Pakistan : अधिकृत कश्मीर में जनता का गुस्सा भड़का, सेना के जुल्म के बीच उठी आजादी की मांग

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में विरोध प्रदर्शन की स्थिति पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ यह प्रदर्शन लगातार तेज हो रहा है। जनता की 38 मांगों को नजरअंदाज करने और सेना के अत्याचारों के कारण लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। मुज़फ्फराबाद से मीरपुर तक हर शहर में आजादी के नारे लग रहे हैं।

Pakistan : अधिकृत कश्मीर में जनता का गुस्सा भड़का, सेना के जुल्म के बीच उठी आजादी की मांग

खबर का सार AI ने दिया · GC Shorts ने रिव्यु किया

    पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में इन दिनों जनता का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया है। जहां पहले लोग चुपचाप सरकार की नाकामियों को सहते थे, वहीं अब हजारों लोग खुले आम सड़कों पर उतरकर अपने हकों की लड़ाई लड़ रहे हैं। मुज़फ्फराबाद से लेकर मीरपुर तक हर शहर में प्रदर्शनकारियों के नारे गूंज रहे हैं।

    यह आंदोलन अचानक से शुरू नहीं हुआ है। सालों से जमा होता असंतोष अब फूटकर बाहर आ गया है। शहबाज शरीफ की पाकिस्तान सरकार और स्थानीय प्रशासन की नाकामी ने लोगों को मजबूर कर दिया है कि वे अपनी आवाज बुलंद करें। जब सरकार अपने ही लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में नाकाम हो जाती है, तो ऐसे हालात बनना लाजमी है।

     

    अट्ठाईस मांगों का मामला

    प्रदर्शनकारियों ने सरकार के सामने कुल अट्ठाईस मांगें रखी थीं, जिनमें से एक भी पूरी नहीं हुई है। इन मांगों में बिजली की समस्या का समाधान, पानी की किल्लत दूर करना, रोजगार के अवसर बढ़ाना, और महंगाई पर काबू पाना शामिल है। लेकिन पाकिस्तानी हुकूमत ने इन सभी मांगों को नजरअंदाज कर दिया है।

    स्थानीय लोगों का कहना है कि वे पिछले कई महीनों से धैर्य रख रहे थे। उन्होंने सरकार को भरोसा दिया था कि शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत के जरिए सभी समस्याओं का हल निकाला जा सकता है। मगर जब सरकार ने उनकी एक भी बात नहीं सुनी, तो मजबूरन उन्हें सड़कों पर उतरना पड़ा।

     

    सेना के जुल्म की कहानी

    सबसे दुखद बात यह है कि जब पीओके की जनता ने अपनी बुनियादी मांगों को लेकर शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया, तो पाकिस्तानी सेना ने उन पर अत्याचार शुरू कर दिए। निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज, आंसू गैस का इस्तेमाल, और कई लोगों की गिरफ्तारी की गई। यह सब देखकर जनता का गुस्सा और भी बढ़ गया।

    स्थानीय नेताओं का कहना है कि पाकिस्तानी सेना का रवैया बिल्कुल गलत है। जो फौज अपने लोगों की रक्षा के लिए बनी है, वह अगर अपने ही लोगों पर जुल्म करने लगे, तो यह बहुत शर्मनाक बात है। मुनीर की अगुवाई वाली पाकिस्तानी सेना ने जो कार्रवाई की है, उससे लोगों में और भी गुस्सा भर गया है।

     

    आजादी की मांग तेज हुई

    अब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में लोग खुले आम आजादी की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों के नारे साफ संकेत दे रहे हैं कि वे पाकिस्तान की गुलामी से तंग आ चुके हैं। "हुक्मरानों, हम तुम्हारी मौत हैं" जैसे नारे लगाकर लोग अपनी नाराजगी जता रहे हैं।

    यहां के स्थानीय नेता कह रहे हैं कि पाकिस्तान ने उनके साथ केवल धोखा किया है। न तो विकास हुआ है, न ही बुनियादी सुविधाएं मिली हैं। उल्टे सेना के जुल्म और सताने की घटनाएं बढ़ी हैं। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर पाकिस्तान के साथ रहने से उन्हें मिला ही क्या है।

     

    जनता के संघर्ष की आवाज

    आज पूरे PoK में एक अलग माहौल दिखाई दे रहा है। लोगों में एक नई जागरूकता आई है। वे समझ गए हैं कि चुप रहने से कुछ नहीं होगा। हर गली, हर मोहल्ले से लोग निकलकर सड़कों पर आ रहे हैं। बूढ़े हों या जवान, औरतें हों या मर्द, सभी एक साथ मिलकर अपने हकों की लड़ाई लड़ रहे हैं।

    यह आंदोलन सिर्फ किसी एक शहर या इलाके तक सीमित नहीं है। पूरे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में लोगों की आवाज बुलंद हो रही है। मुज़फ्फराबाद, मीरपुर, कोटली जैसे प्रमुख शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं। यह साबित करता है कि यह कोई छोटा-मोटा विरोध नहीं, बल्कि एक व्यापक जन आंदोलन है।

     

    सरकार की चुप्पी का मतलब

    इस पूरे मामले में शहबाज शरीफ सरकार की चुप्पी काफी मायने रखती है। न तो प्रधानमंत्री ने कोई बयान दिया है, न ही किसी मंत्री ने लोगों की समस्याओं पर ध्यान देने की बात कही है। यह साफ दिखाता है कि पाकिस्तानी सरकार के लिए पीओके की जनता की परेशानियां कोई मायने नहीं रखतीं।

    जब किसी देश की सरकार अपने ही लोगों की बात नहीं सुनती, तो लोगों का भरोसा उठ जाना स्वाभाविक है। यही कारण है कि अब पीओके के लोग पाकिस्तान से अलग होने की बात कर रहे हैं। वे महसूस कर रहे हैं कि पाकिस्तान के साथ रहकर उनका कोई भला नहीं हो सकता।

    यह स्थिति आगे चलकर और भी गंभीर हो सकती है। अगर पाकिस्तानी सरकार ने जल्दी से जल्दी लोगों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो यह आंदोलन और भी तेज हो जाएगा। फिलहाल तो लगता है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोगों का धैर्य पूरी तरह से खत्म हो चुका है।

    PoK में जनता का बढ़ता गुस्सा किस ओर ले जाएगा?

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