After Nepal now the Philippines : में भी जनता का गुस्सा, सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे हजारों लोग
नेपाल के बाद अब फिलीपींस में भी लोगों का गुस्सा खुलकर सामने आ गया है। हजारों नागरिक सड़कों पर उतर आए हैं और सरकार पर भ्रष्टाचार तथा अमीरों को लाभ पहुंचाने के आरोप लगा रहे हैं। राजधानी मनीला से लेकर प्रांतीय इलाकों तक प्रदर्शन हो रहे हैं। जनता की मांग है कि सरकार अमीरों और कारोबारी घरानों को दिए जाने वाले ठेकों की जांच करे और पारदर्शिता कायम करे।
नेपाल के बाद अब फिलीपींस में भी सरकार के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। राजधानी मनीला और कई बड़े शहरों में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। लोग सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे हैं और भ्रष्ट व्यवस्था को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। फिलीपींस की जनता का यह गुस्सा एक हाई-प्रोफाइल अमीर दंपत्ति सारा और पैसिफिको डिस्काया के विवादित बयान और उनके दिखाए गए ऐशो-आराम की वजह से सामने आया है।
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सरकार पर अमीरों को फायदा पहुंचाने का आरोप
फिलीपींस की जनता का कहना है कि उनकी सरकार ने वर्षों से अमीर कारोबारियों और खास लोगों को फायदा पहुंचाया है, जबकि आम जनता महंगाई, बेरोजगारी और बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रही है। विरोध के केंद्र में हैं कारोबारी जोड़े सारा और पैसिफिको डिस्काया। इन पर आरोप है कि इनकी कंपनियों को सरकारी ठेके आसानी से मिल जाते हैं और वे सत्ता से मिले सीधे संबंधों का उपयोग करते हैं।
जनता का कहना है कि सरकार इन लोगों को लगातार अरबों पेसो के ठेके देती है, जबकि साधारण नागरिकों की हालत दिन-ब-दिन खराब हो रही है। यही कारण है कि लोगों ने सड़कों पर निकलकर अपनी नाराजगी जाहिर की।
मीडिया इंटरव्यू ने भड़काई आग
असल गुस्से की शुरुआत उस समय हुई जब दंपत्ति सारा और पैसिफिको डिस्काया ने मीडिया को इंटरव्यू दिया। इस इंटरव्यू में उन्होंने अपने घर और दर्जनों यूरोपीय और अमेरिकी लग्ज़री कारों का प्रदर्शन किया। जब यह रिपोर्ट टीवी और सोशल मीडिया पर चली तो लोग आक्रोशित हो उठे। गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रही आबादी में यह महसूस हुआ कि उनकी मेहनत और टैक्स का पैसा भ्रष्टाचारियों और अमीरों की ऐशो-आराम में जा रहा है।
इंटरव्यू के कुछ ही घंटों बाद राजधानी मनीला से लेकर कई प्रांतों में लोग सड़कों पर उतरे। स्कूल और कॉलेज के छात्र, मजदूर, महिलाएं और आम नागरिक एक साथ जमा हुए और सरकार से सवाल पूछने लगे।
हजारों लोग सड़कों पर उतरे
फिलीपींस की कई सड़कों पर विरोध प्रदर्शन इतना बड़ा हो गया कि पुलिस बल तैनात करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में पोस्टर और बैनर लिए सरकार विरोधी नारे लगाए। जगह-जगह लोगों ने मार्च निकाला और संसद भवन के बाहर भीड़ इकट्ठी हो गई। प्रदर्शनकारियों ने साफ कहा कि जब तक भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लगेगी और अमीरों को सरकारी फायदा मिलना बंद नहीं होगा, तब तक वे चुप नहीं बैठेंगे।
प्रदर्शन की वजह से कई जगहों पर ट्रैफिक जाम लग गया। बाजार और दुकानें बंद हो गईं। लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने कई बार उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन जनता का आक्रोश इतना ज्यादा था कि भीड़ बेकाबू हो गई। सोशल मीडिया पर भी यह आंदोलन वायरल हो गया और देशभर के नागरिकों ने इसका समर्थन करना शुरू कर दिया।
नेपाल जैसा आंदोलन बनने की आहट
नेपाल में हाल ही में जिस तरह से छात्रों और युवा पीढ़ी ने भ्रष्टाचार और राजनीतिक सिस्टम के खिलाफ विद्रोह शुरू किया, उसी तरह अब फिलीपींस में भी जनता संगठित हो रही है। नेपाल में हुए विरोध का असर पड़ोसी देशों तक पहुंच चुका है और अब फिलीपींस की जनता इसे उदाहरण की तरह देख रही है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह सिर्फ शुरुआत है और आने वाले समय में यह आंदोलन और भी बड़ा रूप ले सकता है। यदि सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाए तो फिलीपींस को लंबे समय तक राजनीतिक अस्थिरता झेलनी पड़ सकती है।
सरकार की सफाई और जनता का अविश्वास
फिलीपींस सरकार ने इस पूरे मामले पर सफाई दी है कि ठेके निष्पक्ष प्रक्रिया से दिए गए हैं और अमीर दंपत्ति के दिखावे का सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन जनता अब इन दावों पर भरोसा नहीं कर रही। आम लोगों का कहना है कि लगातार अमीरों को ही लाभ मिलना यह साबित करता है कि सिस्टम में खामी है।
जनता की सबसे बड़ी शिकायत यह भी है कि सरकार गरीब और मध्यम वर्ग की मुश्किलें हल करने में नाकाम रही है। महंगाई इतनी बढ़ गई है कि लोगों के लिए रोज़मर्रा की चीज़ें खरीदना मुश्किल हो गया है। वहीं दूसरी ओर, टीवी पर राजनीतिक रिश्तेदारों और व्यापारियों की शान-ओ-शौकत दिखती है। यही विरोध का सबसे गहरा कारण बना।
जनता की मांग और भविष्य की चुनौती
प्रदर्शन कर रही जनता की सबसे पहली मांग है कि सरकार भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई करे। इसके अलावा, वे चाहते हैं कि सभी सरकारी ठेके की प्रक्रिया पारदर्शी और सार्वजनिक की जाए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि टैक्स का पैसा देश के विकास और गरीब लोगों की जरूरतों पर खर्च होना चाहिए, न कि अमीरों की ऐशो-आराम जिंदगी पर।
यह आंदोलन फिलहाल शांतिपूर्ण बताया जा रहा है, लेकिन कुछ जगहों पर पुलिस और लोगों के बीच झड़प की खबरें भी सामने आई हैं। सरकारी इमारतों के बाहर सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ा दी गई है।
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