मोरक्को में इस समय युवाओं का एक बड़ा प्रदर्शन चल रहा है। इस आंदोलन को जेन-जी 212 का नाम दिया गया है। यह नाम मोरक्को के अंतरराष्ट्रीय डायलिंग कोड 212 से लिया गया है। पिछले आठ दिनों से देश के कई शहरों में युवाओं ने सरकार के खिलाफ़ आवाज़ उठाई है।
क्यों शुरू हुआ यह विरोध प्रदर्शन और कैसे फैला पूरे देश में
यह आंदोलन 27 सितंबर 2025 को शुरू हुआ था। शुरुआत में सिर्फ़ दस शहरों में प्रदर्शन हुए थे लेकिन अब यह पूरे देश में फैल गया है। युवाओं का कहना है कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा पर पैसा खर्च नहीं कर रही। लेकिन 2030 के फुटबॉल वर्ल्ड कप के लिए अरबों डॉलर खर्च कर रही है। अगाडिर शहर में कई गर्भवती महिलाओं की मौत हो गई थी। यह घटना इस आंदोलन की मुख्य वजह बनी।
प्रदर्शनकारी कहते हैं कि जब तक नए स्टेडियम बन रहे हैं, तब तक अस्पतालों में बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। स्कूलों में भी ठीक से पढ़ाई नहीं हो रही। युवाओं में बेरोज़गारी बढ़ती जा रही है। देश में 36 प्रतिशत युवा बेरोज़गार हैं।
डिजिटल माध्यमों से संगठित होने वाला यह अनोखा आंदोलन
जेन-जी 212 आंदोलन का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि इसका कोई नेता नहीं है। यह पूरी तरह से सोशल मीडिया के ज़रिये चल रहा है। डिस्कॉर्ड, टिकटॉक, इंस्टाग्राम और फ़ेसबुक पर युवा अपनी बातें करते हैं। फिर वोट डालकर तय करते हैं कि कहां प्रदर्शन करना है।
इस आंदोलन में अब तक 1 लाख 80 हज़ार से ज़्यादा लोग जुड़े हैं। यह सभी अलग-अलग शहरों में अपने प्रदर्शन खुद ही तय करते हैं। किसी राजनीतिक पार्टी या यूनियन का इससे कोई लेना-देना नहीं है। यही वजह है कि सरकार को समझ नहीं आ रहा कि किससे बात करे।
हिंसा और गिरफ़्तारियां
हालांकि यह आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुआ था, लेकिन कुछ जगहों पर हिंसा भी हुई है। अगाडिर के पास लकलिया में तीन युवाओं की मौत हो गई। पुलिस का कहना है कि ये लोग हथियार चुराने की कोशिश कर रहे थे। 200 लोगों ने एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया था।
अब तक हज़ारों प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 263 पुलिसकर्मी और 23 आम लोग घायल हुए हैं। 17 शहरों में प्रदर्शन हुए हैं।
क्या हैं युवाओं की मुख्य मांगें और सरकार कैसे दे रही प्रतिक्रिया
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार है। वे चाहते हैं कि शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाया जाए। भ्रष्टाचार कम किया जाए। सरकार अपनी प्राथमिकताएं बदले। युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर पैदा करे।
शुरुआत में युवाओं ने प्रधानमंत्री अज़ीज़ अखन्नौच की सरकार को हटाने की मांग भी की थी। लेकिन बाद में वे इस मांग से पीछे हट गए। अब वे सिर्फ़ सुधारों की बात कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री अखन्नौच ने कहा है कि सरकार युवाओं की बात सुनने को तैयार है। उन्होंने कहा कि सरकार बातचीत और चर्चा के लिए खुली है। लेकिन साथ ही उन्होंने चेतावनी भी दी है कि तोड़फोड़ करने वालों के साथ सख्ती से निपटा जाएगा।
देश की वर्तमान स्थिति
मोरक्को में इस समय बेरोज़गारी एक बड़ी समस्या है। देश में कुल बेरोज़गारी दर 12.8 प्रतिशत है। युवाओं में यह दर 35.8 प्रतिशत तक पहुंच गई है। पढ़े-लिखे लोगों में भी 19 प्रतिशत बेरोज़गार हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मोरक्को में प्रति 10 हज़ार लोगों पर आठ से भी कम डॉक्टर हैं। जबकि मानक 25 डॉक्टर होने चाहिए। अस्पतालों में भीड़ रहती है। दूरदराज़ के इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत कम हैं।
फुटबॉल वर्ल्ड कप बनाम जनता की ज़रूरतें
मोरक्को 2030 में स्पेन और पुर्तगाल के साथ मिलकर फुटबॉल वर्ल्ड कप की मेज़बानी करेगा। इसके लिए सरकार 35 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बना रही है। दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनाया जा रहा है। इसमें 1 लाख 15 हज़ार लोग बैठ सकेंगे।
लेकिन युवाओं का कहना है कि इससे पहले अस्पताल और स्कूल बनाने चाहिए। वे कहते हैं कि स्टेडियम दिखने में अच्छे लगते हैं लेकिन आम लोगों की ज़रूरतें पूरी नहीं हो रहीं।
आगे क्या होगा
विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंदोलन मोरक्को की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। 2026 में देश में चुनाव होने हैं। सरकार को अब अपनी नीतियों में बदलाव करना पड़ सकता है।
हालांकि यह आंदोलन नेपाल की तरह सरकार गिराने तक नहीं पहुंचेगा, लेकिन यह एक चेतावनी ज़रूर है। यह साफ़ कर देता है कि युवाओं और सरकार के बीच गहरी खाई है। डिजिटल माध्यमों से जुड़े आज के युवा अपनी आवाज़ उठाने से नहीं हिचकिचाते।
अब देखना यह है कि मोरक्को की सरकार इस स्थिति को कैसे संभालती है। क्या वह युवाओं की बातें सुनकर अपनी प्राथमिकताएं बदलेगी या फिर सिर्फ़ वादे करके काम चलाने की कोशिश करेगी। इस आंदोलन ने एक बात साफ़ कर दी है कि आज की युवा पीढ़ी बदलाव चाहती है और उसके लिए सड़कों पर उतरने को भी तैयार है।
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