नवरात्रि 2025 लाइव अपडेट्स: 9 दिनों का व्रत, रंग और उत्सव
नवरात्रि 2025: तिथि, महत्व और देशभर में मनाए जाने वाले इस नौ दिन के पर्व की पूरी जानकारी
लाइव अपडेट देखें
Closed at 03 Oct 2025, 12:58 PM
-
नवरात्रि Day 8 : माता महागौरी व्रत और पूजा
माता महागौरी व्रत के नियम और फलाहार
नवरात्रि का आठवां दिन माता महागौरी को समर्पित है। इस दिन व्रत करना बहुत शुभ माना जाता है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। व्रत में केवल फलाहार लें। चावल, गेहूं और दाल से परहेज करें। नमक की जगह सेंधा नमक का इस्तेमाल करें। शाम को माता की आरती जरूर करें और रात में व्रत खोलने से पहले उनका आशीर्वाद लें।
फलाहार रेसिपी
इस दिन साबूदाना खीर बनाना लोकप्रिय है। साबूदाना को भिगोकर दूध में पकाएं और उसमें चीनी और इलायची डालें। कुट्टू के आटे का हलवा भी बन सकता है। आलू की सब्जी सेंधा नमक और हरी मिर्च के साथ बनाई जा सकती है। इसके अलावा ताजे फल और भुना हुआ मखाना भी फलाहार में शामिल किया जा सकता है।
नवदुर्गा की कथा और पूजन विधि
माता महागौरी माता पार्वती का रूप हैं। उन्होंने घोर तपस्या की थी, जिससे उनका रंग काला हो गया। भगवान शिव प्रसन्न हुए और गंगा का जल उनके ऊपर गिरा, जिससे उनका रूप गौर हुआ। पूजा में कलश स्थापना करें, मूर्ति या चित्र रखें, दीप जलाएं और सफेद फूल अर्पित करें। मंत्र "ॐ देवी महागौर्यै नमः" का जाप करें और प्रसाद बांटें।
गरबा-दांडिया और सांस्कृतिक झलकियाँ
नवरात्रि में गरबा और डांडिया का विशेष महत्व है। गुजरात और राजस्थान में लोग पारंपरिक कपड़े पहनकर उत्साहपूर्वक नृत्य करते हैं। ढोल और तबले की धुन से माहौल जीवंत हो जाता है। महिलाएं घाघरा-चोली पहनती हैं और पुरुष केडिया या धोती में गरबा खेलते हैं। यह सांस्कृतिक उत्सव भारत के हर हिस्से में आनंद और एकता का प्रतीक बन गया है।
-
Navratri 2025 Kanjak Pujan Kab Hai : विधि, महत्व, तिथि
सनातन परंपरा में नवरात्रि की अष्टमी, जिसे दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है, और नवमी तिथि, जिसे महानवमी कहते हैं, विशेष महत्व रखती हैं। इन दिनों देवी के प्रतीक मानी जाने वाली कन्याओं की पूजा करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन कन्याओं को घर में आमंत्रित करके उनका विधि-विधान से पूजन करने पर नवरात्रि के नौ दिनों का पुण्यफल मिलता है। यही कारण है कि भक्त इस दिन की तैयारी पहले से करना प्रारंभ कर देते हैं।
क्यों किया जाता है कन्या पूजन?
भागवत पुराण के अनुसार, छोटी कन्याओं को देवी दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। इसी मान्यता के तहत भक्त नवरात्रि के अंतिम दिनों में नौ कन्याओं और एक बालक (जिसे लंगूर मानकर पूजा जाता है) को अपने घर बुलाते हैं। इन कन्याओं को नौ स्वरूप देवी मानकर आदरपूर्वक पूजा की जाती है। पूजन के दौरान उन्हें साफ कपड़े पहनाकर भोजन और फल अर्पित किए जाते हैं।
कन्या पूजन का मुख्य उद्देश्य भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाना है। इसके साथ ही यह पूजा समाज में दूसरों के प्रति सम्मान और सेवा की भावना को भी बढ़ाती है। इस विधि से किया गया पूजन देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम तरीका माना जाता है।
-
शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन: माता महागौरी पूजा और व्रत विधि
आज का रंग और उसका महत्व
शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन का शुभ रंग गुलाबी माना जाता है। गुलाबी रंग प्रेम, करुणा और सकारात्मकता का प्रतीक है। मान्यता है कि इस रंग को धारण करने से माता की कृपा सहज ही प्राप्त होती है। महिलाएं आज के दिन गुलाबी रंग की साड़ी, सलवार या लहंगा पहनती हैं, वहीं पुरुष गुलाबी कुर्ता या पगड़ी धारण कर सकते हैं। घर में गुलाबी फूल सजाना और गुलाबी रंगों से बनी रंगोली बनाना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
व्रत के नियम और सरल उपाय
आठवें दिन का व्रत अत्यंत पवित्र माना जाता है। दिन की शुरुआत प्रातःकाल स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद माता महागौरी की पूजा से करें। व्रत में केवल फलाहार लेना चाहिए। इस दिन गेहूं, चावल और दाल का सेवन वर्जित होता है। भोजन में सेंधा नमक का प्रयोग करना शुभ होता है। संध्या समय माता की आरती करना और प्रसाद अर्पित करना आवश्यक है। व्रत खोलने से पहले माता से क्षमा प्रार्थना जरूर करें। इस दिन व्रत करने वाले को क्रोध से बचना चाहिए और किसी से विवाद नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से माता महागौरी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख, शांति और आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
-
घर में माँ काली की प्रतिमा रखनी चाहिए या नहीं?
माँ काली को शक्ति और रक्षक देवी माना जाता है। देवी भागवत और कालिका पुराण जैसे ग्रंथों में उनके रौद्र और उग्र स्वरूप का विस्तृत वर्णन मिलता है। लेकिन शास्त्रों में घर में उनकी प्रतिमा रखने को लेकर कोई स्पष्ट निषेध या अनिवार्यता नहीं है।
तांत्रिक दृष्टिकोण
तंत्र शास्त्रों में माँ काली के कुछ स्वरूपों की पूजा विशेष विधि से करने का उल्लेख है। ऐसे स्वरूपों की पूजा प्रशिक्षित गुरु या पंडित की देखरेख में ही करनी चाहिए।
वास्तु शास्त्र का मत
वास्तु के अनुसार देवी-देवताओं की प्रतिमा घर में सकारात्मक ऊर्जा लाती है। लेकिन उग्र स्वरूप की मूर्तियाँ यदि गलत दिशा में या बिना विधि के रखी जाएँ तो ऊर्जा असंतुलित हो सकती है।
प्रतिमा पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में रखें।
प्रतिमा छोटी हो और साफ-सुथरे स्थान पर हो।
टूटी या क्षतिग्रस्त प्रतिमा न रखें।
लोकमान्यता
विश्वास है कि यदि माँ काली की प्रतिमा का नियमित पूजन और सम्मान न हो तो नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। वहीं विधिपूर्वक पूजा और स्वच्छता से घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति बनी रहती है।
-
गरबा प्रेमियों के लिए खास जानकारी: गरबा में तीन ताली क्यों बजती है और इसके पीछे छुपा है गहरा सांस्कृतिक रहस्य
गरबा भारत का सबसे प्रसिद्ध पारंपरिक नृत्य है, जिसे नवरात्रि के समय गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में बड़े उत्साह के साथ किया जाता है। पिछले 100 सालों से यह परंपरा जीवित है। हर साल नवरात्रि में लोग गरबा खेलते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गरबा क्यों किया जाता है और इसके पीछे क्या कहानी छुपी है?
इसके साथ ही डांडिया, जो नवरात्रि का एक और लोकप्रिय नृत्य है, उसके पीछे भी एक खास कथा जुड़ी हुई है। मुंबई में रहने वाले गुजरात के रहने वाले जिगर शाह बताते हैं कि उन्होंने यह ज्ञान अपने बुजुर्गों से प्राप्त किया है और यह पारंपरिक नृत्य की गहराई को उजागर करता है।
तीन ताली गरबा की कहानी
नवरात्रि नौ दिन का एक लंबा और पवित्र त्योहार है। जिगर शाह के अनुसार, जब महिषासुर राक्षस ने त्रैलोक्य में अत्याचार करना शुरू किया, तो देवताओं—ब्रह्मा, विष्णु और महेश—ने माता दुर्गा को सहायता के लिए बुलाया।
माता दुर्गा ने महिषासुर के साथ नौ दिनों तक युद्ध किया। दसवें दिन उन्होंने महिषासुर का वध किया, लेकिन उन्हें पूरी तरह शांत होने में एक दिन और लगा। यही कारण है कि दसवां दिन, यानी दशहरा, बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्ति से माता दुर्गा ने इस युद्ध में विजय प्राप्त की। इसलिए गरबा में तीन ताली बजाई जाती है। यह गरबा इन तीनों देवताओं को समर्पित होता है और उनके आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
गरबा: सिर्फ नृत्य नहीं, बल्कि संस्कृति
गुजरात में गरबा परंपरा अत्यंत पवित्र मानी जाती है। बड़े घेरे के बीच मांडवी रखी जाती है, जिसे पूजा का रूप दिया जाता है। इसके विपरीत मुंबई और अन्य महानगरों में कई बार लोग बीच में चप्पल या अन्य सामान रख देते हैं, जिससे परंपरा कमजोर हो जाती है।
हालांकि, मुंबई में भी ऐसे कई स्थान हैं, जहां मांडवी रखकर गरबा परंपरा को जिंदा रखा जाता है।
डांडिया का महत्व
डांडिया का नृत्य माता दुर्गा और महिषासुर के युद्ध में प्रयुक्त तलवार से जुड़ा हुआ माना जाता है। वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार, इसका संबंध भगवान कृष्ण के रास नृत्य से भी जोड़ा जाता है।इस प्रकार गरबा और डांडिया केवल नृत्य नहीं हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं का एक जीवंत प्रतीक हैं।
-
28 September 2025 को नवरात्रि का कौन सा दिन है
आज 28 सितंबर 2025 को शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन मनाया जा रहा है। इस दिन मां दुर्गा के विशेष स्वरूप की पूजा का विधान है। लोग प्रातःकाल स्नान कर उपवास रखते हैं और मन, वचन व कर्म से मां की आराधना करते हैं। नवरात्रि का यह दिन भक्तों के लिए बेहद प्रिय और महत्वपूर्ण माना जाता है।
आज कौन सा व्रत और किस देवी की पूजा होगी
नवरात्र के सातवें दिन **मां कात्यायनी** की पूजा होती है। धार्मिक मान्यता है कि मां कात्यायनी के पूजन से विवाह में आ रही सभी बाधाएं समाप्त होती हैं और प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होती है। वहीं कुछ परंपराओं में तिथि के अनुसार आज मां **कालरात्रि** की भी पूजा की जाती है। कैलेंडर और पंचांग की गणना के हिसाब से देवी का स्वरूप अलग-अलग स्थानों पर पूजित होता है। इस कारण भक्त अपने-अपने क्षेत्र की प्रथा के अनुसार देवी की साधना करते हैं।
मां कात्यायनी और मां कालरात्रि की विशेष आराधना
मां कात्यायनी की पूजा में पीले फूल और शहद अर्पित करना शुभ माना गया है। दूसरी ओर मां कालरात्रि की आराधना में घी और गुड़ का भोग चढ़ाया जाता है। दोनों ही माता के स्वरूप संकट निवारण और कष्ट हरने वाले माने जाते हैं। श्रद्धा और विश्वास के साथ की गई पूजा से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और जीवन में सफलता के नए मार्ग खुलते हैं।
-
Shardiya Navratri 2025: 9 या 10 दिन? जानें इस बार शारदीय नवरात्र कितने दिन होंगे
शारदीय नवरात्र 2025 का पर्व बेहद शुभ और पावन माना जाता है। यह महापर्व माँ दुर्गा को समर्पित है और इस बार 10 दिनों तक मनाया जाएगा। इस साल कोई तिथि घट नहीं रही है, इसलिए नवरात्र के सभी 10 दिन पूरे होंगे। शारदीय नवरात्र के दौरान भक्त माँ दुर्गा की उपासना करते हैं, व्रत रखते हैं और मंत्र जप करते हैं।
शारदीय नवरात्र 2025 तिथि सूची (Shardiya Navratri 2025 Dates)
दिनांक नवरात्र का दिन देवी का स्वरूप 22 सितंबर 2025 पहला दिन माँ शैलपुत्री 23 सितंबर 2025 दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी 24 सितंबर 2025 तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा 25 सितंबर 2025 चौथा दिन माँ कूष्माण्डा 26 सितंबर 2025 पांचवां दिन माँ स्कंदमाता 27 सितंबर 2025 छठा दिन माँ कात्यायनी 28 सितंबर 2025 सातवां दिन माँ कालरात्रि 29 सितंबर 2025 आठवां दिन माँ महागौरी / सिद्धिदात्री 30 सितंबर 2025 नौवां दिन माँ सिद्धिदात्री 01 अक्टूबर 2025 दसवां दिन माँ दुर्गा का विशेष वंदन नवरात्र के दिनों में अंतर क्यों आता है?
नवरात्र के दिनों की गणना हिंदू पंचांग के आधार पर की जाती है। पंचांग में तिथि का निर्धारण सूर्योदय और सूर्यास्त के अनुसार होता है। कभी-कभी एक ही दिन में दो तिथियां पड़ जाती हैं या कोई तिथि पूरे दिन नहीं रहती। इसीलिए साल-दर-साल नवरात्र के दिनों में अंतर देखा जा सकता है।इस साल शारदीय नवरात्र 10 दिन के लिए है, जो माँ दुर्गा की कृपा पाने का बेहद शुभ अवसर है।
नवरात्रि पूजन मंत्र (Navratri Puja Mantra)
पूजन के दौरान निम्न मंत्रों का जप विशेष रूप से किया जाता है:
सर्वमंगल मांगल्ये
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।ॐ जयन्ती मंगला काली
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।या देवी सर्वभूतेषु
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।नवरात्रि का महत्व
यह पर्व माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का प्रतीक है।
नवरात्र के दौरान व्रत, जप और ध्यान से जीवन में सुख, सौभाग्य और रोग-शोक से मुक्ति मिलती है।
प्रत्येक दिन की पूजा विशेष अर्थ रखती है और भक्तों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती है।
-
मां कात्यायनी वंदना मंत्र, प्रिय भोग और पूजा उपाय
मां कात्यायनी की वंदना मंत्र का महत्व
मां कात्यायनी को नवरात्रि के छठे दिन पूजा जाता है। मां कात्यायनी का वंदना मंत्र है: "ॐ देवी कात्यायनी नमः।" यह मंत्र बोलने से मन को शांति मिलती है और मां की कृपा सरलता से प्राप्त होती है। यह मंत्र आपके जीवन के दुख दूर करता है और खुशहाली लाता है।
मां कात्यायनी का सबसे प्रिय भोग क्या है
मां कात्यायनी को शहद और लाल रंग के फल बहुत पसंद हैं। भक्त उन्हें शहद, केले या सेब का भोग चढ़ाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन चीजों का भोग चढ़ाने से मां शीघ्र प्रसन्न होती हैं और सब मनोकामना पूरी करती हैं।
धार्मिक महत्व जानें आसान भाषा में
मां कात्यायनी की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक्ता आती है। वे बुरी शक्तियों को दूर करती हैं और परिवार की रक्षा करती हैं। मां कात्यायनी का नाम लेने से डर और समस्याएं दूर होती हैं। नवरात्रि के समय इनकी पूजा का खास महत्व है।
मां कात्यायनी की पूजा का आसान महाउपाय
अगर आप जीवन में सुख चाहते हैं तो रोज सुबह मां कात्यायनी का वंदना मंत्र बोलें और उन्हें शहद का भोग चढ़ाएं। घर के पूजा स्थान को साफ रखें। सच्चे मन से मां का ध्यान करें, इससे आपके सभी काम पूरे होंगे।
-
नवरात्रि 2025: अष्टमी-नवमी पर कन्या पूजन का शुभ समय और विधि
शारदीय नवरात्रि 2025 का पर्व भक्ति और ऊर्जा का प्रतीक है। इस वर्ष नवरात्रि 2 अक्टूबर, विजयादशमी पर समाप्त होगा। इन नौ दिनों में श्रद्धालु माता दुर्गा की आराधना करते हैं, उपवास रखते हैं और विभिन्न विधियों से पूजा करते हैं। अष्टमी और नवमी तिथि पर विशेष रूप से कन्या पूजन का विधान है।
अष्टमी और नवमी की तिथियां
अष्टमी तिथि: 29 सितंबर, शाम 4:31 बजे से शुरू होकर 30 सितंबर, शाम 6:06 बजे समाप्त।
→ अष्टमी 30 सितंबर को मान्य होगी।नवमी तिथि: 30 सितंबर के बाद आरंभ होकर 1 अक्टूबर, शाम 7:02 बजे तक रहेगी।
→ नवमी 1 अक्टूबर को मनाई जाएगी।कन्या पूजन शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि पर:
पहला मुहूर्त: सुबह 5:00 – 6:12 बजे
दूसरा मुहूर्त: सुबह 10:40 – 12:10 बजे
नवमी तिथि पर:
पहला मुहूर्त: सुबह 4:53 – 5:41 बजे
दूसरा मुहूर्त: सुबह 8:06 – 9:50 बजे नवमी की तिथि शाम 7:02 बजे तक मान्य है, इसलिए आप अन्य समय में भी पूजन कर सकते हैं।
कन्या पूजन की विधि
सबसे पहले माता दुर्गा की पूजा करें।
हलवा, पूरी और चने का भोग माता को अर्पित करें।
घर में 2 से 9 साल की कन्याओं को बैठाकर भोजन करवाएं।
कन्याओं के पैर धोएं, उन्हें टीका लगाएं और हलवा, पूरी, खीर व फल खिलाएं।
कुछ पैसे या उपहार दें और सुख-समृद्धि की कामना करें।
अंत में कन्याओं के पैर छूकर अपने दोषों की क्षमा मांगें।
-
Shardiya Navratri Day 6 व्रत नियम और फलाहार जानकारी
शारदीय नवरात्रि दिन 6 का महत्व
शारदीय नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की पूजा के लिए बेहद खास माना जाता है। इस दिन भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति से उपवास रखते हैं और मां की कृपा पाने के लिए पूजा अर्चना करते हैं। कहा जाता है कि छठे दिन का व्रत करने से जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं और घर में सुख शांति बनी रहती है।
व्रत रखने के नियम
शारदीय नवरात्रि दिन 6 पर व्रत रखने वालों को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनने चाहिए। घर के पूजा स्थल पर मां कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर मंत्रों के साथ पूजा करनी चाहिए। पूरे दिन सात्विक आहार का पालन करें और क्रोध, नकारात्मक विचारों से दूर रहें। व्रत के दौरान नमक और तली हुई चीजों से परहेज करना सबसे अच्छा माना जाता है।
फलाहार रेसिपी
छठे दिन के व्रत में आप हल्की और पौष्टिक फलाहार रेसिपी का सेवन कर सकते हैं। साबूदाने की खिचड़ी, आलू की हल्की सब्जी, सिंघाड़े के आटे की पूरी या फल और दूध का सेवन शरीर को ऊर्जा देता है। चाहें तो मूंगफली और नारियल के लड्डू भी व्रत में खाए जा सकते हैं। इससे दिनभर ताकत बनी रहती है और व्रत सहज रूप से पूरा होता है।
-
नवरात्रि 2025 : स्कंदमाता की पूजा, आज का रंग और महत्व
नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे श्रद्धा और आस्था के साथ पूरे देश और विदेश में मनाया जाता है। यह पर्व शक्ति की उपासना का प्रतीक है और मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा इसमें की जाती है। हर दिन देवी के एक रूप को समर्पित होता है, और भक्त पूरे विधि-विधान के साथ उपवास और पूजन करते हैं।
स्कंदमाता की पूजा
नवरात्रि के पाँचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इन्हें भगवान कार्तिकेय की माता कहा जाता है। स्कंदमाता भक्तों को सुख-समृद्धि, वैभव और मोक्ष का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। इन्हें कमल पर विराजमान और गोद में कार्तिकेय को धारण किए हुए दर्शाया जाता है। भक्त इस दिन विशेष रूप से मां की आराधना कर अपने जीवन में शांति और उन्नति की कामना करते हैं।
आज का रंग और महत्व
नवरात्रि के प्रत्येक दिन का एक विशेष रंग होता है। स्कंदमाता के दिन का रंग पीला माना जाता है। पीला रंग आनंद, सकारात्मकता और समृद्धि का प्रतीक है। भक्त इस दिन पीले वस्त्र धारण कर पूजा करते हैं और देवी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
विदेशों में नवरात्रि
नवरात्रि का उत्सव केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़े उत्साह से मनाया जाता है। अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई देशों में भारतीय समुदाय गरबा, डांडिया और दुर्गा पूजा का आयोजन करते हैं। इस तरह नवरात्रि पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का गौरव बढ़ाती है।
-
माँ सकंदमाता: नवदुर्गा की कथा और पूजन विधि
नवदुर्गा के नौ रूपों में से मा सकंदमाता देवी का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह रूप माता दुर्गा का चौथा रूप माना जाता है। इसे विशेष रूप से धन, शक्ति और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है।
मा सकंदमाता की कथा
कथा के अनुसार, जब राक्षसों ने पृथ्वी पर आतंक मचाया, तब देवी दुर्गा ने अपने चारों रूपों से उनका संहार किया। इस दौरान देवी का यह रूप माता सकंदमाता के रूप में प्रकट हुआ। ‘सकंद’ शब्द का अर्थ है सकंद (बच्चा) और माता। माता अपने भक्तों को संतान सुख, बुद्धि और ऐश्वर्य प्रदान करती हैं।
माता का वाहन सियार (सिंह या बाघ) है और वे अपने आंचल में भगवान भवकाली के रूप में नवजात बच्चा को थामे हुए हैं। यह रूप माँ की ममता और शक्ति दोनों का प्रतीक है।
पूजन विधि
मा सकंदमाता का पूजन विशेष रूप से चतुर्थी के दिन किया जाता है। पूजन विधि इस प्रकार है:
-
साफ-सुथरी जगह पर माता का चित्र या मूर्ति स्थापित करें।
-
संतुलित लाल रंग का वस्त्र और चावल, हल्दी, फूल से सजावट करें।
-
दीपक जलाएं और माँ के सामने कनक (सोने के दाने) या अक्षत (चावल) अर्पित करें।
-
कुमकुम, हल्दी और रोली से माता का तिलक करें।
-
माँ के चरणों में प्रार्थना करें और संतान सुख, बुद्धि और सुख-समृद्धि की कामना करें।
-
पूजन के अंत में प्रसाद बाँटें और भगवती के जयकारे लगाएं।
-
-
शारदीय नवरात्रि 2025: तुलसी पूजन के आसान उपाय, मिलेगा धन-समृद्धि का वरदान
सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है। यह नौ दिवसीय पावन पर्व देवी दुर्गा और उनकी नौ शक्तियों की आराधना का काल है। मान्यता है कि इस दौरान सच्चे मन से की गई पूजा भक्त की मनोकामनाओं को पूर्ण करती है और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार करती है।
इस साल नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर को समाप्त होगी।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवरात्र में तुलसी पूजन और उससे जुड़े छोटे-छोटे उपाय करने से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं और सौभाग्य के द्वार खुलते हैं। तुलसी को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है और घर में इसका होना शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। आइए जानते हैं नवरात्रि में तुलसी पूजन से जुड़े खास उपाय और उनके चमत्कारी लाभ:
सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह
नवरात्र के नौ दिनों तक तुलसी के पौधे के पास रोज घी या तेल का दीपक जलाएं। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है, नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है और शांति व सौभाग्य का वास कराता है।
दांपत्य जीवन में मधुरता
तुलसी माता को लाल चुनरी पहनाएं और कुमकुम, चूड़ी, बिंदी जैसी शृंगार सामग्री अर्पित करें। इससे पति-पत्नी के बीच प्रेम और समझ बढ़ती है तथा घर-परिवार में सौहार्द का वातावरण बनता है।
आर्थिक तंगी से छुटकारा
यदि आप लंबे समय से पैसों की परेशानी झेल रहे हैं, तो लाल कपड़े में तुलसी की कुछ पत्तियाँ बांधकर तिजोरी या धन रखने की जगह पर रखें। यह उपाय धीरे-धीरे धनवृद्धि कर स्थायी लक्ष्मी के वास का मार्ग प्रशस्त करता है।
-
नवरात्र में जरूर करें ये एक काम, घर से कोसों दूर रहेगी गरीबी
अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोग बहुत मेहनत करने के बावजूद अच्छा पैसा नहीं कमा पाते। ऐसे लोगों को नवरात्र में घर पर मां लक्ष्मी की आशीर्वाद मुद्रा वाली प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। देवी को गुलाब का फूल अर्पित कर “ॐ श्रीं श्रियै नमः” मंत्र की ग्यारह माला जपें। मां लक्ष्मी की कृपा से आय में वृद्धि होने लगेगी।
कुछ लोगों के हाथ में पैसा टिकता नहीं है और उनके खर्चे हमेशा आय से अधिक रहते हैं। ऐसे लोगों को दो मुखी रुद्राक्ष, सफेद कपड़ा और चांदी का सिक्का देवी के मंदिर में अर्पित करना चाहिए। इसके बाद “ॐ ह्रीं नमः” मंत्र का तीन माला जाप करें। इस उपाय से अनावश्यक खर्चों में कमी आएगी और धन की बचत बढ़ेगी।
जिनकी नौकरी या कारोबार में तरक्की नहीं हो रही है, उन्हें मां दुर्गा के सिंहवाहिनी स्वरूप के सामने घी का दीपक जलाकर चांदी का सिक्का अर्पित करना चाहिए। देवी को पुष्प अर्पित कर “ॐ दुं दुर्गाय नमः” मंत्र का जाप करें। इसके बाद वह सिक्का घर के धन स्थान या दुकान के गल्ले में रख दें। इस उपाय से व्यापार में प्रगति होगी और नौकरी में उन्नति के अवसर मिलेंगे।
-
शारदीय नवरात्रि चौथा दिन, कुष्मांडा माता पूजा और विदेश उत्सव
कुष्मांडा माता की खास महिमा
शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन कुष्मांडा माता को समर्पित है। देवी कुष्मांडा को सृष्टि की जननी भी कहा जाता है। माना जाता है कि इनकी पूजा से घर में खुशहाली और सेहत का वरदान मिलता है। इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर माता का पूजन करते हैं और मीठा प्रसाद चढ़ाते हैं। देवी की पूजा में खासकर लाल फूल, नारियल और सिंदूर का महत्व है।
देश में नवरात्रि का सुंदर माहौल
भारत के हर कोने में शारदीय नवरात्रि का पर्व बड़े जोश से मनाया जाता है। गुजरात में गरबा और डांडिया की रौनक होती है, तो उत्तर भारत में पंडाल और झांकियां सजाई जाती हैं। सभी छोटे बड़े शहर रंग-बिरंगे लाइट्स और भक्ति गीतों से सज जाते हैं। बच्चे, युवा और बुज़ुर्ग सब माता रानी की पूजा में लीन रहते हैं।
विदेशों में भी चमक रहा है नवरात्रि उत्सव
नवरात्रि का उत्सव अब देश के बाहर भी खूब लोकप्रिय हो गया है। अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके जैसे कई देशों में भारतीय समुदाय नवरात्रि के आयोजन करता है। बड़ी संख्या में लोग गरबा नाईट, सांस्कृतिक कार्यक्रम और माता की सामूहिक आरती में हिस्सा लेते हैं। दूर देश में भी नवरात्रि की भक्ति और खुशी की लहर पसरी रहती है।
-
नवरात्रि चौथा दिन मां कूष्मांडा की कथा और पूजन विधि
मां कूष्मांडा का महत्व और उनकी दिव्य कथा
नवरात्रि में नवदुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है। चौथे दिन देवी के कूष्मांडा स्वरूप की आराधना की जाती है। पुराणों के अनुसार जब सृष्टि का आरंभ नहीं हुआ था और चारों ओर अंधकार ही अंधकार था, तब मां कूष्मांडा ने अपनी दिव्य मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की। इसी कारण उन्हें ब्रह्मांड की जननी भी कहा जाता है। उनकी आठ भुजाएँ हैं और हर भुजा में विशेष अस्त्र और आभूषण सुशोभित रहते हैं। मां कूष्मांडा भक्तों को आरोग्यता, समृद्धि और सुख प्रदान करती हैं।
मां कूष्मांडा की पूजा विधि सरल भाषा में
नवरात्रि के चौथे दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। घर के पूजन स्थान पर मां कूष्मांडा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। सबसे पहले गंगा जल से शुद्धिकरण करें और फिर दीप जलाएं। मां को सुगंधित पुष्प, धूप और नैवेद्य अर्पित करें। प्रसाद में कद्दू विशेष माना जाता है, क्योंकि यह मां को अति प्रिय है। पूजा के समय मां के बीज मंत्र "ॐ कूष्मांडायै नमः" का जाप करें। पूजा पूरी भक्ति और सच्चे मन से करनी चाहिए, तभी माता प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं।
मां कूष्मांडा की आराधना से मिलने वाले वरदान
भक्त यदि श्रद्धा और विश्वास से मां कूष्मांडा की पूजा करते हैं तो उन्हें आत्मबल और धैर्य की प्राप्ति होती है। घर में सुख-शांति बनी रहती है और जीवन में उन्नति का मार्ग खुलता है। कहा जाता है कि मां की उपासना से रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं तथा भक्त को दीर्घायु प्राप्त होती है।
-
Shardiya Navratri day 4 : व्रत नियम और आसान फलाहार रेसिपी
चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा के महत्व को जानिए
नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित होता है। इस दिन सही नियम से पूजा और व्रत करने से सुख-समृद्धि के साथ मन को शांति भी मिलती है। Navratri day 4 vrat ke niyam हर उम्र के लिए जरूरी हैं, चाहे कोई बच्चा हो या बुजुर्ग।
इन नियमों से करें व्रत, मिलेगा शुभ फल
सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें और माता की तस्वीर के सामने दीपक जलाएं। पूरे दिन सात्विक भोजन करें और मन वचन से शुद्ध रहें। झूठ, क्रोध और तामसिक खानपान से बचना चाहिए। व्रत तोड़ते समय मां को भोग लगाना न भूलें।
सिपंल फलाहार रेसिपी, जो बच्चों को भी पसंद आए
केला, सेब, पपीता जैसे फल लेकर चाहें तो हल्का सा शहद डालकर बच्चों को दें। चाहें तो साबूदाने की खिचड़ी भी बना सकते हैं। इसे बनाने के लिए उबले हुए साबूदाने में मूंगफली और थोड़ी सी सेंधा नमक मिलाएं। यह डिश जल्दी बनती है और सेहत के लिए भी फायदेमंद है।
व्रत के साथ ध्यान रखें ये खास बातें
पूरे दिन पानी पीना न भूलें। ज्यादा भारी खाना न लें और हर चीज ताजगी से बनाएं। व्रत का मुख्य उद्देश्य मन और शरीर की सफाई है, इसलिए नियमों का पालन जरूरी है।
-
Shardiya Navratri 2025 Day 3 मां चंद्रघंटा पूजा विधि व्रत फलाहार
Shardiya Navratri 2025 का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा की आराधना को समर्पित होता है। यह दिन भक्तों के लिए विशेष है क्योंकि मां चंद्रघंटा शांति, साहस और रक्षा का प्रतीक मानी जाती हैं। इस दिन मां के भक्त उन्हें दूध, मिठाई और मौसमी फल अर्पित करते हैं। मां चंद्रघंटा की पूजा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और मन को शांति मिलती है।
मां चंद्रघंटा पूजा विधि
सुबह स्नान कर साफ वस्त्र पहनें। मां की प्रतिमा या तस्वीर में हल्दी, कुमकुम, फूल और अक्षत अर्पित करें। गंगाजल छिड़कें और घी का दीपक जलाएं। मां को सफेद मिठाई, दूध या केले अर्पित करें। अगरबत्ती लगाकर मां से सुख और शांति की प्रार्थना करें।
व्रत के नियम
Navratri व्रत में लहसुन, प्याज, अन्न, मसालेदार चीजें और मांसाहार नहीं खाते। दिन में एक बार फलाहार लेना चाहिए। जल का अधिक सेवन करे और पूरे दिन मां चंद्रघंटा का ध्यान मन में रखें। झूठ न बोलें और मन शांत रखें।
फलाहार रेसिपी बच्चों के लिए भी
फलाहार में आप साबूदाना खिचड़ी बना सकते हैं। साबूदाने को धो लें, मूँगफली और हल्के मसाले डालकर धीमी आंच पर पकाएँ। चाहें तो फ्रूट सलाद, उबले आलू या दही भी ले सकते हैं। यह फलाहार पाचन के लिए आसान और पोषक होता है।
मां चंद्रघंटा की आरती
जय चंद्रघंटा मां, ममता की मूरत, शक्ति की देवी, दुख-हरण करती सूरत। चांद सा मुकुट, घंटा सुशोभित, करती सबका कल्याण, सबको देती अपनी मूरत।
-
shardiya Navratri 2025 Day 3 मां चंद्रघंटा पूजा विधि आरती
मां चंद्रघंटा का महत्व और उनका स्वरूप
Shardiya Navratri 2025 के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा का माथे पर अर्धचंद्र और उनके शांति-शक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। ऐसा माना जाता है कि मां चंद्रघंटा की आराधना से डर और नकारात्मकता दूर होती है।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। इसके बाद माता की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें। फूल, अक्षत, रोली और जल अर्पित करें, फिर माता को शहद या दूध का भोग लगाएं।
पाठ के लिए मंत्र
पूजा के समय "ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः" मंत्र का जप करें। ऐसा करने पर मां प्रसन्न होती हैं और श्रद्धा पूर्ण भाव से की गई पूजा का फल देती हैं।
भोग और आरती की जानकारी
मां चंद्रघंटा को खास तौर पर दूध और उससे बने मीठे प्रसाद का भोग लगाया जाता है। पूजा के अंत में माता की आरती गाएं और परिवार के सभी लोग मिलकर आराधना करें। इससे घर में सुख और शांति आती है।
-
नवरात्र में वैष्णो देवी जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए बड़ी खुशखबरी!
शारदीय नवरात्र का शुभारंभ श्री माता वैष्णो देवी जी के पवित्र गुफा मंदिर में शतचंडी महायज्ञ से हुआ। भव्य सजावट और धार्मिक माहौल में आरंभ हुए इस यज्ञ में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। यह महायज्ञ विश्व शांति, समृद्धि और जनकल्याण की कामना के लिए आयोजित किया जा रहा है और महानवमी (1 अक्टूबर) को पूर्णाहुति के साथ संपन्न होगा।
श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुविधाएं
श्राइन बोर्ड ने इस वर्ष भी भक्तों की सुविधा के लिए कई इंतज़ाम किए हैं—
दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए मुफ्त घोड़ा व बैटरी कार सेवा
गर्भगृह में प्राथमिकता दर्शन
प्रमुख स्थलों पर हेल्प डेस्क
24 घंटे चिकित्सीय सुविधा
लंगरों व भोजनालयों में व्रत विशेष भोजन
इसके अलावा जल-बिजली की निर्बाध आपूर्ति, स्वच्छता अभियान और विशेष सजावट की व्यवस्था की गई है। भवन परिसर, अटका क्षेत्र और कटरा तक पूरे मार्ग को विदेशी व स्वदेशी फूलों, फलों और फेसाड लाइटिंग से सजाया गया है।
भक्ति और उत्साह का संगम
सुबह-शाम होने वाली अटका आरती के दौरान सुप्रसिद्ध कलाकारों द्वारा प्रस्तुत भजन और भेंट श्रद्धालुओं को भक्ति भाव से सराबोर कर रहे हैं।
सीईओ सचिन कुमार वैश्या ने स्वयं यात्रा मार्ग और व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया और श्रद्धालुओं से बातचीत कर संतोष व्यक्त किया।
-
नवरात्रि का दूसरा दिन – मां ब्रह्मचारिणी की कथा
शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व 22 सितंबर से शुरू हो चुका है। नौ दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव का दूसरा दिन (23 सितंबर) मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है।
मां ब्रह्मचारिणी तपस्या और साधना की देवी मानी जाती हैं। इनकी पूजा करने से जीवन में धैर्य, शांति और समृद्धि आती है। साथ ही, कुंडली में मौजूद मंगल दोष भी दूर होता है। इस दिन मां की पूजा के साथ उनकी कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए।
मां ब्रह्मचारिणी की कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी का जन्म राजा हिमालय और रानी मेना की पुत्री पार्वती के रूप में हुआ था। देवी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन और कठोर तपस्या की।
उन्होंने हजार वर्षों तक केवल फल और फूल खाकर जीवन बिताया।
इसके बाद हजार वर्षों तक केवल जड़ी-बूटियों पर निर्भर रहीं।
फिर हजार वर्षों तक सिर्फ टूटे हुए बेलपत्र का सेवन किया।
अंत में उन्होंने अन्न और जल का भी त्याग कर दिया।
उनकी इस कठोर तपस्या से देवता और सप्तऋषि अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने देवी को आशीर्वाद दिया और “अपर्णा” नाम से पुकारा। मां ने अपनी अडिग साधना से सिद्धि प्राप्त की और मनोकामना पूर्ण होने का वरदान पाया।
कथा से सीख
मां ब्रह्मचारिणी की कथा हमें यह संदेश देती है कि जीवन चाहे जितनी कठिनाइयों से भरा क्यों न हो, धैर्य, संयम और दृढ़ संकल्प से हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
-
नवरात्र व्रत के 9 दिन – स्वाद और सेहत से भरपूर खास रेसिपीज़
शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व इस साल 22 सितंबर से शुरू हो रहा है। इन नौ दिनों में व्रती फलाहार और सात्त्विक भोजन का सेवन करते हैं। अक्सर लोग रोज़-रोज़ एक ही तरह का खाना खाकर ऊब जाते हैं और सोच में पड़ जाते हैं कि व्रत के दौरान ऐसा क्या बनाया जाए जो स्वादिष्ट भी हो और सेहतमंद भी।
अगर आप भी यही सोच रहे हैं, तो अब चिंता छोड़ दीजिए! हम आपके लिए लेकर आए हैं 9 खास और आसान नवरात्रि फलाहार रेसिपीज़ (9 Days Navratri Menu), जिन्हें आप हर दिन ट्राई कर सकते हैं और अपने व्रत के खाने को बना सकते हैं और भी खास।
वरात्रि के लिए 9 आसान और स्वादिष्ट फलाहार रेसिपीज़
1. शकरकंद बॉल्स
उबली शकरकंद को मैश करके उसमें सेंधा नमक, काली मिर्च और जीरा पाउडर डालें। छोटे-छोटे बॉल्स बनाकर हल्का फ्राई या एयर-फ्राई कर लें। इसे चटनी के साथ परोसें।2. साबूदाना वड़ा
साबूदाने को आलू, मूंगफली और मसालों के साथ मिलाकर कुरकुरे वड़े बनाएं। दही या व्रत वाली चटनी के साथ इसका स्वाद दोगुना हो जाता है।3. पान की मिठाई
पान के पत्तों में गुलकंद, सौंफ और मेवे भरकर बॉल्स बनाएं। यह अनोखी मिठाई ताजगी और स्वाद का अनोखा संगम है।4. फलों का श्रीखंड
गाढ़े दही (हंग कर्ड) में इलायची पाउडर और पिसी चीनी मिलाएं। ऊपर से कटे फल डालकर ठंडा-ठंडा परोसें।5. पनीर-केला रोल्स
मैश किए पनीर और केले को मसालों के साथ मिलाकर रोल बना लें। इन्हें हल्का फ्राई करें – यह प्रोटीन और एनर्जी से भरपूर स्नैक है।6. समा चावल फिरनी
समा के चावल को दूध में पकाकर उसमें चीनी और इलायची डालें। मेवों से गार्निश कर ठंडा-ठंडा सर्व करें।7. साबूदाना वॉफल
साबूदाना और आलू को मिलाकर वॉफल मेकर में पकाएं। बाहर से कुरकुरे और अंदर से नरम वॉफल का मज़ा लें।8. राजगिरा लड्डू
राजगिरा के दाने और गुड़ की चाशनी से बने लड्डू उपवास के दौरान ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत हैं।9. बादाम-रोज हलवा
बादाम को पीसकर घी में भूनें और उसमें दूध, चीनी और गुलाब जल डालें। यह हेल्दी और शाही मिठाई आपके व्रत का स्वाद दोगुना कर देगी। -
नवरात्रि में भोजन और व्रत के नियम
नवरात्रि व्रत रखने वाले भक्तों को अनाज, साधारण नमक और तैलीय पदार्थों से परहेज़ करना चाहिए। इनके स्थान पर फल, दूध, साबूदाना, कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा और सेंधा नमक का सेवन करना श्रेष्ठ माना गया है।
अधिकांश व्रती दिनभर फलाहार करते हैं और रात में एक बार भोजन करते हैं। कई श्रद्धालु अष्टमी या नवमी तक निर्जल उपवास भी रखते हैं, लेकिन यह केवल तब उचित है जब स्वास्थ्य इसकी अनुमति दे।
व्रत के दौरान व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और क्रोध, आलस्य व नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए।
इस समय तामसिक भोजन, मादक पदार्थ और मांसाहार से पूरी तरह बचना आवश्यक है।
व्रत के दिनों में घर का वातावरण शुद्ध और सात्त्विक बनाए रखना शुभ माना जाता है।
-
नवमी पर वैष्णो देवी कटरा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, मंदिर परिसर भक्तों से खचाखच भरा
vaishni deviनवरात्रि की नवमी तिथि पर मां वैष्णो देवी धाम, कटरा में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। सुबह से ही भक्त माता रानी के दर्शन के लिए लंबी कतारों में खड़े होकर जयकारे लगा रहे हैं। शाम तक हजारों श्रद्धालु पंजीकरण करा चुके हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। मंदिर परिसर और मार्गों पर भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने विशेष सुरक्षा और व्यवस्थाएँ की हैं।