स्मार्टवॉच का जमाना ऐसा हो गया है जैसे मोबाइल का था 2010 में। हर कंपनी कुछ ना कुछ नया दिखा रही है, और हर नया model कहता है “अबकी बार असली स्मार्ट एक्सपीरियंस।” Pebble भी उसी भीड़ में उतर आया है अपने Cosmos Ultra 2.0 के साथ। सुनने में बड़ा नाम लगता है, पर असली सवाल ये है कि क्या ये वॉच सच में काम की चीज़ है या बस एक टाइमपीस जो बोलता ज्यादा है, करता कम?
डिजाइन – पहली नज़र में थोड़ा ‘Apple सा’
पहली बार जब मैंने Pebble Cosmos Ultra 2.0 को हाथ में लिया, तो दूर से लगा जैसे कोई Apple Watch का क्लोन है। गोल किनारे, मेटल फिनिश और बड़ा AMOLED डिस्प्ले – सबकुछ आंखों को भाता है। लेकिन ध्यान से देखो तो फर्क दिखने लगता है। फ्रेम हल्का है, थोड़ा सस्ता फील देता है। पर एक बात माननी पड़ेगी, स्क्रीन की ब्राइटनेस और कलर पंच काफी बढ़िया हैं। धूप में भी साफ दिखती है, जो कई बजट वॉच में नहीं मिलता।
एक बार मैंने इसे बाइक चलाते वक्त पहना था, धूप में भी नोटिफिकेशन क्लियर दिख रहे थे। पर वही वाइब्रेशन… थोड़ा अजीब। जैसे किसी पुराने फोन का silent mode याद आ गया हो।

फीचर्स – बहुत कुछ कहा, पर हर चीज़ पक्की नहीं
Pebble ने इस बार बहुत कुछ वादा किया है – Bluetooth calling, AI voice assistant, SpO2 sensor, heart rate, sleep tracking और 100 से ज़्यादा sports modes। सुनने में शानदार लगता है, पर हकीकत थोडी अलग है। Bluetooth calling चलती है, लेकिन call quality बस ठीक-ठाक। थोड़ा delay, थोड़ा echo। जैसे आप speakerphone पर बात कर रहे हों, पर आवाज कमरे के कोने में गूंज रही हो।
Heart rate और SpO2 readings देखने में fancy लगती हैं, पर मैंने तुलना की अपनी Amazfit से – फर्क कभी-कभी 10 तक पहुंच गया। मतलब भरोसा बस अंदाज़े पर ही कीजिए। Sleep tracking भी कभी-कभी ऐसे दिखाता है जैसे मैंने दो घंटे सोया ही नहीं।
बैटरी और चार्जिंग – नाम बड़ा, दम छोटा
कंपनी बोलती है 7 दिन की बैटरी, पर अगर Bluetooth calling और screen always-on चालू रखी तो मुश्किल से तीन दिन। मैंने खुद टेस्ट किया – full charge किया रविवार रात को, बुधवार तक low battery warning आ गई। अब ये चीज़ थोड़ी निराश करने वाली है।
चार्जिंग magnetic है, पर wire connection बहुत fragile है। एक बार charger थोड़ा हिला, तो connect ही नहीं हुआ। और हां, heating भी थोड़ा महसूस हुआ – लंबी चार्जिंग के बाद back panel हल्का गर्म हो जाता है।
यूज़र इंटरफेस और ऐप एक्सपीरियंस
Pebble का UI काफी smooth है, लेकिन थोड़ा cartoonish लगता है। Gesture navigation सही काम करता है, पर touch response हर बार consistent नहीं है। Companion app ठीक है, पर notifications sync में थोड़ा delay रहता है। एक दिन सुबह उठा तो smartwatch पर रात की notifications ही दिख रही थीं – जैसे कोई पुरानी खबर पढ़ रहा हो।
रियल लाइफ इस्तेमाल – दिखावा अच्छा, भरोसा कम
एक बार gym में पहनकर गया। स्क्रीन पर heart rate 150 दिखा रहा था जबकि मैं treadmill पर बस walk कर रहा था। उस दिन हंसी भी आई और गुस्सा भी। पर दूसरी तरफ, step count surprisingly accurate था। यानि कुछ चीज़ें hit, कुछ miss।
अगर आप college student हैं या पहली बार smartwatch लेना चाहते हैं, तो Pebble Cosmos Ultra 2.0 आपको stylish लग सकती है। Watchfaces की variety भी बढ़िया है। लेकिन अगर आपने कभी Galaxy Watch या Noise Ultra पहन रखी है, तो Pebble आपको थोड़ा ‘entry-level’ लगेगा।
मेरी राय – पैसे के हिसाब से ठीक, पर भरोसे के लायक नहीं
Pebble Cosmos Ultra 2.0 एक ऐसी smartwatch है जो दिखने में smart है, पर अंदर से थोड़ी immature। फीचर्स बहुत हैं, लेकिन accuracy और refinement अब भी बाकी है। हां, casual users के लिए ठीक है, पर serious fitness tracking या daily calling के लिए भरोसेमंद नहीं।
Seedhi baat kahoon to, ये smartwatch college kids और first-time buyers के लिए बनी है। Price के हिसाब से value देती है, पर अगर आपको भरोसा चाहिए – तो थोड़ा और खर्च करिए। क्योंकि tech में style से ज्यादा जरूरी है stability। और वो Pebble को अभी सीखनी बाकी है।


