दिवाली का त्योहार रोशनी और मीठेपन का मेल है। ऐसे में मोतीचूर के लड्डू का स्वाद घर–घर में घुल जाता है। इस मिठाई की लोकप्रियता की वजह सिर्फ इसका मीठा स्वाद नहीं, बल्कि इसका रंग, मुलायम बनावट और छोटे–छोटे मोती जैसे दाने हैं। चाहे बच्चे हों या बुजुर्ग, सबको ये लड्डू बड़े चाव से पसंद आते हैं। हर खास मौके पर, रिश्तेदारों की थाली में या पूजा के प्रसाद में सबसे पहले मोतीचूर के लड्डू ही रखे जाते हैं।
बहुत पुरानी है मोतीचूर लड्डू की कहानी
मोतीचूर के लड्डू का नाम सुनते ही भारत के पुराने किस्से और कहानियाँ याद आ जाती हैं। कहा जाता है, इस लड्डू की खोज उत्तर भारत में हुई थी। पुराने जमाने में राजा-महाराजा भी इसे राजा भोज या खास त्योहारों पर भेजते थे। मोती जैसे महीन दाने और उनमें डूबी घी–शक्कर की परत ने इसे राजसी मिठाई बना डाला।
धीरे-धीरे इसकी प्रसिद्धि पूरे देश में फैल गई। आज चाहे उत्तर भारत हो, महाराष्ट्र, राजस्थान या दक्षिण भारत, मोतीचूर के लड्डू हर छोटी-बड़ी पूजा, शादी-ब्याह या त्योहार में अपनी खास जगह रखते हैं। भारत के बाहर भी, जहां-जहां भारतीय संस्कृति गई, वहां ये मिठाई खास बन गई।
मोतीचूर के लड्डू बनाने का आसान तरीका
आमतौर पर बाजार से लड्डू खरीदे जाते हैं, मगर घर में बनाए गये मोतीचूर के लड्डू का स्वाद कुछ और ही होता है। आइए एकदम आसान भाषा में लड्डू बनाने की विधि जानें, ताकि पहली बार बनाने वाला भी समझ सके।
सबसे पहले बेसन लें और उसे अच्छे से छलनी से छान लें, ताकि उसमें गठान न रहे। अब इसमें थोड़ा पानी डालकर पतला घोल बना लें। फिर एक कड़ाही में घी गरम करें। अब चमचे या जार की मदद से इस घोल को कड़ाही में डालें—इससे गोल-गोल छोटे दाने बनेंगे जिन्हें बूंदी कहते हैं।
बूंदी को हल्का सुनहरा होने तक तलें। अब चाशनी बनाने के लिए अलग भगौने में चीनी और पानी को उबालें, जब तक उसमें तार आने लगे। जब चाशनी तैयार हो जाए, तो तली हुई बूंदी उसमें डालकर अच्छे से मिलाएं।
अब इसमें थोड़ा सा इलायची पाउडर और छोटा सा पीला रंग मिला दें। कुछ लोग इसमें थोड़े से सूखे मेवे और घी भी डालते हैं, जिससे इसका स्वाद और खुशबू बढ़ जाता है। चाशनी में डूबी बूंदी को हाथ में लेकर गोल-गोल लड्डू बना लें। इन्हें थोड़ी देर खुले रहने दें, फिर प्लेट में सजाकर परिवार या मेहमानों को परोसें।
हर घर की यादों में बसा है मोतीचूर लड्डू
बचपन में त्योहारों पर दादी–नानी के हाथ से बने मोतीचूर के लड्डू की मिठास आज भी जबान पर है। बच्चों की जेब में चुपचाप रख दिए गए लड्डू, या पूजा के थाल से चुराए गए मोटे–मोटे मोतीचूर लड्डू, त्योहार की असली रौनक इन्हीं में है। आज भी ये मिठाई सबको फिर से बच्चों जैसा बना देती है।
भारत के किसी भी त्योहार की शान है मोतीचूर लड्डू
मोतीचूर के लड्डू सिर्फ दिवाली की डिश नहीं रहे, बल्कि हर रिश्ते, हर त्योहार और खुशी के मौके की पहचान बन गए हैं। गणेश पूजा, शादी, नामकरण हो या फिर घर की कोई छोटी-सी खुशखबरी—इन लड्डुओं के बिना कोई रस्म पूरी होती ही नहीं। इन्हें बनाकर दोस्तों और परिजनों के साथ खुशियाँ बांटें और अपने घर को प्यार, मिठास और अपनापन दें।
अगर इस दिवाली आप अपने परिवार को स्पेशल महसूस कराना चाहते हैं, तो घर पर बने मोतीचूर के लड्डू जरूर ट्राई करें। ये स्वाद, खुशबू और अपनापन आपके घर की रौनक को दोगुना कर देंगे। इस मिठाई की खास बात यह है कि इसे बनाना आसान है और इसका स्वाद हर किसी को पसंद आता है। त्योहार की रात को अपने हाथों से बने लड्डुओं की भीनी खुशबू हर रिश्ते में मिठास भर देगी।
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मोतीचूर लड्डू की लोकप्रियता का मुख्य कारण क्या है?
Ragini Sharma
रागिनी शर्मा खाने-पीने की शौकीन और स्वाद की खोज में हमेशा नई रेसिपी आज़माने वाली एक भावनात्मक लेखिका हैं। देसी घरों की पुरानी खुशबू से लेकर मॉडर्न किचन की नई तकनीकों तक, उन्हें हर स्वाद में एक कहानी मिलती है। उनके लेखों में सिर्फ पकवान नहीं, बल्कि घर की रसोई की वो गर्माहट झलकती है जो परिवार को जोड़ती है।