जाते-जाते भी अपनों को बचा गई निक्की भाटी! पुलिस जांच में सामने आए चौंकाने वाले खुलासे
ग्रेटर नोएडा की रहने वाली 28 वर्षीय निक्की भाटी की दर्दनाक मौत ने इलाके में सनसनी फैला दी है। जलने से हुई इस मौत के पीछे की कहानी किसी फिल्मी पटकथा जैसी लगती है। शुरुआत में जो हादसा बताया गया था, वह धीरे-धीरे एक गहरी सच्चाई की ओर इशारा कर रहा है।
डॉक्टरों को दिया अंतिम बयान
गंभीर हालत में अस्पताल ले जाए जाने के बाद निक्की ने डॉक्टरों से कहा कि वह खाना बनाते समय सिलेंडर फटने से जल गई।इस बयान को फोर्टिस अस्पताल के मेडिको-लीगल सर्टिफिकेट (एमएलसी नंबर 703) में दर्ज किया गया।हालांकि, यह बयान कानूनी रूप से मान्य तभी माना जाता जब मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज होता।दुर्भाग्य से, सफदरजंग अस्पताल ले जाते समय निक्की की मौत हो गई और पुलिस ऐसा नहीं कर पाई।
सिलेंडर ब्लास्ट नहीं, घर से मिले अहम सबूत
पुलिस की गहन जांच में बड़ा खुलासा हुआ। घर से सिलेंडर ब्लास्ट के कोई निशान नहीं मिले।बल्कि, वहाँ से खाली थिनर की बोतल और लाइटर बरामद हुए।ये दोनों वस्तुएं इस ओर इशारा करती हैं कि आग लगने की असली वजह कुछ और थी।
बहन कंचन की सुरक्षा के लिए छिपाई सच्चाई?
निक्की की बहन कंचन की शादी भी उसी परिवार में हुई है। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि निक्की ने जानबूझकर सच्चाई छिपाई, ताकि उसकी बहन की शादी और भविष्य पर कोई खतरा न आए।
शायद इसी कारण उसने अपने अंतिम बयान में किसी पर आरोप नहीं लगाया।
परिवार का दर्द और पोस्टमार्टम विवाद
निक्की की मौत के बाद परिवार ने पोस्टमार्टम कराने से इंकार कर दिया था।परिवार का कहना था कि वे उसकी डेड बॉडी को और क्षतिग्रस्त नहीं करना चाहते।लेकिन पुलिस और प्रशासन के समझाने पर वे मान गए।रिपोर्ट में साफ लिखा गया कि निक्की की मौत आग से हुए गंभीर जलने के कारण हुई।
कंचन की बहादुरी पानी डालकर बुझाई आग
घटना के वक्त कंचन ने चीखें सुनीं और दौड़कर निक्की को देखा।वह आग की लपटों में घिरी हुई थी और सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी।कंचन ने एक हाथ से मोबाइल फोन पकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ से पानी डालकर आग बुझाने की कोशिश की।इस दौरान उसने घटना का कुछ हिस्सा वीडियो में भी रिकॉर्ड कर लिया।हालांकि, आग की लपटें इतनी तेज थीं कि निक्की बेहोश हो गई और उसे फौरन अस्पताल ले जाया गया।
समाज के लिए सीख
निक्की की यह दर्दनाक मौत कई सवाल खड़े करती है:क्यों महिलाएं अक्सर सच्चाई छिपाकर अपनों को बचाने की कोशिश करती हैं?घरेलू हिंसा और पारिवारिक दबाव का महिलाओं पर कितना गहरा असर पड़ता है?क्यों आज भी कई मामलों में महिलाएं अपने अधिकारों और सुरक्षा के लिए आवाज़ उठाने से डरती हैं?निक्की की कहानी एक साहस और बलिदान की मिसाल है। उसने अपनी बहन और परिवार की भलाई के लिए अपने अंतिम समय में भी सच्चाई छिपाई। लेकिन यह भी सच है कि उसकी चुप्पी ने कई रहस्यों को जन्म दिया है।