Panipat school incident : मासूम छात्र को उल्टा लटकाकर की पिटाई, शिक्षा व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल

पानीपत के एक प्राइवेट स्कूल में दूसरी कक्षा के मासूम बच्चे के साथ हुई क्रूरता ने पूरे समाज को झकझोर दिया है। होमवर्क न करने पर शिक्षिका के इशारे पर वैन ड्राइवर ने बच्चे को पैर बांधकर उल्टा लटकाया और बेरहमी से पिटाई की। स्कूल प्रबंधन ने 45 दिन तक मामले को दबाने की कोशिश की, लेकिन सच्चाई सामने आने के बाद प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई शुरू की।

Panipat school incident : मासूम छात्र को उल्टा लटकाकर की पिटाई, शिक्षा व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल

खबर का सार AI ने दिया · GC Shorts ने रिव्यु किया

    पानीपत के एक नामी स्कूल में दो माह पहले जो हुआ, उसने हर किसी को अंदर से हिला दिया है। दूसरी कक्षा के एक मासूम बच्चे को सिर्फ इसलिए सजा दी गई, क्योंकि उसने अपना होमवर्क पूरा नहीं किया था। शिक्षक ने उसे ऐसी सजा दी, जिसकी कल्पना भी आम व्यक्ति नहीं कर सकता। प्रशासनिक गड़बड़ियों और शिक्षकों के कठोर रवैये की खबरें आती रही हैं, लेकिन यह मामला सामान्य नहीं है। स्कूल में क्रूरता का यह नया चेहरा बच्चों की सुरक्षा और स्कूल सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

     

    बच्चे को वैन चालक से पैर बांधकर उल्टा लटका दिया गया

    मासूम छात्र का दर्द और उसकी बेचैनी सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। होमवर्क न करने पर शिक्षिका ने सजा के तौर पर बच्चे को विद्यालय की वैन में भेजा, जहां वैन चालक ने उसके पैर कपड़े से बांधे और उसे सीधेतौर पर वैन के अंदर उल्टा लटका दिया। मासूम की चीखें स्कूल के गलियारों तक पहुंची, लेकिन वहां मौजूद लोगों ने चुप्पी साध ली। किसी ने भी सामने आकर बच्चे को बचाने की कोशिश नहीं की, जिसे देखकर समाज की संवेदनहीनता भी दिखती है।

     

    वैन चालक ने बेरहमी से किया बच्चे की पिटाई, स्कूल प्रबंधन ने 45 दिन तक दबाया मामला

    हैरानी की बात यह रही कि मासूम को उल्टा लटकाकर छोड़ने के बाद भी सबकुछ खत्म नहीं हुआ। वैन चालक ने बच्चे की डंडे से बुरी तरह पिटाई की। शरीर पर चोट के निशान साफ नजर आने लगे, लेकिन बच्चा डर से कुछ कह नहीं पाया। इसी बीच, स्कूल प्रबंधन ने इस गंभीर मामले को करीब 45 दिन तक दबा कर रखा। ऐसे संवेदनशील मामलों में प्रबंधन की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा होती है, लेकिन यहां चुप्पी साध लेना और सारे तथ्य छुपा लेना गंभीर सवाल पैदा करता है।

     

    मासूम की पीड़ा सुनकर माता-पिता हुए सदमे में, बच्चे ने आपबीती बताई

    घटना के कई दिन बाद जब मासूम ने डर-डर कर मां से अपनी आपबीती बताई तो परिवार की भावनाएं उफान मार गईं। माता-पिता को समझ नहीं आया कि स्कूल में ऐसा बर्ताव आखिर क्यों हुआ। बच्चे ने मां से कहा कि होमवर्क न करने के कारण उसे पैर बांधकर उल्टा लटकाया गया और वैन चालक ने मारपीट की। मां-बाप को तब अहसास हुआ कि बच्चे के शरीर पर नजर आ रहे चोट के निशान रोजमर्रा के नहीं, बल्कि किसी बड़ी ज्यादती का नतीजा हैं।

     

    शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल, बच्चों की सुरक्षा सबसे अहम

    पानीपत के इस स्कूल घटना के बाद शिक्षा व्यवस्था पर फिर सवाल उठने लगे हैं। आखिर बच्चों के भविष्य, उनकी सुरक्षा और मानसिक विकास के लिए जिम्मेदार शिक्षकों का इतना क्रूर चेहरा सामने क्यों आता है? स्कूल में क्रूरता का यह मामला देशभर के पेरेंट्स को चिंता में डाल सकता है। बच्चों के मन में स्कूल को लेकर डर बन जाना, सीखने की इच्छा खत्म होना और मानसिक स्तर पर कमजोर हो जाना शिक्षा व्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

     

    प्रशासन ने जांच शुरू की, आरोपी शिक्षक और वैन चालक पर कार्रवाई

    जैसे ही मामले की जानकारी प्रशासन तक पहुंची, तुरंत जांच शुरू की गई। पुलिस ने स्कूल जाकर स्कूल के कर्मचारी, शिक्षक, और पीड़ित बच्चे से पूछताछ की। वैन चालक और आरोपी शिक्षिका को हिरासत में लेकर उन पर उचित कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है। मामले ने इतना तूल पकड़ा कि जिला प्रशासन को खुद सक्रिय भूमिका निभानी पड़ी। पेरेंट्स ने भी स्पष्ट किया कि वे इस मामले को जल्दी दबने नहीं देंगे और बच्चे को न्याय दिलाया जाएगा।

     

    बच्चों के साथ सख्ती से बर्ताव करना समाधान नहीं

    बच्चों को सजा देना या डांटना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इसमें इंसानियत और बच्चों की भावनाओं का ध्यान रखना जरूरी है। यदि होमवर्क न करने पर बच्चे को दर्दनाक सजा दी जाए, तो उस पर मानसिक असर पड़ता है। इससे उसकी सीखने की रुचि कम हो सकती है और वह समाज से कटने लगता है। शिक्षकों की भूमिका सिर्फ पढ़ाने की नहीं, बल्कि बच्चों को सही दिशा देने की है, इसलिए सजा या सख्ती देने के तरीकों पर एक बार फिर सोचने की जरूरत है।

     

    स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी, पारदर्शिता और सुरक्षा सबसे जरूरी

    इस घटनाक्रम ने पूरे प्रदेश में शिक्षा संस्थानों की जवाबदेही, पारदर्शिता और बच्चों की सुरक्षा पर जोर दिया है। हर स्कूल का यह कर्तव्य है कि बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे और किसी भी घटना को छुपाने की बजाए पारदर्शी तरीके से जानकारी जांच विभाग तक पहुंचाए। अभिभावकों को भी स्कूल प्रबंधन से पूरी जानकारी मांगनी चाहिए और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का अहसास रखना जरूरी है।

     

    समाज के रोल को नकारना सही नहीं, मिलकर बच्चों का भविष्य बचाएं

    बच्चों के साथ क्रूरता या मारपीट किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं है। ऐसे मामलों में समाज की भूमिका भी अहम हो जाती है। यदि कहीं किसी बच्चे के साथ ज्यादती होते दिखती है तो चुप्पी साधना सही नहीं, बल्कि प्रशासन को जानकारी देकर बच्चे को सुरक्षा देना हम सबका कर्तव्य है। मिलकर ही बच्चों को सुरक्षित, खुशहाल और सशक्त बना सकते हैं।

     

    छात्र को क्रूर सजा, किसकी जवाबदेही?

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