आज भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत के लिए एक दुखद दिन है। प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी का आज सुबह मिर्जापुर स्थित अपने निवास पर निधन हो गया है। उनकी पुत्री और केबी कॉलेज की प्रोफेसर नम्रता मिश्रा ने इस दुखद खबर की पुष्टि की है। संगीत प्रेमियों के लिए यह एक अपूरणीय क्षति है।
परिवार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार अंतिम क्षण
प्रो. नम्रता मिश्रा ने बताया कि उनके पिता का निधन आज सुबह के समय हुआ है। वे अपने मिर्जापुर के घर में ही अंतिम सांस ली। परिवारजनों का कहना है कि कुछ दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी। बुजुर्ग होने के कारण उनकी सेहत में गिरावट आ रही थी। सुबह के समय जब परिवारजन उन्हें जगाने गए तो पता चला कि वे इस दुनिया को छोड़कर चले गए हैं।
डॉक्टरों के अनुसार उन्होंने शांति से अपनी अंतिम सांस ली। परिवार के सदस्य इस समय गहरे दुख में डूबे हुए हैं। नम्रता मिश्रा ने बताया कि पिता जी जीवन के अंतिम समय तक संगीत के प्रति समर्पित रहे।
संगीत जगत के एक महान कलाकार का जीवन परिचय
पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म मिर्जापुर में ही हुआ था। बचपन से ही उनका रुझान संगीत की तरफ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मिर्जापुर में ही प्राप्त की थी। संगीत की शिक्षा उन्होंने कई प्रसिद्ध गुरुओं से ली थी। उनकी आवाज में एक अलग ही जादू था जो सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर देता था।
वे मुख्य रूप से ध्रुवपद और खयाल गायकी के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी गायकी में शुद्धता और गहराई दोनों मिलती थी। संगीत के क्षेत्र में उनका योगदान अमूल्य है। वे न केवल एक बेहतरीन गायक थे बल्कि एक अच्छे गुरु भी थे।
शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में अमूल्य योगदान
पंडित छन्नूलाल मिश्र ने अपने जीवन के कई दशक संगीत की सेवा में बिताए हैं। उन्होंने देश भर में अनेक कार्यक्रम किए और हजारों लोगों को अपनी मधुर आवाज से मंत्रमुग्ध किया। उनकी गायकी में रागों की शुद्धता और भावनाओं की गहराई दिखाई देती थी।
उन्होंने कई युवा कलाकारों को प्रशिक्षण दिया है। उनके शिष्य आज भी देश विदेश में उनकी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। शास्त्रीय संगीत के संरक्षण में उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। वे मानते थे कि संगीत केवल मनोरंजन नहीं बल्कि आत्मा की भाषा है।
पारिवारिक जीवन
पंडित जी का पारिवारिक जीवन भी बहुत सुखी था। उनकी पुत्री प्रो. नम्रता मिश्रा केबी कॉलेज में प्रोफेसर हैं और शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं। परिवार के सभी सदस्य कला और संस्कृति से जुड़े हुए हैं। पंडित जी अपने परिवार के साथ बहुत खुश रहते थे।
वे एक सरल और विनम्र इंसान थे। उनके व्यक्तित्व में कोई दिखावा नहीं था। वे हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते थे। उनके मिलनसार स्वभाव के कारण उन्हें सभी प्यार करते थे।
संगीत जगत में छोड़ी गई अमिट छाप और विरासत
पंडित छन्नूलाल मिश्र ने भारतीय संगीत जगत में एक अमिट छाप छोड़ी है। उनकी गायकी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी। उन्होंने साबित किया कि शास्त्रीय संगीत की परंपरा को कैसे आगे बढ़ाना चाहिए।
उनके रिकॉर्ड किए गए गाने आज भी संगीत प्रेमियों के बीच बहुत पसंद किए जाते हैं। उनकी आवाज में एक ऐसी मिठास थी जो दिल को छू जाती थी। वे मानते थे कि संगीत में भगवान का वास होता है।
श्रद्धांजलि
मिर्जापुर के स्थानीय लोगों ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। संगीत जगत के कई प्रसिद्ध कलाकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। सभी का कहना है कि उनका जाना भारतीय संगीत जगत के लिए एक बड़ी हानि है।
स्थानीय प्रशासन और सांस्कृतिक संस्थाओं ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उनका कहना है कि पंडित छन्नूलाल मिश्र जैसे महान कलाकार सदियों में एक बार पैदा होते हैं।
आज भारतीय शास्त्रीय संगीत ने अपना एक चमकता सितारा खो दिया है। लेकिन उनकी दी गई शिक्षा और संगीत की विरासत हमेशा जीवित रहेगी। उनकी आत्मा को शांति मिले और उनका परिवार इस दुख की घड़ी में हिम्मत रख सके। पंडित छन्नूलाल मिश्र जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
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