आज के समय में मुर्गों की लड़ाई सिर्फ अरब देशों तक सीमित नहीं रह गई है। अब भारत के कई हिस्सों में भी यह खेल तेजी से फैल रहा है। हाल ही में राजस्थान के भिवाड़ी इलाके में एक बड़ा मामला सामने आया है जहां मुर्गों के दंगल पर लाखों रुपए का सट्टा लगाया जा रहा था।
अरब देशों से भारत तक पहुंचा यह खेल
पाकिस्तान, अफगानिस्तान और सऊदी अरब जैसे देशों में मुर्गों की लड़ाई एक पुराना खेल है। वहां लोग इन लड़ाइयों को देखने के लिए भारी भीड़ में जुटते हैं। धीरे-धीरे यह जुआ खेलने का तरीका भी बन गया है। लोग अपने पसंदीदा मुर्गे पर दांव लगाते हैं और बड़ी मात्रा में पैसा कमाते या गंवाते हैं।
अब यही प्रथा भारत में भी पैर पसार रही है। खासकर उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में यह तेजी से बढ़ रहा है। लोग इसे मनोरंजन का साधन मानकर शुरू करते हैं लेकिन बाद में यह सट्टा बाजी का रूप ले लेता है।
मेवात में हुई बड़ी कार्रवाई
राजस्थान के मेवात इलाके में पुलिस को खबर मिली कि एक जगह बड़े पैमाने पर मुर्गों का दंगल हो रहा है। यहां सैकड़ों लोग जमा होकर इन लड़ाइयों को देख रहे थे और भारी मात्रा में पैसे का लेनदेन हो रहा था।
पुलिस की टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इस अवैध गतिविधि पर रोक लगाई। छापेमारी के दौरान 11 बाइक और 7 कारें जब्त की गईं। इससे पता चलता है कि यहां काफी बड़ी संख्या में लोग आए हुए थे।
कैसे होता है यह खेल
मुर्गों की लड़ाई में खासतौर से तैयार किए गए मुर्गे भाग लेते हैं। इन मुर्गों को महीनों तक ट्रेनिंग दी जाती है। उनका खाना-पीना और देखभाल बिल्कुल वैसे ही की जाती है जैसे किसी एथलीट की होती है।
लड़ाई के दिन दो मुर्गों को एक छोटे से घेरे में छोड़ा जाता है। वे आपस में लड़ते हैं और जो मुर्गा पहले हार मान लेता है या भाग जाता है, वह हार जाता है। इस दौरान दर्शक अपने-अपने मुर्गे पर दांव लगाते हैं।
लाखों रुपए का सट्टा
मेवात के मामले में पुलिस को पता चला कि यहां लाखों रुपए का सट्टा लगाया जा रहा था। एक ही लड़ाई में कई लोग हजारों रुपए का दांव लगा रहे थे। कुछ लोगों ने तो 50-50 हजार रुपए तक की रकम लगाई थी।
यह जुआ खेलना भारतीय कानून के मुताबिक गैरकानूनी है। फिर भी लोग इसे छुपकर करते रहते हैं क्योंकि इसमें तुरंत बड़ा पैसा मिलने का मौका होता है।
समाज पर बुरे प्रभाव
ऐसी गतिविधियों का समाज पर बहुत बुरा असर होता है। पहले तो लोग मनोरंजन के लिए आते हैं लेकिन धीरे-धीरे इसकी लत लग जाती है। कई लोग अपना घर-बार तक बेच देते हैं।
इससे परिवारों में झगड़े होते हैं। बच्चों की पढ़ाई का पैसा तक इसमें लग जाता है। कुछ लोग कर्ज लेकर भी सट्टा लगाते हैं और बाद में मुसीबत में फंस जाते हैं।
पुलिस की चुनौती
पुलिस के लिए ऐसे मामलों को पकड़ना आसान नहीं होता। ये लोग अक्सर शहर से दूर खुले मैदानों या जंगलों में इन कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। साथ ही चारों तरफ नजर रखने वाले लोग बिठाते हैं।
फिर भी पुलिस की कड़ी नजर से ऐसी गतिविधियों को रोकने की कोशिश की जाती है। मेवात की कार्रवाई इसी का एक उदाहरण है।
कानूनी पहलू
भारत में जुआ खेलना और इस तरह की सट्टेबाजी गैरकानूनी है। इसके तहत जुर्माना और जेल दोनों की सजा हो सकती है। जो लोग इसमें शामिल होते हैं उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।
इसके अलावा जानवरों के साथ क्रूरता भी एक अलग अपराध है। मुर्गों को लड़वाना भी इसी श्रेणी में आता है।
समाधान की दिशा
इस समस्या से निपटने के लिए सिर्फ पुलिसिया कार्रवाई काफी नहीं है। लोगों को इसके नुकसान के बारे में जागरूक करना जरूरी है। समाज के बुजुर्गों और धार्मिक नेताओं को इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
साथ ही युवाओं के लिए बेहतर मनोरंजन के साधन उपलब्ध कराने होंगे ताकि वे इस तरह की गलत गतिविधियों में न फंसें।
POLL ✦
मुर्गों की लड़ाई पर जुआ: क्या है समाधान?
Khanna Saini
मेरा नाम खन्ना सैनी है। मैं एक समाचार लेखक और कंटेंट क्रिएटर हूँ, और वर्तमान में GC Shorts के साथ जुड़ा हूँ। मुझे समाज, संस्कृति, इतिहास और ताज़ा घटनाओं पर लिखना पसंद है। मेरा प्रयास रहता है कि मैं पाठकों तक सही, रोचक और प्रेरक जानकारी पहुँचा सकूँ।