ASEAN Summit: पीएम मोदी का वर्चुअल संबोधन आसियान 2025 में भारत की एक्ट ईस्ट नीति पर जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मलयेशिया में 22वें आसियान शिखर सम्मेलन 2025 में वर्चुअल माध्यम से संबोधन किया, जिसमें उन्होंने भारत की एक्ट ईस्ट नीति को मुख्य स्तंभ बताया। उन्होंने आसियान देशों के साथ बढ़ते सहयोग, व्यापार, शिक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में साझेदारी, डिजिटल समावेशन और सतत विकास पर जोर दिया। पीएम मोदी ने दोनों पक्षों के मजबूत संबंधों और आपसी सहयोग के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह नीति भारत की विदेश नीति और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मलयेशिया में आयोजित 22वें आसियान शिखर सम्मेलन 2025 को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने आसियान भारत की एक्ट ईस्ट नीति का मुख्य स्तंभ बताया और दोनों पक्षों के मजबूत संबंधों पर विस्तार से बात की। सम्मेलन का मुख्य विषय “समावेशीपन और स्थिरता” रखा गया था, जिसकी झलक पीएम मोदी के वक्तव्य में भी दिखाई दी।
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क्या है एक्ट ईस्ट नीति और इसका महत्व
भारत की एक्ट ईस्ट नीति, देश की विदेश नीति की महत्वपूर्ण कड़ी मानी जाती है। पीएम मोदी ने बताया कि आसियान भारत की एक्ट ईस्ट नीति का मुख्य स्तंभ है क्योंकि देश एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मजबूत आर्थिक और रणनीतिक भागीदारी चाहता है। एक्ट ईस्ट नीति से भारत को आसियान देशों के साथ व्यापार, सुरक्षा, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में बहुत सहयोग मिला है।
सम्मेलन में भारत के योगदान की प्रशंसा
इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और आसियान की साझेदारी पूर्वी एशिया की शांति, सुरक्षा और विकास के लिए जरूरी है। उन्होंने इस मंच पर यह विश्वास दोहराया कि भारत आने वाले वर्षों में भी आसियान भारत की एक्ट ईस्ट नीति का मुख्य स्तंभ बनी रहेगी। क्षेत्रीय चुनौतियों जैसे खाद्य सुरक्षा, सप्लाई चेन और डिजिटल समावेशन पर भी ध्यान दिया गया।
आसियान देशों के साथ संबंधों में नई मजबूती
पिछले कुछ वर्षों में भारत और आसियान देशों के बीच सहयोग तेज़ी से बढ़ा है। पीएम मोदी ने बताया कि भारत हमेशा क्षेत्रीय मित्रता और सहयोग को प्राथमिकता देता आया है। शिक्षा, ऊर्जा, आपदा प्रबंधन और समावेशी विकास के क्षेत्र में इन देशों के योगदान की प्रमुखता को अनुमति दी गई है।
सम्मलेन का विषय: समावेशी विकास और स्थिरता
इस वर्ष के शिखर सम्मेलन का विषय 'समावेशीपन और स्थिरता' था। प्रधानमंत्री ने कहा कि आसियान भारत की एक्ट ईस्ट नीति का मुख्य स्तंभ है, इसलिए भारत हर क्षेत्र में सहभागिता बढ़ाने पर जोर दे रहा है। उन्होंने बताया कि भारत और आसियान देश मिलकर डिजिटल तकनीक, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास जैसे मुद्दों पर एक-दूसरे से सहयोग कर रहे हैं।
बढ़ता व्यापार और आपसी सहयोग
आसियान और भारत के बीच व्यापार लगातार बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि व्यापार, निवेश, तकनीक और युवा कार्यक्रमों में दोनों पक्षों के बीच भरोसा मजबूत हुआ है। ऐसे कार्यक्रमों से क्षेत्र के युवाओं को नए अवसर मिलते हैं और उनकी प्रतिभा का उचित विकास हो पाता है।
आपातकालीन परिस्थिति में एक-दूसरे की मदद
कोविड-19 महामारी के दौरान भी भारत और आसियान देशों ने एक-दूसरे की मदद की। प्रधानमंत्री ने इस आपसी सहयोग के लिए आसियान देशों का आभार जताया और आश्वासन दिया कि भविष्य में भी आपातकाल या संकट के समय भारत हमेशा साथी देशों के साथ रहेगा।
भारत के लिए भविष्य की राह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले नेताओं को विश्वास दिलाया कि आसियान भारत की एक्ट ईस्ट नीति का मुख्य स्तंभ बना रहेगा। उन्होंने कहा, भारत की विदेश नीति का ध्यान सभी पड़ोसी देशों और रणनीतिक महत्वपूर्ण भागीदारों के साथ गहरे और स्थायी संबंधों पर केंद्रित है।
मलयेशिया में आयोजित इस सम्मेलन में भारत और आसियान देशों के बीच पुरानी दोस्ती को और मजबूत किया गया है। प्रधानमंत्री के मुताबिक, पड़ोसी देशों के साथ मजबूत संचार और समझदारी ही असली विकास का रास्ता है। आसियान भारत की एक्ट ईस्ट नीति का मुख्य स्तंभ है, और यह नीति आने वाले समय में भारत के विकास और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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