पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में 10 से 13 सितंबर के बीच हुए संघर्ष ने पूरे देश को हिला दिया। इस दौरान पाकिस्तान की सेना और आतंकवादियों के बीच हुई भारी मुठभेड़ में 45 आतंकी मारे गए, जबकि 19 सैनिकों ने अपनी जान गंवा दी। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान पहले से ही राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा है।
सेना और आतंकवादियों के बीच चार दिनों तक चला खूनी संघर्ष
रिपोर्टों के मुताबिक, यह मुठभेड़ कई इलाकों में फैली और लगातार चार दिनों तक चली। आतंकवादियों ने घात लगाकर सेना पर हमला किया, लेकिन जवाबी कार्रवाई में सेना ने पूरे दमखम के साथ लड़ाई लड़ी। सेना ने दावा किया कि मारे गए आतंकवादी अफ़ग़ानिस्तान से घुसपैठ करके आए थे और कई समय से पाकिस्तान में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहे थे।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का दिया आश्वासन
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की और साफ कहा कि आतंकवाद के खिलाफ अब किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा और शांति के लिए सेना को हर जरूरी कदम उठाने की पूरी छूट दी जाएगी। प्रधानमंत्री ने यह भी माना कि अफ़ग़ान सीमा से लगातार आतंकी गतिविधियों का खतरा बना हुआ है और इस पर सख्त निगरानी जरूरी है।
अवैध अफ़ग़ान नागरिकों की वापसी पर भी दिया गया जोर
प्रधानमंत्री शरीफ ने अपने बयान में साफ कहा कि पाकिस्तान में रह रहे अवैध अफ़ग़ान नागरिकों को जल्द से जल्द वापस भेजा जाएगा। उनका मानना है कि कई आतंकी इन्हीं समूहों के सहारे पाकिस्तान में पनाह पाते हैं और देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डालते हैं। इस मुद्दे पर पाकिस्तान सरकार ने पहले भी आवाज उठाई थी लेकिन अब इस दिशा में कड़े कदम उठाने की तैयारी दिखाई दे रही है।
खैबर पख्तूनख्वा क्यों बनता जा रहा है आतंकवादियों का गढ़
खैबर पख्तूनख्वा की भौगोलिक स्थिति हमेशा से पाकिस्तान के लिए चुनौती रही है। अफ़ग़ानिस्तान से सटी सीमा और कठिन पहाड़ी इलाकों के कारण यह क्षेत्र आतंकवादियों के छिपने और regroup करने का सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है। यही कारण है कि पाकिस्तानी सेना को यहां बार-बार बड़े ऑपरेशन चलाने पड़ते हैं। स्थानीय लोगों के लिए भी यह स्थिति बेहद डरावनी बन गई है, क्योंकि वे आए दिन गोलियों और धमाकों की आवाज़ों में जी रहे हैं।
19 सैनिकों की शहादत ने पाकिस्तान को गहरे दुख में डुबो दिया
इस संघर्ष में 19 सैनिक अपनी जान गंवा बैठे। इन जवानों की शहादत ने पूरे पाकिस्तान को शोक में डाल दिया। परिवारों में मातम का माहौल है और आम जनता में गुस्सा भी देखा जा रहा है। लोग मांग कर रहे हैं कि सरकार और सेना आतंकवाद के खिलाफ और भी कठोर रुख अपनाए। सैनिकों की यह शहादत यह दिखाती है कि पाकिस्तान में आतंकवाद की जड़ें कितनी गहरी हैं।
पाकिस्तान के लिए आतंकवाद की चुनौती और आगे की राह
यह पहली बार नहीं है जब खैबर पख्तूनख्वा में इस तरह की भीषण झड़प हुई हो। बीते कुछ सालों में यहां कई बड़े आतंकी हमले हो चुके हैं। पाकिस्तान सरकार और सेना भले ही दावा करती हो कि आतंकवाद पर काबू पाया जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि हालात अब भी गंभीर हैं। सवाल यह है कि पाकिस्तान इस चुनौती से निपटने के लिए लंबी रणनीति कब बनाएगा।