नेपाल : के बाद अब यूरोप में भी शुरू हुआ विरोध का सिलसिला
दुनिया भर में जारी राजनीतिक अशांति के बीच अब फ्रांस में प्रदर्शन की आग भड़क उठी है। पेरिस और अन्य बड़े शहरों की सड़कों पर हजारों लोग उतरे हैं और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। पुलिस ने अब तक 200 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है। यह स्थिति तब आई है जब कुछ हफ्ते पहले ही नेपाल में भी ऐसे ही विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे। अब फ्रांस में भी लोगों का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा है।
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पेरिस की सड़कों पर क्यों उमड़ रहे हैं हजारों लोग
फ्रांसीसी नागरिक सरकार की नई नीतियों से बेहद नाराज हैं। मुख्य वजह है बढ़ती महंगाई और रोजगार की कमी। लोगों का कहना है कि सरकार उनकी समस्याओं को समझने में नाकाम रही है। प्रदर्शनकारियों में मजदूर, किसान, छात्र और आम नागरिक शामिल हैं। ये सभी अलग-अलग वजहों से परेशान हैं लेकिन सबका एक ही मकसद है - सरकार से अपनी बात मनवाना। एक प्रदर्शनकारी ने बताया, हमारी आवाज सुनी नहीं जा रही। अब हमारे पास सड़कों पर उतरने के अलावा कोई चारा नहीं बचा।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तनातनी की स्थिति
शुरुआत में शांतिपूर्ण रहे फ्रांस में प्रदर्शन अब हिंसक होते जा रहे हैं। कई जगह प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई है। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया है। राजधानी पेरिस के कई इलाकों में यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है। मेट्रो सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं। दुकानें और बाजार बंद रहे हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वे शांति बनाए रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। लेकिन कुछ प्रदर्शनकारी हिंसा पर उतारू हैं।
सरकार की तरफ से आया कड़ा बयान और चेतावनी
फ्रांस के गृह मंत्री ने प्रदर्शनकारियों को सख्त चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सरकार शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर जरूरी कदम उठाएगी। प्रधानमंत्री ने भी एक बयान जारी करके कहा है कि सरकार लोगों की समस्याओं को समझती है। लेकिन हिंसा का रास्ता सही नहीं है। राष्ट्रपति ने देश की जनता से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि बातचीत से ही समस्याओं का हल निकल सकता है।
आर्थिक हालात और बेरोजगारी बनी मुख्य वजह
विशेषज्ञों का मानना है कि फ्रांस में प्रदर्शन की मुख्य वजह देश की खराब आर्थिक स्थिति है। कोरोना काल के बाद से ही यहां की अर्थव्यवस्था संभल नहीं पाई है। बेरोजगारी की दर लगातार बढ़ रही है। खासकर युवाओं में नौकरी की कमी एक गंभीर समस्या बन गई है। इसके अलावा खाने-पीने की चीजों के दाम भी बहुत बढ़ गए हैं। किसानों की हालत भी अच्छी नहीं है। उन्हें अपनी फसल का सही दाम नहीं मिल रहा। इस वजह से वे भी इन विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो गए हैं।
दूसरे यूरोपीय देशों में भी बढ़ रही है बेचैनी
फ्रांस में चल रहे प्रदर्शन सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं हैं। पड़ोसी देशों में भी लोग चिंतित हैं। जर्मनी, इटली और स्पेन में भी ऐसी ही समस्याएं दिख रही हैं। यूरोपीय संघ के नेता इस स्थिति पर गौर कर रहे हैं। उन्होंने फ्रांस सरकार से बातचीत करके मामले को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की सलाह दी है। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया भी इन फ्रांस में प्रदर्शन पर नजर रखे हुए है। दुनिया भर के समाचार चैनल यहां की स्थिति को लाइव दिखा रहे हैं।
आने वाले दिनों में क्या हो सकता है और लोगों की उम्मीदें
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगले कुछ दिन फ्रांस के लिए बहुत महत्वपूर्ण होंगे। अगर सरकार प्रदर्शनकारियों की मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं करती, तो हालात और बिगड़ सकते हैं। प्रदर्शनकारी नेताओं ने कहा है कि वे तब तक सड़कों पर रहेंगे जब तक उनकी बात नहीं सुनी जाती। उनकी मुख्य मांगें हैं - नौकरियों में बढ़ोतरी, महंगाई पर काबू और किसानों को बेहतर सहायता। आम लोगों की उम्मीद है कि सरकार और प्रदर्शनकारी बातचीत की मेज पर आएंगे। हिंसा से किसी को फायदा नहीं होगा। शांति से ही सभी समस्याओं का समाधान निकल सकता है। फ्रांस एक लोकतांत्रिक देश है जहां लोगों को अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है। उम्मीद है कि यह विरोध भी शांतिपूर्ण तरीके से खत्म होगा और देश में फिर से सामान्य स्थिति लौट आएगी।
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