NPS, UPS और APY में बड़ा बदलाव: नई निवेश गाइडलाइन में Gold-Silver ETF और Nifty 250 में निवेश की अनुमति

पेंशन रेगुलेटर PFRDA ने NPS, UPS और APY निवेश नियमों में बड़ा अपडेट करते हुए Gold-Silver ETFs, Nifty 250 और AIF Category I-II में निवेश की अनुमति दी है। नई गाइडलाइन तुरंत लागू हो गई है।

NPS, UPS और APY में बड़ा बदलाव: नई निवेश गाइडलाइन में Gold-Silver ETF और Nifty 250 में निवेश की अनुमति

NPS, UPS और APY में बड़ा बदलाव: अब गोल्ड-सिल्वर ETFs और Nifty 250 में भी निवेश की सुविधा

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS), यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) और अटल पेंशन योजना (APY) में निवेश के नियमों को PFRDA ने पूरी तरह नया रूप दे दिया है। नई गाइडलाइंस के बाद अब पेंशन फंड्स पारंपरिक डेट और इक्विटी पोर्टफोलियो से आगे बढ़कर गोल्ड ETF, सिल्वर ETF, Nifty 250 Index और Alternative Investment Funds (कैटेगरी I और II) में भी निवेश कर सकेंगे। यह अपडेट पेंशन निवेशकों को लंबी अवधि में अधिक स्थिरता, बेहतर डायवर्सिफिकेशन और जोखिम-समायोजित रिटर्न देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

नई बदलती अर्थव्यवस्था में डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो की जरूरत बढ़ गई है, और इसी को ध्यान में रखते हुए पेंशन बॉडी ने निवेश विकल्पों को विस्तार दिया है, ताकि निवेशकों को बाजार की अस्थिर स्थिति में भी संतुलित और सुरक्षित रिटर्न मिल सके।

 

पोर्टफोलियो में आएगा स्थिर निवेश का नया दौर

पहली बार पेंशन स्कीमों को गोल्ड और सिल्वर ETF में निवेश की अनुमति दी गई है। यह दोनों एसेट क्लास लंबे समय से सुरक्षित निवेश विकल्प माने जाते हैं और बाजार में उतार–चढ़ाव होने पर पोर्टफोलियो को स्थिरता प्रदान करते हैं। इस बदलाव से पेंशन फंड्स का कुल निवेश ढांचा पहले की तुलना में अधिक संतुलित हो जाएगा।

 

Nifty 250 Index से मिलेगा व्यापक इक्विटी एक्सपोजर

इक्विटी निवेश की सीमा भले 25% तय है, लेकिन नई गाइडलाइंस के तहत अब पेंशन फंड्स को Nifty 250 Index में निवेश की छूट मिल गई है। इससे उन्हें लार्ज कैप के साथ–साथ मिड कैप कंपनियों में भी एक्सपोजर प्राप्त होगा।
साथ ही 90% इक्विटी निवेश टॉप 200 स्टॉक्स में ही रखने का नियम भी जारी है ताकि जोखिम नियंत्रण बना रहे।

 

G-Secs में 65% तक निवेश की अनुमति

गवर्नमेंट सिक्योरिटीज NPS और APY का सबसे सुरक्षित निवेश क्षेत्र रही हैं और अब भी रहेंगी। पेंशन फंड्स अपने पोर्टफोलियो का 65% तक हिस्सा G-Secs में रख सकेंगे। इससे लंबे समय तक सुरक्षित और अनुमानित रिटर्न पाने की संभावना मजबूत होती है।

 

45% तक कॉर्पोरेट डेट निवेश का रास्ता खुला

कॉर्पोरेट डेट में 45% तक निवेश की मंजूरी दी गई है, लेकिन इसके लिए कड़े क्रेडिट नियम लागू किए गए हैं।
ज़्यादातर बॉन्ड्स में AA या उससे ऊपर की रेटिंग जरूरी होगी। यहां बैंक टर्म डिपॉजिट्स, म्यूनिसिपल बॉन्ड्स, इंटरनेशनल संस्थानों के बॉन्ड्स और डेट म्यूचुअल फंड्स को भी शामिल किया गया है।

 

लिक्विडिटी मजबूत करने के लिए शॉर्ट–टर्म इंस्ट्रूमेंट्स

पोर्टफोलियो की लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए T-bills, CPs, CDs और लिक्विड फंड्स में 10% निवेश की अनुमति जारी रहेगी। यह कैटेगरी दैनिक कैश फ्लो मैनेजमेंट के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

 

AIF, REITs, InvITs और गोल्ड–सिल्वर ETFs में सीमित निवेश

नई गाइडलाइंस के तहत 5% तक निवेश इन वैकल्पिक और स्ट्रक्चर्ड एसेट्स में किया जा सकेगा।
सरकारी स्कीमों के लिए AIF (कैटेगरी I और II) में 1% निवेश सीमा तय की गई है।
गोल्ड और सिल्वर ETFs भी इसी कैटेगरी में शामिल किए गए हैं।

 

रिस्क कंट्रोल के लिए सख्त नियम

निवेश में जोखिम को नियंत्रित करने के लिए कई सीमाएं तय की गई हैं:

  • किसी एक उद्योग में कुल AUM का 15% से अधिक निवेश नहीं।

  • स्पॉन्सर कंपनियों में इक्विटी निवेश की सीमा 5%

  • नॉन–स्पॉन्सर कंपनियों में यह सीमा 10%

  • InvITs/REITs में कुल एक्सपोजर 3%, और किसी एक issue पर 5% की सीमा।

 

नया निवेश ढांचा देगा बेहतर रिटर्न की दिशा

गोल्ड–सिल्वर ETFs, Nifty 250 Index और AIFs जैसे नए विकल्प जुड़ने के बाद NPS–UPS–APY का निवेश ढांचा पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और डायवर्सिफाइड हो गया है।
यह बदलाव न सिर्फ जोखिम कम करेगा बल्कि लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न क्षमता भी प्रदान करेगा। PFRDA का यह कदम पेंशन निवेशों को आधुनिक वित्तीय बाजार के अनुरूप बनाने की दिशा में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है।