डबल मोनोरेल हादसा घंटों तक मौत के साये में रहे यात्री

मुंबई में भारी बारिश के बीच दो मोनोरेल हादसे ने यात्रियों की जान सांसत में डाल दी। 700 से ज़्यादा लोग घंटों तक फंसे रहे, बचाव दल ने अभियान चलाकर सबको सुरक्षित निकाला।

डबल मोनोरेल हादसा घंटों तक मौत के साये में रहे यात्री

मुंबई मोनोरेल हादसा भारी बारिश और भीड़ के बीच चला बड़ा बचाव अभियान

मुंबई, 20 अगस्त 2025 – भारी बारिश और अव्यवस्थित यातायात के बीच मंगलवार शाम मुंबई मोनोरेल सेवा में बड़ा हादसा टल गया। चेंबूर और वडाला के बीच दो मोनोरेल ट्रेनें अचानक रुक गईं, जिनमें सवार 700 से ज़्यादा यात्री घंटों तक फंसे रहे। दमकल, पुलिस और बचाव दल की संयुक्त कार्रवाई ने इन सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया।

मंगलवार शाम पहली मोनोरेल अचानक चेंबूर के मैसूर कॉलोनी और भक्ति पार्क के बीच रुक गई। इसमें करीब 582 यात्री सवार थे। मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) के अनुसार, ट्रेन में ज्यादा भीड़ होने के कारण बिजली सप्लाई फेल हो गई। ट्रेन ने अपनी क्षमता से कहीं अधिक वजन उठा रखा था।बिजली गुल होते ही एयर कंडीशनिंग बंद हो गया और डिब्बों में यात्रियों को घुटन महसूस होने लगी। कई लोग बेचैन हो गए। तत्काल पुलिस और दमकल विभाग मौके पर पहुँचे। तीन हाइड्रोलिक सीढ़ियों की मदद से यात्रियों को टूटी खिड़कियों और दरवाज़ों से बाहर निकाला गया।करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद सभी यात्री सुरक्षित बाहर निकाल लिए गए। 23 यात्रियों को सांस लेने में दिक़्क़त हुई थी, लेकिन मौके पर ही उन्हें चिकित्सा सहायता दी गई।

पहली मोनोरेल फँसने की अफरातफरी थमी भी नहीं थी कि थोड़ी ही देर बाद एक और मोनोरेल तकनीकी खराबी का शिकार हो गई। यह घटना आचार्य अत्रे और वडाला स्टेशन के बीच की है, जहाँ अचानक ट्रेन बीच रास्ते रुक गई। उस समय ट्रेन में लगभग 200 से ज़्यादा यात्री सवार थे, जिनमें महिलाएँ, बच्चे और बुज़ुर्ग भी शामिल थे।जैसे ही ट्रेन रुकी, यात्रियों में बेचैनी फैलने लगी। पहले से ही मुंबई में हो रही भारी बारिश ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी थी। यात्रियों को डर था कि अगर ट्रेन लंबे समय तक पटरियों पर फँसी रही तो उन्हें भी पहली घटना की तरह घुटन और दम घुटने की समस्या झेलनी पड़ सकती है।हालाँकि, इस बार बचाव टीम ने तुरंत एक्शन लिया। मोनोरेल प्रबंधन और तकनीकी दल ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया और ट्रेन को धीरे-धीरे खींचकर वडाला स्टेशन तक लाया गया। जैसे ही ट्रेन स्टेशन पहुँची, वहाँ मौजूद सुरक्षा कर्मियों और बचाव दल ने सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।

इस दौरान यात्रियों ने बताया कि शुरुआत में उन्हें घबराहट हुई, लेकिन बाद में उन्होंने एक-दूसरे को सहारा देकर स्थिति का सामना किया। कई यात्रियों ने कहा कि ट्रेन में एयर कंडीशनिंग बंद हो जाने से घुटन और बेचैनी महसूस हो रही थी। हालाँकि, वडाला पहुँचने के बाद सभी को राहत मिली।

कई यात्रियों ने बताया कि भीड़ और घुटन सबसे बड़ी समस्या थी।
एक यात्री ने कहा –
"ट्रेन में कई बुजुर्ग और बच्चे थे, जिनके लिए स्थिति बेहद कठिन हो गई थी। हम शाम 5:30 बजे से फंसे थे और बचाव अभियान शुरू होने में एक घंटा लग गया।"

दूसरे यात्री ने कहा कि ट्रेन पूरी तरह भरी हुई थी क्योंकि बारिश और लोकल ट्रेन सेवाओं में व्यवधान के चलते बड़ी संख्या में लोग मोनोरेल पर निर्भर हो गए थे।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट किया –
"सभी एजेंसियाँ मौके पर मौजूद हैं। यात्रियों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। किसी को भी घबराने की ज़रूरत नहीं है।"

उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि हादसा ट्रेन में भीड़ बढ़ने के कारण हुआ और इसकी जांच के आदेश दिए गए हैं।

मुंबई में बीते दो दिनों से लगातार भारी बारिश हो रही है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने शहर में रेड अलर्ट जारी किया है। सड़कों पर जलभराव से यातायात ठप हो गया है और लोग घंटों जाम में फंसे रहे। यह हादसा एक बार फिर इस सवाल को सामने लाता है कि हर मानसून में मुंबई बुनियादी ढांचे की ऐसी कठिनाइयों से क्यों जूझता है।

मुंबई मोनोरेल हादसा कब और कहाँ हुआ?
मुंबई मोनोरेल हादसा 20 अगस्त 2025 को भारी बारिश के बीच हुआ। पहली ट्रेन चेंबूर के मैसूर कॉलोनी और भक्ति पार्क के बीच रुकी, जबकि दूसरी ट्रेन आचार्य अत्रे और वडाला स्टेशन के बीच फँस गई।
इस हादसे में कितने यात्री फंसे थे?
दोनों मोनोरेल ट्रेनों में कुल मिलाकर 700 से ज़्यादा यात्री फंसे थे। पहली ट्रेन में लगभग 582 और दूसरी ट्रेन में 200 से अधिक यात्री सवार थे।
हादसा कैसे हुआ?
एमएमआरडीए के अनुसार, पहली मोनोरेल ट्रेन में भीड़ क्षमता से ज़्यादा थी, जिससे बिजली आपूर्ति बाधित हो गई और ट्रेन बीच रास्ते रुक गई। दूसरी ट्रेन तकनीकी खराबी के कारण रुक गई।
यात्रियों को कैसे बचाया गया?
दमकल विभाग, पुलिस और रेस्क्यू टीम ने मिलकर अभियान चलाया। हाइड्रोलिक सीढ़ियों और टूटी खिड़कियों के ज़रिए यात्रियों को सुरक्षित निकाला गया। दूसरी ट्रेन को खींचकर वडाला स्टेशन लाया गया और सभी यात्री उतारे गए।
कितने लोग घायल हुए?
कुल 23 यात्रियों को सांस लेने में परेशानी हुई थी। उन्हें मौके पर ही प्राथमिक चिकित्सा दी गई। गंभीर रूप से कोई भी घायल नहीं हुआ।
सरकार की प्रतिक्रिया क्या रही?
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यात्रियों की सुरक्षा का भरोसा दिलाया और जांच के आदेश दिए। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हादसे की वजह ट्रेन में अधिक भीड़ को बताया।
क्या मुंबई में बारिश का असर मोनोरेल हादसे पर पड़ा?
हाँ, भारी बारिश और लोकल ट्रेन सेवाओं में व्यवधान के कारण यात्री बड़ी संख्या में मोनोरेल का उपयोग कर रहे थे। भीड़ बढ़ने से हादसे की स्थिति और गंभीर हो गई।