मुंबई : में दो बॉयफ्रेंड रखकर पति को दिया धोखा दिए लाखो रूपए अपने प्रेमी को
मुंबई की रफ्तार भरी ज़िंदगी में प्यार, पैसा और धोखा अकसर एक ही गली से गुज़रते हैं। गोरेगांव पूर्व की बीएमसी कॉलोनी में ऐसी ही फिल्मी कहानी सामने आई है। 29 साल की ऊर्मिला (बदला हुआ नाम) पर आरोप है कि उसने अपने ही घर के गहने चुराकर पहले बॉयफ्रेंड के खाते में लाखों रुपये ट्रांसफर किए और फिर दूसरे प्रेमी के साथ विदेश घूमने का सपना देखा। मुंबई गोरेगांव गहना चोरी मामले ने पुलिस को भी सोचने पर मजबूर कर दिया कि रिश्तों पर भरोसा करें या सबूतों पर। आरोप लगते ही परिवार की ज़मीन खिसक गई। पड़ोसी दंग रह गए, क्योंकि ऊर्मिला हमेशा मुस्कुराते हुए दिखाई देती थी। सुबह बच्चों को स्कूल छोड़ती, शाम को किराने की लाइन में लगती और रात को सोशल मीडिया पर फैमिली फोटोज़ डालती। किसी ने नहीं सोचा था कि इसी मुस्कान के पीछे इतना बड़ा खेल चल रहा है।
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गोरेगांव की शांत बीएमसी कॉलोनी में मामूली परिवार, पर दिल में छिपा तूफान
बीएमसी कॉलोनी, इमारत नंबर छह, तीसरी मंज़िल का फ्लैट—यहां ऊर्मिला अपने टैक्सी ड्राइवर पति रमेश और छह साल की बेटी के साथ रहती थी। फ्लैट के बाहर रंगीन लाइटें और भीतर साधारण फर्नीचर, किसी भी मध्यमवर्गीय परिवार की तरह। रमेश दिनभर टैक्सी चलाकर घर चलाता, जबकि ऊर्मिला घर संभालने के साथ-साथ एक प्राइवेट स्कूल में पार्ट-टाइम काम करती। पड़ोसियों के मुताबिक पति-पत्नी में कभी ऊँची आवाज़ नहीं सुनी गई। लेकिन पुलिस डायरी बताती है कि पिछले एक साल से घर के पुराने गहने धीरे-धीरे गायब हो रहे थे। सबसे पहले दादी की सोने की चूड़ियाँ, फिर दो मुकुट वाले कान के झुमके, और अंत में चार तोले का नेकलेस। चोरी पर किसी का ध्यान नहीं गया, क्योंकि त्योहारों के मौसम में ऊर्मिला खुद दुकानों पर जाकर नकली गहने पहन कर लौट आती थी।
ऊर्मिला के तीन रिश्तों का ताना-बाना: सोशल मीडिया से शुरू, बैंक खाते तक पहुँचा प्यार
सोशल मीडिया पर ऊर्मिला की पहचान नितिन नाम के युवक से हुई। नितिन एक मोबाइल शॉप में सेल्समैन है, पर खुद को ऑनलाइन ‘स्टॉक ट्रेडर’ बताता है। चैटिंग में उसने ऊर्मिला को जल्दी पैसे दोगुना करने के सपने दिखाए। दूसरी तरफ कॉलेज के दिनों का दोस्त आकाश भी फिर से उसके संपर्क में आया। आकाश अब गोवा में एक छोटे रिसोर्ट का मैनेजर है और अक्सर ऊर्मिला को ‘वीकेंड प्लान’ भेजता रहता था। तीनों के बीच चैट्स, वीडियो कॉल्स और गिफ्ट्स का सिलसिला चलता रहा। धीरे-धीरे ऊर्मिला ने नितिन पर भरोसा कर अपने पति के बैंक एप में लॉग-इन करने का तरीका सीख लिया। उसने ओटीपी चुराने के लिए रमेश का फिंगरप्रिंट तक फोन में सेव कर दिया। बैंक पासबुक में बड़ी राशि न दिखाई दे, इसलिए रकम को किश्तों में ट्रांसफर किया गया। एक महीने में ही आठ बार ऑनलाइन ट्रांसफर हुए, कुल मिलाकर करीब 14 लाख रुपये नितिन के खाते में पहुँचे।
तिजोरी से निकले झुमके, नाक में सौ सवाल: चोरी की रात क्या हुआ
चोरी की असल पटकथा तब लिखी गई जब रमेश नाइट शिफ्ट पर गया। ऊर्मिला ने लोहे की पुरानी तिजोरी की चाबी आराम से चुराई, तिजोरी खोली और सोने-चाँदी के सभी गहने निकाले। उसने लौंग, इलायची और साबुन के रैपर में गहने लपेटे, ताकि किसी को शक न हो। देर रात वह रिक्शा लेकर स्टेशन पहुँची, जहां नितिन पहले से इंतजार कर रहा था। गहने सौंपने के बदले नितिन ने उसे तुरंत नकद दो लाख रुपये दिए, बाकी रकम बेचने के बाद देने का वादा किया। वहीं से ऊर्मिला ने आकाश को फोन किया और कहा कि वह जल्द ही ‘किफ़ायती हनीमून’ पर आना चाहती है। आकाश ने कमरा रिज़र्व कर दिया। योजनाएं बन रही थीं, लेकिन पुलिस की फाइल भी मोटी हो रही थी।
लक्ज़री मोबाइल से इंटरनेट बैंकिंग तक: प्रेमी के खाते में कैसे पहुँचे लाखों
रमेश को चोरी का एहसास तब हुआ जब उसने त्यौहार के लिए गहने निकालने को कहा। तिजोरी खाली देखकर उसका दिमाग सुन्न हो गया। पहले तो उसने सोचा कोई बाहरी चोर आया होगा, लेकिन दरवाज़े पर तोड़फोड़ का निशान नहीं था। वह सीधे गोरेगांव थाने पहुँचा और रिपोर्ट लिखवाई। पुलिस ने घर की तलाशी ली, अलमारी से एक डिंगी मोबाइल निकला जिसमें ऊर्मिला का दूसरा सिम चल रहा था। उस सिम में नितिन और आकाश के सैकड़ों चैट सुरक्षित थे। पुलिस ने बैंक से तुरंत स्टेटमेंट मंगवाया। हर ट्रांसफर पर डिजिटल साइन था, पर आईपी एड्रेस घर का ही था। यही सबूत केस का टर्निंग पॉइंट बना।
डर, शक और सबूत: पुलिस ने कॉल डिटेल से खोला राज, पति रह गया हैरान
जैसे ही पुलिस ने नितिन को उठाया, कहानी के परत-दर-परत सच सामने आने लगे। नितिन ने कबूल किया कि उसने ऊर्मिला को ‘क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट’ का झांसा दिया था। उसने यह भी बताया कि रकम का आधा हिस्सा उसने पहले ही ऑनलाइन गेमिंग में उड़ा दिया। आकाश को पुलिस ने वीडियो कॉल पर पूछताछ की। उसने माना कि ऊर्मिला ने उसे गोवा में फ्लैट खरीदने की योजना दिखाई थी। रमेश जब थाने में बैठा यह सब सुन रहा था, तो उसकी आँखों से आंसू रुक नहीं रहे थे। उसने बस एक ही सवाल पूछा, ‘जिसे मैंने हर आज़ादी दी, उसी ने मेरा घर क्यों लूटा?’ पुलिस ने मामला आईपीसी की धारा 381 और आईटी एक्ट की धाराओं में दर्ज कर लिया।
रिश्तों का भरोसा टूटा तो समाज ने क्या सीखा: पड़ोसियों की राय और मनोवैज्ञानिकों की चेतावनी
घटना ने कॉलोनी में भरोसे की दीवार हिला दी है। पड़ोस की अनीता आंटी कहती हैं, ‘अब तो दरवाज़ा खोलते हुए भी डर लगता है।’ मनोवैज्ञानिक डॉ. सीमा का कहना है कि डिजिटल युग में भावनात्मक धोखे बढ़ गए हैं, क्योंकि लोग वर्चुअल दुनिया में जल्दी भरोसा कर लेते हैं। वे माता-पिता को सलाह देती हैं कि वे बच्चों को शुरू से पैसे और भरोसे का महत्त्व सिखाएँ। वहीं समाज सेविका नंदिता बताती हैं कि आर्थिक शिक्षा सिर्फ स्कूलों में नहीं, घरों में भी ज़रूरी है। रिश्तों में पारदर्शिता हो तो ऐसी घटनाएँ रोकी जा सकती हैं।
परिवार को संजोने के लिए क्या कदम उठाएँ, बच्चों को कैसे समझाएँ
पुलिस ने ऊर्मिला, नितिन और आकाश—तीनों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। गहनों का बड़ा हिस्सा रिकवर हो चुका है, लेकिन परिवार का टूटा दिल कैसे जुड़ेगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं। विशेषज्ञों का मानना है कि घर में संयुक्त फैसला-प्रक्रिया हो, बैंक पासवर्ड साझा न किए जाएँ और हर महीने खर्च व बचत पर पारदर्शी बातचीत हो। अगर किसी पर शक हो तो सीधे पुलिस या बैंक से मदद लें, खुद जासूसी करने में देर न करें। इस मामले ने सिखाया कि प्यार अगर छलावा बन जाए तो भरोसा चंद मिनट में बिखर जाता है, और रिश्तों की सबसे बड़ी तिजोरी दिल ही खाली हो जाती है।
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