Parali Jalane : पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश, जेल भेजने की चेतावनी
दिल्ली-एनसीआर में हर साल बढ़ते प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह पराली जलाना माना जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बार बेहद सख्त रुख अपनाया है और केंद्र सरकार से कहा है कि किसानों को रोकने के लिए यदि आवश्यक हो तो दंडात्मक कदम भी उठाए जाएं। अदालत ने संकेत दिया है कि अगर कुछ किसानों को जेल भेजा जाएगा तो संदेश पूरे देश में जाएगा और बाकी किसान भी पराली जलाने से बचेंगे।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण हर साल एक बड़ी समस्या बनकर सामने आता है और उसकी सबसे बड़ी वजहों में से एक होती है पराली जलाना। सुप्रीम कोर्ट ने इस बार बेहद सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने साफ कहा है कि वायु प्रदूषण से केवल नागरिक ही नहीं, बल्कि बच्चों और बुजुर्गों का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। अदालत ने केंद्र सरकार से यह सवाल पूछा कि आखिर अब तक किसानों को रोकने के लिए सख्त कदम क्यों नहीं उठाए गए। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर कुछ किसानों को जेल भेजा जाएगा तो इससे एक सख्त संदेश जाएगा और बाकी किसान भी ऐसा करने से बचेंगे। यह पहली बार नहीं है जब पराली पर कोर्ट सख्त हुआ है, लेकिन इस बार अदालत ने सीधे-सीधे दंडात्मक प्रावधानों पर जोर दिया है। दिल्ली और आसपास के पूरे क्षेत्र में नवंबर-दिसंबर आते ही प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ जाता है। यहां लोगों की सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। बच्चे स्कूल जाने से डरते हैं और अस्पतालों में मरीजों की संख्या अचानक बढ़ जाती है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश आने वाले दिनों में किसानों और सरकार दोनों के लिए एक बड़ा संदेश है।
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प्रदूषण का बढ़ता खतरा और लोगों की परेशानियां
भारत के किसी भी बड़े शहर की तरह दिल्ली में भी प्रदूषण साल भर चिंता का विषय रहता है। लेकिन सर्दियों में इसकी स्थिति बहुत खराब होती है। धुंध और धुएं के कारण आसमान में धूप तक नहीं दिखाई देती। डॉक्टर लगातार चेतावनी देते रहे हैं कि जो हवा दिल्ली-एनसीआर के लोग सांस के जरिए अंदर ले रहे हैं, वह किसी जहर से कम नहीं है। हर साल विशेषज्ञ बताते हैं कि सर्दी में हवा का बहाव धीमा हो जाता है, जिससे धुआं और धूल लंबे समय तक वातावरण में बनी रहती है। पराली जलाने से निकलने वाला घना धुआं इस स्थिति को और खतरनाक बना देता है। कई रिपोर्ट यह भी कहती हैं कि प्रदूषण के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है और कामकाजी लोगों को बीमारियों की वजह से छुट्टियां लेनी पड़ती हैं। प्रदूषण में सबसे ज्यादा असर गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों पर होता है, क्योंकि उनके पास राहत पाने के लिए एयर प्यूरीफायर या बड़े इलाज का खर्च उठाने की क्षमता नहीं होती। सुप्रीम कोर्ट के जजों ने खुद इस बात पर चिंता जताई कि प्रदूषण सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के हर शहर और कस्बे की समस्या बन गया है। इसलिए पराली जलाना अब सिर्फ किसानों का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे समाज से जुड़ा सवाल बन गया है।
किसानों की मजबूरी और समाधान की तलाश
जब भी बात पराली जलाने की आती है, किसान इसे मजबूरी बताते हैं। उनका कहना है कि धान की कटाई के बाद खेतों में बचे अवशेष को साफ करने का पास उनके पास कोई सस्ता और तेज विकल्प नहीं है। नमी वाले खेतों को जल्दी तैयार करने के लिए वे पराली जलाने को ही सबसे आसान तरीका मानते हैं। किसानों की यह दलील भी सही है कि मशीनी समाधानों पर खर्च ज्यादा आता है और छोटे किसानों के पास इतना पैसा नहीं होता। सरकार ने पिछले कुछ सालों में कई सब्सिडी योजनाएं चलाई हैं, लेकिन आने वाले सीजन में लाखों हेक्टेयर खेतों को समय पर खाली करने का दबाव बहुत बढ़ जाता है। ऐसे में किसान जलाने का तरीका अपनाते हैं। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर सुप्रीम कोर्ट दंडात्मक नीति लागू करने को कह रहा है तो क्या किसान इसे स्वीकार करेंगे? अगर किसानों की समस्याओं का हल नहीं निकाला गया और केवल जेल भेजने की बात की गई तो इससे किसानों और सरकार के बीच टकराव बढ़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि समाधान केवल दंड से नहीं बल्कि तकनीक और सहायता देने से आएगा। सरकार को ऐसे उपकरण उपलब्ध कराने होंगे जिनसे पराली को खाद या बिजली बनाने में इस्तेमाल किया जा सके। तभी किसान इसे जलाने के बजाय दूसरे तरीके अपनाएंगे।
सरकार की भूमिका और भविष्य की उम्मीदें
केंद्र और राज्य सरकारों को अब यह समझना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश केवल चेतावनी भर नहीं हैं। प्रदूषण की समस्या हर साल और खतरनाक रूप से सामने आ रही है। हवा जहरीली हो चुकी है और पानी तक प्रभावित हो रहा है। अगर अभी भी समाधान पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में हालात ऐसे होंगे कि सामान्य जीवन भी मुश्किल हो जाएगा। कोर्ट का सुझाव कि "कुछ किसानों को जेल भेजो" भले ही कठोर लगे, लेकिन इसका मतलब केवल इतना है कि अब स्थिति को गंभीरता से लेने की जरूरत है। सरकार को चाहिए कि वह किसानों, वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की एक साझा बैठक बुलाए और ऐसा मॉडल तैयार करे जिससे पराली जलाने की समस्या स्थायी रूप से खत्म हो सके। आधुनिक मशीनें, प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान इसका हिस्सा होने चाहिए। साथ ही उन किसानों को राहत दी जाए जिनके पास साधन नहीं हैं। अगर सही नीतियां और कदम उठाए जाएं तो पराली से होने वाले प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यह सिर्फ दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए राहत नहीं होगा, बल्कि पूरे देश के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद साबित होगा।
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