Maharashtra : में रिश्तेदार ने सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी से 4 करोड़ की ठगी
महाराष्ट्र के पुणे जिले के दत्तावाड़ी में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी को उनके ही रिश्तेदार ने मिलिट्री इंटेलिजेंस ऑफिसर बनकर झांसा दिया और 38 करोड़ रुपये सरकार से मिलने का दावा किया। इस लालच में आकर अधिकारी ने अपनी बचत, कर्ज और संपत्ति बेचकर 4.06 करोड़ रुपये आरोपी को दे दिए। बाद में शिकायत दर्ज कराई गई और पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
महाराष्ट्र के पुणे जिले के दत्तावाड़ी इलाके में धोखाधड़ी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने आम लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि विश्वास का बंधन कैसे लालच में टूट सकता है। एक सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी को उनके ही रिश्तेदार ने मिलिट्री इंटेलिजेंस ऑफिसर बनकर इतना बड़ा झांसा दिया कि अधिकारी ने अपनी पूरी जिंदगी की कमाई, यहां तक कि कर्ज लेकर और संपत्ति बेचकर भी आरोपी के कहने पर पैसे दे दिए। आरोपी ने यह कहा कि उसके माध्यम से सरकार की ओर से एक बड़ा भुगतान आना है और उसकी मदद करने पर पीड़ित को अच्छी-खासी राशि मिलेगी।
रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी ने सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी को यह झांसा दिया कि मंत्रालय से उसका करीब 38 करोड़ रुपये का पेमेंट होना बाकी है। उसने दावा किया कि अगर पीड़ित उसकी मदद करेंगे तो उन्हें भी करोड़ों रुपये का फायदा होगा। इसी उम्मीद में पीड़ित ने करीब 4.06 करोड़ रुपये आरोपी को दे दिए। यह रकम उन्होंने न केवल अपनी जमा-पूंजी से बल्कि कर्ज लेकर और संपत्ति बेचकर भी जुटाई। मगर जब लंबे समय तक वादे पूरे नहीं हुए तो सच्चाई सामने आई और पता चला कि यह सब एक ठगी थी।
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ठग रिश्तेदार ने रचा पूरा खेल और दिखाया सरकारी पेमेंट का सपना
महाराष्ट्र के इस मामले में खास बात यह है कि आरोपी कोई बाहरी व्यक्ति नहीं बल्कि पीड़ित का रिश्तेदार है। रिश्ते का फायदा उठाते हुए उसने धोखाधड़ी की सारी जालसाजी खड़ी की। आरोपी ने खुद को सेना की खुफिया शाखा यानी मिलिट्री इंटेलिजेंस में बड़ा अधिकारी बताकर पीड़ित को प्रभावित किया। सरकारी मंत्रालयों से बड़े फंड और भुगतान के नाम पर उसने भरोसा जीत लिया।
उसने पीड़ित से कहा कि मंत्रालय से 38 करोड़ रुपये के भुगतान को जारी कराने के लिए कुछ खर्च लगेंगे। इन खर्चों को पूरा करने के लिए उसने बार-बार अलग-अलग बहानों से पैसे मांगे। कभी कागजों के नाम पर तो कभी फाइलों को मंजूरी दिलाने के नाम पर लाखों-करोड़ों लिये जाते रहे। पीड़ित को यह भरोसा था कि जब एक बड़ी रकम सरकार से जारी होगी तो उसका हिस्सा भी उन्हें मिलेगा। लेकिन समय बीतने के बाद कोई रकम नहीं आई और धीरे-धीरे ठगी का पूरा सच सामने आने लगा।
सेवानिवृत्त अधिकारी ने बचत, कर्ज और संपत्ति बेचकर दिए करोड़ों रुपये
इस ठगी ने दिखा दिया कि जब लालच और विश्वास मिल जाते हैं, तो इंसान अपनी सीमाओं से बहुत आगे तक भी चला जाता है। इस सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी ने पूरी जिंदगी की मेहनत की कमाई इस उम्मीद में लगा दी कि उन्हें भी करोड़ों रुपये हाथ लगेंगे। लेकिन यह सपने की तरह टूट गया। जानकारी के अनुसार, पीड़ित ने पहले अपनी बचत का उपयोग किया। जब रकम और मांगी गई तो उन्होंने बैंकों से कर्ज लिया। यही नहीं, परिवार की संपत्ति को भी बेच दिया गया ताकि आरोपी को पैसा दे सकें।
इतनी बड़ी रकम देने के बाद जब असलियत सामने आई तो न केवल पैसों का नुकसान हुआ बल्कि मानसिक और सामाजिक स्तर पर भी पीड़ित को गहरी चोट लगी। वह समझ ही नहीं सके कि रिश्तों के भरोसे पर खड़ा यह पूरा ताना-बाना एक झूठ और छलावा था। इस घटना ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि रिश्तेदारों के झूठे वादों पर आंख मूंदकर भरोसा करना कितना खतरनाक साबित हो सकता है।
पड़ताल के बाद खुला धोखे का मामला और दर्ज हुई शिकायत
जब लंबे इंतजार के बाद भी कोई सरकारी रकम नहीं आई और आरोपी के बहाने बढ़ते ही गए, तब पीड़ित को शक हुआ। उन्होंने आसपास जानकारी की और कुछ लोगों से राय ली। जांच के बाद यह स्पष्ट हो गया कि आरोपी का मिलिट्री इंटेलिजेंस से कोई संबंध नहीं है। मंत्रालय में किसी तरह का 38 करोड़ रुपये का भुगतान अटका नहीं है। यह सब महज एक साजिश थी, जिसमें करोड़ों रुपये ठगे जा चुके थे।
इसके बाद पीड़ित ने हिम्मत जुटाई और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत दर्ज होते ही पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू की। बताया जा रहा है कि आरोपी ने अच्छी तरह सोची-समझी जालसाजी से यह ठगी की थी और पीड़ित को लालच के जाल में फंसाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया। पुलिस अब आरोपी की तलाश कर रही है और इस पूरे रैकेट को समझने की कोशिश में लगी है।
समाज के लिए सीख और सतर्क रहने की सलाह
यह घटना केवल एक परिवार की नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। आज के समय में जहां ठग अलग-अलग तरीके खोज रहे हैं, वहां लोगों को सतर्क रहना बेहद जरूरी है। चाहे कोई रिश्तेदार ही क्यों न हो, लेकिन अगर वह असामान्य तरीके से बड़ी रकम मांग रहा है और जल्दी पैसे लौटाने या भारी मुनाफे का वादा कर रहा है, तो बिना ठोस साक्ष्यों के ऐसे मामलों में भरोसा बिलकुल नहीं करना चाहिए।
पुलिस और विशेषज्ञों का भी कहना है कि लोग लालच में आने से पहले दो बार सोचें। कोई भी सरकारी भुगतान इतनी आसानी से नहीं होता और उसकी जानकारी आम नागरिक से सीधे नहीं बांटी जाती। ऐसे मामलों में हमेशा दस्तावेजों, पहचान और प्रमाणों की जांच करनी चाहिए। अगर थोड़ी भी शंका हो तो तुरंत पुलिस या संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें।
इस दत्तावाड़ी ठगी की खबर ने यह साफ कर दिया है कि रिश्तेदारों के नाम पर भी धोखा हो सकता है। इसलिए समझदारी और सतर्कता ही एकमात्र उपाय है जिससे हम ऐसे अपराधों से बच सकते हैं।
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मेरा नाम खन्ना सैनी है। मैं एक समाचार लेखक और कंटेंट क्रिएटर हूँ, और वर्तमान में GC Shorts के साथ जुड़ा हूँ। मुझे समाज, संस्कृति, इतिहास और ताज़ा घटनाओं पर लिखना पसंद है। मेरा प्रयास रहता है कि मैं पाठकों तक सही, रोचक और प्रेरक जानकारी पहुँचा सकूँ।
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