Politics of Begusarai : में अमित शाह और तेजस्वी आमने-सामने, क्यों इस सीट पर टिकी हैं सबकी नज़रें
बेगूसराय की राजनीति इस समय पूरे बिहार में चर्चा का बड़ा मुद्दा बनी हुई है। यहां गृह मंत्री अमित शाह और राजद नेता तेजस्वी यादव का एक ही दिन पर दौरा होना इस सीट की अहमियत को और बढ़ा देता है। दोनों गठबंधन पूरी ताकत झोंक चुके हैं क्योंकि यहां का नतीजा राज्य की राजनीति की दिशा तय कर सकता है। यही वजह है कि बेगूसराय इस वक्त बिहार का सबसे बड़ा चुनावी अखाड़ा बन चुका है।
बिहार की राजनीति में बेगूसराय हमेशा से चर्चा का केंद्र रहा है। यह इलाका सिर्फ एक जिला नहीं बल्कि पूरे राज्य की सियासत का आईना माना जाता है। खासकर लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के समय यहां की सीटें बड़े दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन जाती हैं। इस बार की स्थिति और भी खास है क्योंकि एक ही दिन पर दो बड़े नेताओं का बेगूसराय में आना चर्चा का विषय बन गया है।
गृह मंत्री **अमित शाह** और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का बेगूसराय दौरा अपने आप में अलग तरह की हलचल पैदा कर रहा है। अमित शाह यहां पर भाजपा कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देने वाले हैं, वहीं दूसरी ओर तेजस्वी यादव अपनी पार्टी और महागठबंधन के कार्यकर्ताओं में जोश भरने आए हैं। यह साफ दिख रहा है कि इस सीट पर दोनों गठबंधनों की सांसें अटकी हुई हैं और यही वजह है कि राष्ट्रीय स्तर के नेता खुद यहां मैदान संभालने उतरे हैं।
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अमित शाह का दौरा और भाजपा की रणनीति
अमित शाह को भारतीय जनता पार्टी का रणनीतिकार माना जाता है। जब वे किसी इलाके का दौरा करते हैं तो उसका मतलब सिर्फ चुनाव प्रचार नहीं होता बल्कि गहरी तैयारी और राजनीतिक संदेश भी होता है। बेगूसराय का उनका दौरा इसी संदर्भ में अहम है। यहां भाजपा लगातार अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है क्योंकि इस सीट पर पिछली बार कड़ी टक्कर देखने को मिली थी।
अमित शाह की मीटिंग का मुख्य मकसद स्थानीय कार्यकर्ताओं में जोश भरना है। उन्होंने हमेशा कहा है कि चुनाव सिर्फ नेता नहीं जीतते, बल्कि बूथ स्तर का कार्यकर्ता ही जीत की असली कुंजी होता है। यही वजह है कि वे यहां कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करेंगे और उन्हें बताएंगे कि कैसे इस बार भी जीत सुनिश्चित करनी है। भाजपा जानती है कि बेगूसराय जैसे क्षेत्र में जातीय समीकरणों से ज्यादा संगठन और बूथ मैनेजमेंट मायने रखते हैं। शाह का यही फोकस रहेगा।
तेजस्वी यादव की मौजूदगी और महागठबंधन की कोशिश
दूसरी ओर, तेजस्वी यादव भी इस मौके को खाली छोड़ने वाले नहीं हैं। वे भली-भांति समझते हैं कि भाजपा अगर यहां मजबूत होती है तो पूरे बिहार में उसका असर पड़ेगा। इसलिए उन्होंने भी बेगूसराय में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। तेजस्वी का फोकस नौजवान वोटरों पर है। बेरोजगारी, शिक्षा और पलायन जैसे मुद्दों पर वे यहां जनता को अपनी ओर खींचना चाहते हैं।
तेजस्वी यादव की राजनीति की सबसे बड़ी ताकत उनका सीधा संवाद है। वे जब किसी सभा को संबोधित करते हैं तो उनकी भाषा आम लोगों की भाषा लगती है। बेगूसराय में भी उन्होंने यही रणनीति अपनाई है। उनकी कोशिश है कि यहां के मतदाता भाजपा की संगठनात्मक ताकत से प्रभावित न हों बल्कि महागठबंधन की नीतियों को सही विकल्प मानें।
बेगूसराय की सीट पर टिकी है सभी की नजर
बेगूसराय की एक सीट पर इस समय हर किसी की नजर टिकी हुई है। इसका कारण सिर्फ यह नहीं कि यहां बड़े नेता प्रचार कर रहे हैं, बल्कि यह सीट राज्य की राजनीति का बैरोमीटर मानी जाती है। यहां से जो संदेश निकलता है, उसका असर आसपास की कई सीटों पर पड़ता है। यही वजह है कि भाजपा और महागठबंधन दोनों ने यहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
पिछले चुनाव में यहां कड़ा मुकाबला देखने को मिला था। एक तरफ भाजपा ने अपनी पकड़ मजबूत दिखाई थी तो दूसरी ओर महागठबंधन ने भी चुनौती दी थी। इस बार हालात और भी रोमांचक हैं क्योंकि दोनों गठबंधन इस सीट को हर हाल में जीतना चाहते हैं। यही कारण है कि बेगूसराय अब सिर्फ एक सीट नहीं बल्कि पूरे बिहार की सियासत का केंद्र बन गया है।
स्थानीय जनता की उम्मीदें और सवाल
राजनीतिक रणनीतियों और नेताओं के दौरे से इतर, यहां की जनता की अपनी समस्याएं और उम्मीदें भी हैं। बेगूसराय औद्योगिक शहर के तौर पर जाना जाता है, लेकिन यहां बेरोजगारी, खराब बुनियादी ढांचा और शिक्षा व्यवस्था जैसी समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं। लोग चाहते हैं कि नेता सिर्फ चुनावी भाषण न दें बल्कि वास्तव में इन मुद्दों पर काम करें।
यहां के युवा रोजगार की तलाश में बाहर जाते हैं। किसान आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत नहीं हैं। जनता की यही आवाज इस बार चुनावी मैदान में गूंज रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा और महागठबंधन में से कौन इन मुद्दों को सही तरीके से उठाकर जनता का दिल जीत पाता है।
बेगूसराय बना सियासत का अखाड़ा
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बेगूसराय इन दिनों बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा अखाड़ा बन चुका है। अमित शाह और तेजस्वी यादव का एक ही दिन यहां मौजूद रहना यह दिखाता है कि दोनों गठबंधनों के लिए यह सीट कितनी अहम है। भाजपा जहां संगठन और रणनीति के दम पर मैदान जीतना चाहती है, वहीं महागठबंधन युवाओं और जनता के मुद्दों के सहारे यहां अपनी जमीन मजबूत करना चाहता है।
अब फैसला जनता के हाथ में है। यह देखना दिलचस्प होगा कि बेगूसराय आखिर किसके पाले में जाता है। लेकिन इतना तय है कि इस सीट से निकला नतीजा आने वाले समय में पूरे बिहार की राजनीति की दिशा तय करेगा।
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नाम है सौरभ झा, रिपोर्टर हूँ GCShorts.com में। इंडिया की राजनीति, आम लोगों के झमेले, टेक या बिज़नेस सब पर नजर रहती है मेरी। मेरा स्टाइल? फटाफट, सटीक अपडेट्स, सिंपल एक्सप्लेनर्स और फैक्ट-चेक में पूरा भरोसा। आप तक खबर पहुंचे, वो भी बिना घुमा-फिरा के, यही मकसद है।
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