सरकार ने प्लेटिनम ज्वेलरी पर लगाया आयात प्रतिबंध: घरेलू उद्योग को मिलेगा बड़ा सहारा
सरकार ने प्लेटिनम ज्वेलरी की आयात नीति में बड़ा बदलाव किया है। अब “फ्री” कैटेगरी से हटाकर “रिस्ट्रिक्टेड” कैटेगरी में डाला गया है, जिससे आयात के लिए DGFT से लाइसेंस लेना जरूरी हो गया है। यह कदम घरेलू ज्वेलरी उद्योग और रोजगार सुरक्षा के उद्देश्य से उठाया गया है।
सरकार ने प्लेटिनम ज्वेलरी पर लगाया आयात प्रतिबंध: अब बिना लाइसेंस आयात नहीं
भारत सरकार ने सोमवार को घोषणा की कि कुछ प्रकार की platinum jewellery (प्लेटिनम ज्वेलरी) के आयात पर अब प्रतिबंध लगाया जाएगा। वाणिज्य मंत्रालय के निदेशालय Directorate General of Foreign Trade (DGFT) द्वारा जारी नवीनतम अधिसूचना के अनुसार, प्लेटिनम ज्वेलरी की आयात नीति को फ्री कैटेगरी से बदलकर रिस्ट्रिक्टेड कैटेगरी में डाल दिया गया है। यह प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है और 30 अप्रैल 2026 तक प्रभावी रहेगा।
सरकार ने यह निर्णय तब लिया जब India Bullion and Jewellers Association (IBJA) ने अधिकारियों को सूचित किया कि कुछ बुलियन डीलर प्लेटिनम मिश्रित ज्वेलरी का आयात ड्यूटी-फ्री कर रहे हैं, जबकि इन उत्पादों में करीब 90 प्रतिशत सोना (Gold), थोड़ी मात्रा में चांदी (Silver) और नगण्य प्लेटिनम (Platinum) मौजूद है। यह एक तरह से टैक्स बचाने की रणनीति बन चुकी थी, जिससे सरकार को राजस्व हानि हो रही थी।
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घरेलू ज्वेलरी उद्योग की सुरक्षा के लिए कदम
यह फैसला घरेलू ज्वेलरी निर्माताओं की सुरक्षा और रोजगार बचाने के लिए लिया गया है। पिछले कुछ महीनों में सरकार ने सिल्वर ज्वेलरी (Silver Jewellery) के आयात पर भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए थे, जो 31 मार्च 2026 तक लागू रहेंगे। भारत मुख्य रूप से चीन, यूएई और थाईलैंड से सिल्वर ज्वेलरी आयात करता है, लेकिन हाल के महीनों में विशेष रूप से थाईलैंड से बिना जड़े हुए चांदी के आभूषणों के आयात में तेजी आई थी। इससे भारतीय बाजार में कीमतें गिरने लगी थीं, जिससे घरेलू कारीगरों और निर्माताओं पर नकारात्मक असर पड़ा।
सरकार का उद्देश्य
व्यापार मंत्रालय का कहना है कि कुछ बुलियन डीलर आयात नियमों की खामियों का फायदा उठाकर प्लेटिनम ज्वेलरी को धोखाधड़ी के माध्यम से सस्ते दामों पर मंगा रहे थे, फिर उसे पिघलाकर प्लेटिनम बार में बदलते थे और घरेलू बाजार में बेच देते थे। इससे न केवल सरकार को 6.4 प्रतिशत ड्यूटी का नुकसान हो रहा था बल्कि असंगठित व्यापार भी तेजी से बढ़ रहा था।
इन लगातार बढ़ते आयातों के कारण अमृतसर और दिल्ली के एयरपोर्ट्स पर बड़ी मात्रा में प्लेटिनम ज्वेलरी की खेपें आने लगी थीं। इससे यह स्पष्ट हो गया था कि नियमों का गलत इस्तेमाल कर मुनाफा कमाने की कोशिश हो रही है।
अब क्या होगा?
अब जब प्लेटिनम ज्वेलरी की आयात नीति “फ्री” से बदलकर “रिस्ट्रिक्टेड” कर दी गई है, तो इसका मतलब है कि किसी भी आयातक को ऐसे उत्पाद लाने के लिए DGFT से वैध लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। यही नियम अब चांदी की ज्वेलरी आयातकों पर भी लागू है। बिना अनुमति के इन वस्तुओं का आयात नहीं किया जा सकेगा।
सरकार का मानना है कि यह कदम न केवल घरेलू विनिर्माण क्षेत्र (Domestic Manufacturing Sector) को मजबूती देगा बल्कि श्रम-प्रधान ज्वेलरी उद्योग में रोजगार स्थिरता बनाए रखने में भी सहायक होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह फैसला आयात निर्भरता को घटाएगा और देश के आर्थिक संतुलन को सुरक्षित रखेगा।
यह प्रतिबंध सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहन देकर ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को मजबूत करना है। आने वाले महीनों में सरकार अन्य कीमती धातुओं के उत्पादों पर भी निगरानी बढ़ा सकती है ताकि टैक्स चोरी और अनुचित व्यापार को रोका जा सके।
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