म्यूचुअल फंड गिफ्ट करना हुआ आसान: नॉन-डीमैट मोड में यूनिट ट्रांसफर कैसे करें

नॉन-डीमैट मोड में म्यूचुअल फंड यूनिट्स ट्रांसफर करना आसान, कानूनी और टैक्स फ्रेंडली तरीका जानें, और परिवार या रिश्तेदारों को गिफ्ट करें

म्यूचुअल फंड गिफ्ट करना हुआ आसान: नॉन-डीमैट मोड में यूनिट ट्रांसफर कैसे करें

खबर का सार AI ने दिया · GC Shorts ने रिव्यु किया

    नॉन-डीमैट मोड म्यूचुअल फंड ट्रांसफर: परिवार या दोस्तों को निवेश गिफ्ट करने का तरीका

     

    अधिकांश निवेशक आज म्यूचुअल फंड में निवेश डीमैट मोड के जरिए करते हैं, यानी उनके यूनिट्स सीधे उनके ब्रोकिंग अकाउंट में रहते हैं। लेकिन कुछ निवेशक अभी भी नॉन-डीमैट मोड या “स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट” मोड को पसंद करते हैं, जिसमें यूनिट्स सीधे एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) या उनके रजिस्टार एंड ट्रांसफर एजेंट (RTA) के पास रहती हैं। यह तरीका पारंपरिक निवेशकों के बीच लोकप्रिय है जो सीधे म्यूचुअल फंड हाउस के साथ संवाद बनाए रखना चाहते हैं। यदि आप अपने म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बिना डीमैट अकाउंट के ट्रांसफर या गिफ्ट करना चाहते हैं, तो यह प्रक्रिया कानूनी है, लेकिन इसमें कुछ अतिरिक्त कदम शामिल होते हैं।

     

    नॉन-डीमैट मोड में यूनिट ट्रांसफर या गिफ्ट करने की प्रक्रिया

    नॉन-डीमैट मोड में ट्रांसफर शुरू करने के लिए यूनिट होल्डर को ड्यूली साइन किया हुआ ट्रांसफर रिक्वेस्ट फॉर्म या लेटर AMC या RTA को जमा करना होगा। इसमें फोलियो नंबर, स्कीम का विवरण और ट्रांसफर की जाने वाली यूनिट्स की संख्या शामिल होनी चाहिए। प्राप्तकर्ता का विवरण जैसे PAN, KYC कम्प्लायंस और बैंक डिटेल्स भी आवश्यक हैं। कुछ AMC अतिरिक्त सत्यापन के लिए ट्रांसफरर और ट्रांसफरी को फिजिकल वेरिफिकेशन या नोटराइज्ड डॉक्यूमेंट्स जमा करने के लिए कह सकते हैं। सत्यापन पूरा होने के बाद यूनिट्स बेनेफिशरी के फोलियो में ट्रांसफर कर दी जाती हैं और दोनों पक्षों को स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट के जरिए सूचित किया जाता है।

     

    म्यूचुअल फंड गिफ्ट करने के टैक्स इफेक्ट्स

    म्यूचुअल फंड यूनिट्स को गिफ्ट करना कानूनी है, लेकिन इसके टैक्स इम्प्लीकेशन्स हैं। भारतीय कर कानून के अनुसार, रिश्तेदारों को दिए गए गिफ्ट्स (जैसे पति-पत्नी, बच्चे, माता-पिता, भाई-बहन) पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। वहीं, गैर-रिश्तेदारों को दिए गए गिफ्ट्स जो ₹50,000 से अधिक हों, उन्हें प्राप्तकर्ता के रूप में “आय अन्य स्रोत से” टैक्स के दायरे में लाया जाता है। यदि प्राप्तकर्ता बाद में यूनिट्स को रिडीम करता है, तो कैपिटल गेन टैक्स उनकी मूल खरीद कीमत और होल्डिंग पीरियड के आधार पर लगेगा, न कि ट्रांसफर की तारीख से।

     

    नॉन-डीमैट ट्रांसफर के फायदे

    नॉन-डीमैट मोड में यूनिट्स ट्रांसफर करने से निवेशक को अपनी होल्डिंग्स को ब्रोकर्स या ट्रेडिंग अकाउंट से लिंक न करने की स्वतंत्रता मिलती है। यह तरीका विशेष रूप से रिलेटिव्स को निवेश ट्रांसफर करने, सक्सेशन प्लानिंग या एस्टेट प्लानिंग के लिए उपयोगी है। साथ ही, म्यूचुअल फंड गिफ्ट करने से प्राप्तकर्ता को लंबी अवधि के लिए कम्पाउंडिंग का लाभ मिलता है और उन्हें निवेश की शुरुआत से शुरुआत करने की जरूरत नहीं पड़ती। इस प्रक्रिया में डीमैट ट्रांसफर की तरह ब्रोकरेज शुल्क भी नहीं लगता।

     

    ट्रांसफर करने से पहले ध्यान देने योग्य बातें

    ट्रांसफर से पहले सुनिश्चित करें कि दोनों पक्ष KYC-कम्प्लायंट हैं और प्राप्तकर्ता AMC में पहले से फोलियो रखता है या नया फोलियो खोलने के लिए तैयार है। इसके अलावा, यह जांच लें कि आपकी स्कीम में यूनिट ट्रांसफर की अनुमति है या नहीं, क्योंकि कुछ क्लोज्ड-एंडेड स्कीम्स और टैक्स सेविंग स्कीम्स (ELSS) लॉक-इन पीरियड के दौरान ट्रांसफर नहीं होने देती। अंत में, सही डॉक्यूमेंटेशन रखना जरूरी है ताकि भविष्य में टैक्स या विवाद से बचा जा सके।

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