दक्षिण सिनेमा में सुपरहीरो का दौर जारी है, और इस बार तेजा सज्जा एक पौराणिक काल्पनिक फ़िल्म मिराई के साथ वापसी कर रहे हैं। कार्तिक गट्टामनेनी द्वारा निर्देशित, यह फ़िल्म सम्राट अशोक के काल से प्रेरणा लेती है और एक ऐसी दुनिया रचती है जहाँ पवित्र ग्रंथों में अकल्पनीय शक्ति निहित है। चमकते हथियारों, विशाल युद्धों और भावनात्मक मोड़ों के साथ, मिराई दर्शकों को मनोरंजन और दिल दोनों देने की कोशिश करती है। लेकिन यह कितनी सफल होती है?और सवाल ये भी है कि क्या यह फिल्म दर्शकों का पूरा मनोरंजन कर पाती है?
कहानी
फिल्म की शुरुआत एक पौराणिक-भविष्यवादी दुनिया से होती है। यहाँ सम्राट अशोक के समय बनाए गए नौ पवित्र शास्त्र मौजूद हैं, जिनमें साधारण इंसानों को देवता बनाने की ताकत है। इन्हें हासिल करने के लिए ब्लैक स्वॉर्ड क्लान (जिसका नेतृत्व मंचू मनोज कर रहे हैं) बुराई की राह पर उतर आता है।
इनके सामने आते हैं सुपर योद्धा (तेजा सज्जा) – जिन्हें इन शास्त्रों की रक्षा की जिम्मेदारी मिली है। उनके हाथ में है दिव्य शक्ति से चमकती मिराई स्टाफ।
कहानी के शुरुआती हिस्से में सुपर योद्धा अपने कर्तव्य और शक्ति को लेकर असमंजस में रहते हैं। क्या वे सच में देवता जैसी ताकत संभाल पाएंगे? उनकी मां अंबिका (श्रीया सरन) इस दुविधा में भावनात्मक सहारा बनती हैं। वहीं, विभा (ऋतिका नायक) उनके साथ खड़ी होती हैं लेकिन सवाल भी उठाती हैं कि क्या इतनी ताकत का इस्तेमाल विनाश के लिए होना चाहिए?
फिल्म का सबसे बड़ा आकर्षण है ट्रेन ऐक्शन सीक्वेंस। इसमें सुपर योद्धा को दौड़ती ट्रेन पर मौजूद शास्त्र को ब्लैक स्वॉर्ड क्लान से बचाना होता है। एक्शन, स्टंट और वीएफएक्स इस हिस्से को खास बनाते हैं।
क्लाइमैक्स में सुपर योद्धा अपनी पूरी ताकत एक खंडहर बने मंदिर नगर में दिखाते हैं, जहां बुराई की आखिरी लड़ाई होती है। यहां कई ट्विस्ट और सरप्राइज भी हैं।
पॉज़िटिव पहलू
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है इसका विजुअल स्केल। करीब 60 करोड़ रुपये के बजट और बड़े स्तर पर किए गए वीएफएक्स कामयाब साबित होते हैं।
निर्देशक-छायाकार कार्तिक गट्टमनेनी का प्रोडक्शन डिज़ाइन फिल्म को भव्य बनाता है।
मां और बेटे का भावनात्मक रिश्ता फिल्म को गहराई देता है। श्रीया सरन का किरदार इसे मजबूती से संभालता है।
कमियां
फिल्म की लंबाई लगभग 165 मिनट है, जिसकी वजह से कहीं-कहीं गति धीमी महसूस होती है।
सुपर योद्धा का किरदार कई जगहों पर पहले से देखे गए सुपरहीरो ट्रॉप्स से मिलता-जुलता है, जिससे मौलिकता कम लगती है।
खलनायक के रूप में मंचू मनोज प्रभावशाली तो हैं लेकिन उनका डर हमेशा स्थिर नहीं रहता।
अभिनय और निर्देशन
तेजा सज्जा ने सुपर योद्धा का किरदार आत्मविश्वास से निभाया है। उनकी यात्रा – संदेह से लेकर दृढ़ नायक बनने तक – विश्वसनीय लगती है।
श्रीया सरन (अंबिका) भावनात्मक गहराई लाती हैं और बेटे की प्रेरणा बनती हैं।
ऋतिका नायक (विभा) अपने किरदार में गरिमा और मजबूती दिखाती हैं।
मंचू मनोज खलनायक के तौर पर दमदार मौजूदगी रखते हैं।
निर्देशक कार्तिक गट्टमनेनी की महत्वाकांक्षा फिल्म के हर फ्रेम में नजर आती है। इतनी बड़ी पैन-इंडिया फैंटेसी फिल्म बनाना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने विजुअल स्केल और बड़े दृश्यों को बखूबी संभाला है। हालांकि, कभी-कभी फिल्म का भव्य रूप इसकी आत्मा पर भारी पड़ता है।
मिराई तेलुगु सिनेमा के लिए साहसिक कदम है। विजुअल इफेक्ट्स, भव्य सेट, ट्रेन ऐक्शन सीन और तेजा सज्जा का प्रदर्शन इसे खास बनाते हैं। हालांकि लंबाई और कुछ क्लिशे पलों के कारण यह परफेक्ट फिल्म नहीं बन पाती, लेकिन सुपरहीरो और पौराणिक कहानियों के प्रशंसकों को यह अनुभव जरूर पसंद आएगा।