उत्तर प्रदेश के बागपत जिले का निरपुड़ा गांव इन दिनों चर्चा में है। यहां एक रिटायर्ड इंस्पेक्टर प्रेमवीर राणा पर भ्रष्टाचार यानी आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज हुआ। इस खबर के बाद गांव में ऐसा माहौल बना जैसे कोई बड़ा पर्व मनाया जा रहा हो। शिकायतकर्ता राममेहर नाम के बुजुर्ग ने पूरे गांव को दावत दी और कहा कि यह जश्न ईमानदारी की जीत का प्रतीक है।
शिकायतकर्ता ने नाम छिपाने के बजाय सबके सामने की घोषणा
राममेहर करीब सत्तर साल के बुजुर्ग हैं जिन्होंने अपने ही गांव के रिटायर्ड इंस्पेक्टर प्रेमवीर राणा के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। उनका कहना है कि “गलत करने वाले को डर होना चाहिए, सही बोलने वाले को नहीं।” उन्होंने न केवल अपनी पहचान छिपाई नहीं, बल्कि खुलकर कहा कि वे ही शिकायतकर्ता हैं ताकि बाकी लोग भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत जुटा सकें।
गांव में 500 से ज्यादा लोगों की दावत, हर गली में खुशबू और चर्चा
जब प्रशासन ने प्रेमवीर राणा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की तो निरपुड़ा गांव में जश्न का माहौल बन गया। चाय, पकौड़े, खीर और पूरी की महक गलियों में फैल गई। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इस ‘ईमानदारी भोज’ का हिस्सा बने। 500 से अधिक लोगों को बुलाया गया था और सभी ने मिलकर भ्रष्टाचार पर प्रहार करने वाली इस कार्रवाई की सराहना की।
योगी सरकार के पोस्टर और नारे बने चर्चा का विषय
दावत के दौरान ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों और नारों वाले बैनर लगाए। दीवारों पर लिखा गया – “भ्रष्टाचार पर प्रहार, यही है जनता का सत्कार।” ग्रामीणों का कहना था कि योगी सरकार की सख्त छवि ही ऐसी कार्रवाई का कारण बनी है और यही वजह है कि लोगों ने इस पल को त्योहार की तरह मनाया।
प्रेमवीर राणा पर करोड़ों की संपत्ति का आरोप
गांव वालों का कहना है कि रिटायर इंस्पेक्टर प्रेमवीर राणा को पुश्तैनी तौर पर केवल तीन बीघा जमीन मिली थी। लेकिन सेवा के दौरान उन्होंने मेरठ, नोएडा, शामली और अन्य जिलों में करोड़ों की संपत्ति जुटा ली। निरपुड़ा गांव में लंबे समय से चर्चा थी कि उनके पास अचानक इतनी बड़ी संपत्ति कैसे आ गई। इसी सवाल ने राममेहर को शिकायत दर्ज करवाने की हिम्मत दी।
चार साल की लंबी लड़ाई के बाद आई राहत
राममेहर ने यह शिकायत करीब चार साल पहले की थी। शुरुआत में उन्हें धमकियां मिलीं, गांव के कुछ लोगों पर झूठे मुकदमे भी दर्ज हुए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। आखिरकार, राज्य सरकार ने जांच करवाई और अब उन पर केस दर्ज हो गया। कार्रवाई की खबर मिलते ही ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई। लोगों ने कहा कि "अब भी यदि कोई गलत करेगा, उसे सजा जरूर मिलेगी।"
गांव में सामाजिक एकता और भरोसे की नई शुरुआत
इस दावत ने गांव के लोगों को एकजुट कर दिया। कई परिवार जो पहले संपर्क में नहीं थे, अब इस अवसर पर साथ आए। महिलाओं ने भोजन बनाया, युवाओं ने पंडाल सजाए और बुजुर्गों ने अपने अनुभव साझा किए। यह सिर्फ एक दावत नहीं थी, बल्कि समाज में न्याय और सच्चाई की जीत का जश्न था।
शासन के प्रति लोगों का भरोसा और संदेश
ग्रामीणों का कहना था कि योगी सरकार ने यह दिखा दिया कि कानून सबके लिए बराबर है। चाहे कोई इंस्पेक्टर ही क्यों न हो, अगर उसने गलत किया है तो कार्रवाई जरूर होगी। इस भरोसे ने गांव में नई उम्मीद जगाई है। दावत में शामिल लोगों ने कहा कि ऐसी कार्रवाइयां भ्रष्टाचार मुक्त उत्तर प्रदेश की ओर कदम हैं।
भ्रष्टाचार पर प्रहार, ईमानदारी का त्योहार
निरपुड़ा गांव की यह कहानी पूरे प्रदेश के लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है। जिस तरह से ग्रामीणों ने ईमानदारी का उत्सव मनाया, वह यह बताता है कि अब लोग चुप नहीं रहेंगे। राममेहर जैसे लोग इस बदलाव की मिसाल हैं जिनसे सिस्टम को पारदर्शी बनाने में मदद मिलेगी। गांव के एक युवा ने कहा – “हम चाहते हैं आने वाली पीढ़ी को यह पता रहे कि ईमानदारी पर भी गर्व किया जा सकता है।”
अंत में, सीख यही है कि आवाज उठाने वाला ही बदलाव लाता है
इस पूरे घटनाक्रम ने साबित किया कि जब कोई आम इंसान सच के लिए खड़ा होता है, तो बदलाव जरूर होता है। बागपत के इस छोटे से गांव ने यह दिखाया कि भ्रष्टाचार पर न केवल नाराजगी जताई जा सकती है, बल्कि उसका जश्न भी मनाया जा सकता है। निरपुड़ा आज सिर्फ एक गांव नहीं रहा, बल्कि वह ईमानदारी की मिसाल बन गया है।
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