कुछ दिन पहले काबुल से दिल्ली पहुंची एक उड़ान से ऐसी खबर आई जिसने सभी को चौंका दिया। बताया गया कि एक बच्चा प्लेन के लैंडिंग गियर के पास छिपकर भारत पहुंच गया। यह घटना जितनी हैरानी भरी थी, उतनी ही खतरनाक भी। विमान का लैंडिंग गियर वह हिस्सा होता है जहां पहिये रहते हैं और जहां प्लेन जमीन से उड़ान भरने और उतरने के समय टिका रहता है। आम लोग इस हिस्से के बारे में बहुत कम जानते हैं क्योंकि यात्री कभी वहां तक नहीं पहुंचते। लेकिन कई बार मजबूरी में लोग ऐसे असुरक्षित रास्तों को चुन लेते हैं।
क्या होता है लैंडिंग गियर और कहां होता है यह हिस्सा
लैंडिंग गियर को आम भाषा में प्लेन का पहियों वाला हिस्सा कहा जा सकता है। उड़ने और उतरने के समय यह हिस्सा सबसे ज्यादा सक्रिय रहता है। जब प्लेन आसमान में उड़ता है तो पहिये अपने आप खींचकर एक बड़े बॉक्स जैसे हिस्से में चले जाते हैं। यह बॉक्स ही वह जगह है जहां कोई व्यक्ति छिपने की कोशिश कर सकता है। इस हिस्से को लैंडिंग गियर कंपार्टमेंट भी कहा जाता है। बाहर से देखने में यह बहुत छोटा और बंद सा दिखता है लेकिन असल में इसके अंदर बहुत तेज आवाज, बेहद कम जगह और बेहद कम तापमान होता है।
इतना खतरनाक क्यों है यह छिपने की जगह
लैंडिंग गियर वाला हिस्सा देखने में छुपने के लिए जगह जैसा लग सकता है लेकिन असलियत में यह मौत से भरा गड्ढा होता है। जैसे ही विमान उड़ता है, वहां ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और इंसान को सांस लेने में मुश्किल होती है। ऊंचाई पर तापमान शून्य से नीचे चला जाता है, जिससे शरीर जम सकता है। कई बार टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान वहां छिपे लोग प्लेन से नीचे गिर जाते हैं। ऐसे मामलों में लगभग 80 प्रतिशत लोग जिंदा नहीं बच पाते।
पिछले समय में हुई ऐसी घटनाएं
दुनिया के कई देशों से ऐसे मामलों की खबरें आती रही हैं जहां लोग लैंडिंग गियर में छिपकर दूसरी जगह जाने की कोशिश करते हैं। कभी कोई अफ्रीकी देश से यूरोप तक पहुंचने की कोशिश करता है तो कभी कोई युद्धग्रस्त इलाके से बाहर निकलने के लिए यह रास्ता चुन लेता है। अमेरिका में भी कई बार यात्रियों की मौत लैंडिंग गियर के हिस्से में छिपने की वजह से हो चुकी है। भारत में यह काबुल से दिल्ली पहुंचा बच्चा ताजा उदाहरण है, जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया।
लोग क्यों चुनते हैं यह जानलेवा रास्ता
सबसे बड़ा सवाल यही है कि लोग इतनी बड़ी जान जोखिम में डालकर इस हिस्से में सफर क्यों करते हैं। असल में यह कदम वे लोग उठाते हैं जिन्हें अपने देश में डर या भूख से बचने का रास्ता नहीं मिलता। अफगानिस्तान हो, अफ्रीकी देश हों या फिर कोई और संघर्ष वाला इलाका, यहां लोग बेहतर जिंदगी की तलाश में हर संभव कोशिश करते हैं, चाहे वह रास्ता कितना भी जानलेवा क्यों न हो।
तकनीकी विशेषज्ञ क्या कहते हैं
विशेषज्ञों का मानना है कि लैंडिंग गियर का यह हिस्सा किसी इंसान के लिए बिल्कुल सुरक्षित नहीं है। यहां न तो ऑक्सीजन सही से पहुंचती है, न ही यात्रा के दौरान शरीर को सहारा मिल पाता है। बाहर का दबाव और ठंड इंसान की जान लेने के लिए काफी हैं। यही वजह है कि एयरलाइंस बार-बार लोगों को सावधान करती हैं कि किसी भी हाल में इस जगह पर छिपकर यात्रा की कोशिश न करें।
काबुल से आया बच्चा कैसे बच गया
सबसे बड़ी हैरानी की बात यह रही कि दिल्ली पहुंचे बच्चे की जान बच गई। यह किसी चमत्कार से कम नहीं। माना जा रहा है कि उड़ान की ऊंचाई कुछ ज्यादा नहीं थी या लैंडिंग गियर के आसपास किसी तरह उसे थोड़ी हवा मिल गई होगी। इसके बावजूद उसकी हालत खराब थी और उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। अगर उड़ान लंबी होती या ठंड ज्यादा बढ़ जाती तो शायद बच्चा जिंदा न बच पाता।
कानून और सुरक्षा के नियम
हर देश में विमानन सुरक्षा के सख्त नियम होते हैं। यह घटना न केवल सुरक्षा में चूक दिखाती है बल्कि यह भी बताती है कि हताशा किस हद तक लोगों को खतरनाक फैसले लेने के लिए मजबूर कर सकती है। विमान कंपनियां और एयरपोर्ट प्रशासन ऐसे मामलों पर लगातार नजर रखते हैं लेकिन फिर भी कुछ हादसे हो जाते हैं। यह मामला सभी के लिए चेतावनी है।
इससे मिलने वाला सबक
एक बच्चे का लैंडिंग गियर के पास से जिंदा बच जाना जितना असामान्य है, उतना ही खतरनाक भी। असल में यह हमें बताता है कि मजबूरी और डर इंसान को किस हद तक धकेल सकते हैं। हमें यह भी समझना होगा कि बेहतर जिंदगी के लिए सुरक्षित रास्ता ही चुना जाना चाहिए। ऐसे खतरनाक रास्ते केवल मौत की ओर ले जाते हैं।