीजे साउंड सेट-अप की अनुमति नहीं थी।
गैरकानूनी DJ वाहनों पर नकेल कसना वक्त की माँग
महाराष्ट्र में हर त्योहार पर तेज़ संगीत वाले वाहन सड़कों पर उतर आते हैं। सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बावजूद नियमों को ताक पर रखकर डीजे ट्रॉलियाँ घंटों तेज़ ध्वनि में बजती रहती हैं। परिवहन विभाग के रिकॉर्ड बताते हैं कि बीते दो वर्षों में सिर्फ जालना जिले में 180 से अधिक जाँच चलानी पड़ीं, पर सख्त कार्रवाई के अभाव में हालात नहीं बदले। हादसे के बाद जिलाधिकारी ने कहा, “खास अभियान चलाकर बिना अनुमति वाले DJ वाहनों के रजिस्ट्रेशन रद्द किए जाएंगे।”
एक ही दिन की दो घटनाएँ क्या संकेत देती हैं?
नवी मुंबई की रिश्वतखोरी और जालना की सड़क सुरक्षा—दोनों मसले अलग-अलग दिखते हैं, पर इनका मूल एक ही है: शासन-प्रशासन की सुस्ती। जब सरकारी दफ्तरों में फाइलें घूस के बिना नहीं चलतीं और सड़कों पर नियमों की धज्जियाँ उड़ती हैं, तब आम आदमी ही कीमत चुकाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भ्रष्टाचार और लापरवाही पर दिखावटी नहीं, लगातार कार्रवाई होनी चाहिए। तभी सिस्टम में भरोसा लौटेगा।
सरकार की चुनौतियाँ और आगे की राह
राज्य सरकार ने CIDCO रिश्वतकांड की विभागीय जाँच के आदेश दे दिए हैं। शहरी विकास मंत्री ने भरोसा दिलाया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और ई-फाइलिंग सिस्टम को मजबूती दी जाएगी ताकि मानवीय दखल कम हो। दूसरी ओर, गृह विभाग ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि त्योहारों के दौरान DJ वाहनों और जुलूस मार्गों की सुरक्षा पर विशेष प्लान बने। जनहित याचिका की तैयारी कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि यदि प्रशासन ने अब भी सबक नहीं लिया तो ऐसे हादसे रुकने वाले नहीं।
क्या बदलेगा सिस्टम?
मंगलवार की शाम तक ट्वीटर और स्थानीय चैनलों पर दोनों घटनाओं की भारी चर्चा रही। कई लोगों ने पूछा, “क्या सिर्फ गिरफ्तारी और निलंबन से व्यवस्था सुधर जाएगी?” सच यही है कि जब तक पारदर्शी प्रक्रियाएँ और सख्त निगरानी नहीं होगी, आरोपियों को सज़ा मिलने में सालों लग सकते हैं। फिर भी उम्मीद की जानी चाहिए कि जनता का दबाव और मीडिया की पैनी नजर कुछ तो बदलाव लाएगी।