पटना के पीएमसीएच और आईजीआईएमएस जैसे नामी अस्पतालों में इन दिनों कंजंक्टिवाइटिस का संक्रमण एक बड़ी समस्या बनकर सामने आ रहा है। गुलाबी आंख कहलाने वाली यह बीमारी तेजी से शहर में फैल रही है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ सप्ताह में इन अस्पतालों में कंजंक्टिवाइटिस के मरीजों की संख्या में 20% तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हर रोज सैकड़ों लोग आंख में जलन, लालिमा और पानी आने की शिकायत लेकर डॉक्टर के पास पहुंच रहे हैं।
मानसून के मौसम में बढ़ रहा है संक्रमण, नमी से फैलता है गुलाबी आंख का रोग
विशेषज्ञों की मानें तो गुलाबी आंख का रोग मानसून के मौसम में सबसे ज्यादा फैलता है। इस दौरान वातावरण में नमी बनी रहती है, जिससे संक्रमण तेजी से फैलता है। डॉक्टर बताते हैं कि बारिश के दिनों में बंद और नमी भरे वातावरण में वायरस या बैक्टीरिया आसानी से पनप जाते हैं। यही वजह है कि इस समय पटना में कंजंक्टिवाइटिस के मरीजों की संख्या बढ़ गई है और अस्पतालों में भीड़ लग रही है।
गुलाबी आंख कैसे फैलती है, जानिए इसके कारण और संक्रमण के तरीके
कंजंक्टिवाइटिस यानी गुलाबी आंख का रोग एक संक्रमित बीमारी है, जो आंखों की बाहरी परत को प्रभावित करती है। यह रोग वायरस, बैक्टीरिया या एलर्जी के कारण हो सकता है। पटना के प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. वरुण कुमार के अनुसार, यह संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को बहुत आसानी से फैलता है। अगर किसी संक्रमित व्यक्ति के आंख या आंसू के संपर्क में दूसरे व्यक्ति आ जाए, तो उसके भी संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही, हाथ मिलाने, तौलिया, रुमाल या बिस्तर साझा करने से भी यह रोग फैलता है। परिवार या स्कूल में एक बच्चा अगर संक्रमित हो जाए तो पूरे घर या क्लास में यह बीमारी फैल सकती है।
आंखों में जलन, पानी आना और चिपचिपापन जैसे लक्षण नजर आएं तो लापरवाही बिल्कुल न करें
गुलाबी आंख के लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते हैं। मरीजों को आमतौर पर आंखों में जलन, खुजली, पानी आना, सूजन, चिपचिपापन और लालिमा जैसे लक्षण दिखते हैं। कभी-कभी आंख खुलना भी मुश्किल हो जाता है और बार-बार आंखों से पानी निकलता है। अगर आपके बच्चे या किसी परिवार के सदस्य को यह लक्षण नजर आएं तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करें। लापरवाही करने पर स्थिति बिगड़ सकती है और आंखों की रोशनी कमजोर हो सकती है। मरीजों को स्वयं इलाज करने की बजाय विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलना चाहिए, ताकि सही दवा मिले और जल्दी आराम हो जाए।
गुलाबी आंख से बचाव के प्रभावी घरेलू उपाय और साफ-सफाई का महत्व
गुलाबी आंख से बचाव के लिए सबसे जरूरी है साफ-सफाई का ध्यान रखना और आंखों की सुरक्षा करना। डॉक्टर सलाह देते हैं कि संक्रमित व्यक्ति के तौलिया, रुमाल या बिस्तर का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। अगर आपके आसपास किसी को यह रोग हो गया है, तो उससे हाथ मिलाने या उसके सामान को छूने से बचें। हाथ धोते रहें और कोशिश करें कि आंखों को बार-बार न छुएं। बच्चों को भी साफ-सफाई के तरीके समझाएं, ताकि स्कूल या घर में संक्रमण न फैले। अगर घर में किसी को कंजंक्टिवाइटिस हो गया है तो उसकी अलग बिस्तर और तौलिया रखें और इलाज के समय सावधानी बरतें।
कंजंक्टिवाइटिस का आसान इलाज और डॉक्टर की सलाह पर जरूर ध्यान दें
कंजंक्टिवाइटिस का इलाज आसान है, लेकिन सही समय पर डॉक्टर से संपर्क करना बहुत जरूरी है। रोग के शुरुआती चरण में डॉक्टर आमतौर पर आंखों के लिए ड्रॉप्स या दवा देते हैं, जिससे मरीज को जल्दी आराम मिल जाता है। संक्रमण ज्यादा हो जाए तो डॉक्टर खुद मरीज को विशेष जांच के लिए सलाह देते हैं। इस रोग से डरने की जरूरत नहीं है, बस साफ-सफाई का ध्यान रखें और डॉक्टर की दिशा-निर्देश मानें। यदि थोड़े दिन बाद भी रोग ठीक न हो तो तुरंत डॉक्टर को फिर से दिखाएं।
पटना में लोगों को सतर्क रहना चाहिए, बदलते मौसम में खुद को ऐसे रखें सुरक्षित
पटना में कंजंक्टिवाइटिस के बढ़ते मामलों को देखकर लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। बारिश और बदलते मौसम में संक्रमण के मामले और भी बढ़ सकते हैं। ऐसे समय में बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों का अतिरिक्त ध्यान रखें। स्कूल जाने वाले बच्चों को आंखों के साफ रखने के तरीके समझाएं और उनकी निगरानी करें कि वे तौलिया साझा ना करें। बारिश के बाद बाहर घुमने के बाद या किसी सार्वजनिक जगह पर जाने के बाद हाथ धोना और आंखें न छूना सबसे जरूरी है। अगर कोई लक्षण नजर आए तो तुरंत सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करें।
पटना के अस्पतालों की सुविधाएं और मरीजों के लिए मदद से जुड़ी जानकारी
पटना के पीएमसीएच और आईजीआईएमएस जैसे बड़े अस्पताल कंजंक्टिवाइटिस के मरीजों के लिए सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं। मरीजों को ओपीडी में भीड़ मिल सकती है लेकिन ज्यादातर मामलों में इलाज आसानी से हो जाता है। अस्पताल के डॉक्टर लगातार लोगों को सही जानकारी दे रहे हैं और जरूरतमंद मरीजों की सहायता कर रहे हैं। बीमारी के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर बिना देरी डॉक्टर के पास जाएं। मरीजों को लाइन में लगकर जरूरत के अनुसार इलाज दिया जाता है।
गुलाबी आंख के बढ़ते मामलों के बीच जागरूकता ही बचाव का सबसे जरूरी उपाय
पटना में बढ़ते गुलाबी आंख के मामलों को देखते हुए डॉक्टर और स्वास्थ्य विशेषज्ञ सबसे ज्यादा जागरूकता पर जोर दे रहे हैं। यह रोग आसानी से फैल सकता है, लेकिन अगर पूरे शहर में लोग साफ-सफाई, बचाव के घरेलू उपाय और सही समय पर डॉक्टर से संपर्क करने की आदत बना लें तो संक्रमण को रोका जा सकता है। हर आम नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह खुद सतर्क रहें और अपने परिवार, स्कूल और समाज को भी सतर्क करें।