आरक्षण पर राजनीति गरमाई, जरांगे बोले- अंतिम सांस तक लड़ाई जारी
मराठा आरक्षण आंदोलन मुंबई के आजाद मैदान में पांचवें दिन भी जारी है। मनोज जरांगे भूख हड़ताल पर डटे हैं, जबकि हाईकोर्ट ने सरकार से मंगलवार तक कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है।
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। मराठा आंदोलन के नेता मनोज जरांगे 29 अगस्त से मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं। मंगलवार को उन्होंने साफ कहा – “हम सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होतीं, तब तक आजाद मैदान नहीं छोड़ेंगे, चाहे जान भी चली जाए।”
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पुलिस और कोर्ट की सख्ती
मुंबई पुलिस ने जरांगे और उनके समर्थकों को मैदान खाली करने का नोटिस जारी किया है।
आरोप है कि आंदोलनकारियों ने बॉम्बे हाईकोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया।
चौथे दिन प्रदर्शनकारियों ने CSMT रेलवे स्टेशन परिसर में खेलकूद कर ट्रैफिक जाम कर दिया था। यहां तक कि हाईकोर्ट के जज भी फंस गए और पैदल कोर्ट पहुंचे।इसके बाद कोर्ट ने सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की और मंगलवार तक सड़कों को खाली कराने का आदेश दिया।
जरांगे का स्वास्थ्य बिगड़ा, पानी भी छोड़ा
आंदोलन का आज पांचवां दिन है।
सोमवार से जरांगे ने पानी पीना भी बंद कर दिया है।
आज सुबह डॉक्टरों की टीम ने उनका चेकअप किया।
सरकार की पहल हैदराबाद गजेटियर लागू करने पर सहमति
मराठा आरक्षण उप-समिति के अध्यक्ष राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा कि सरकार ने हैदराबाद गजेटियर लागू करने पर सहमति जताई है।
ग्राम स्तर पर समितियां बनाई जाएंगी, जो कुनबी आबादी का डेटा जुटाकर प्रमाणपत्र जारी करेंगी।
मराठा आंदोलन से जुड़े 5 लाख से कम क्षति वाले केस वापस लेने की प्रक्रिया भी तेज हो गई है।
विवाद की जड़ मराठा बनाम ओबीसी आरक्षण
जरांगे की मुख्य मांग है कि मराठा समाज को कुनबी जाति मानकर OBC आरक्षण दिया जाए।
लेकिन सरकार और ओबीसी नेता मानते हैं कि:
मराठा समाज पहले से ही सामाजिक रूप से मजबूत है।
उन्हें OBC में शामिल करने से छोटी-पिछड़ी जातियों का हिस्सा प्रभावित होगा।
सुप्रीम कोर्ट पहले ही 50% आरक्षण की सीमा से ऊपर जाने पर रोक लगा चुका है।
आंदोलन का इतिहास
29 अगस्त 2023: जालना में पहली भूख हड़ताल।
अब तक यह उनका 7वां अनशन है।
फरवरी 2024: महाराष्ट्र सरकार ने मराठों के लिए 10% आरक्षण देने वाला कानून पारित किया।
26 फरवरी 2024 से यह कानून लागू हुआ और 17 हजार पुलिस पदों की भर्ती में आरक्षण दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट (2021) ने मराठा आरक्षण रद्द कर दिया था, क्योंकि यह 50% की सीमा का उल्लंघन करता था।
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