राजस्थान के चूरू जिले में पूनम पारीक हत्याकांड ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। यह मामला सिर्फ एक घरेलू विवाद नहीं था, बल्कि रिश्तों में छिपी उस कमज़ोर सोच की तस्वीर है जिसमें इंसान अपनी गलत नीयत पूरी न होने पर हदें पार कर देता है। जानकारी के अनुसार, पूनम पारीक पर उसके ही देवर हितेश पारीक की नीयत खराब थी। जब भाभी ने उसकी गलत हरकत और अवैध संबंध बनाने की कोशिश का कड़ा विरोध किया, तो उसने अपने हाथ खून से रंग लिए। वह इंसानियत और रिश्तों की सीमाओं को भूल गया और गुस्से में अपनी ही भाभी की गला रेतकर हत्या कर दी। यह खबर जैसे ही फैली, पूरे जिले में मातम और आक्रोश दोनों देखने को मिले। गांव से लेकर शहर तक लोग इस घटना को लेकर चर्चा कर रहे हैं कि आखिर कैसे कोई रिश्ते का भरोसा तोड़कर इतना बड़ा गुनाह कर सकता है।
गिरफ्तारी के बाद भी न्याय की मांग में जुटे लोग
इस हत्या कांड के बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी हितेश पारीक को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन लोगों का गुस्सा यहीं शांत नहीं हुआ। ग्रामीणों और स्थानीय संगठनों का कहना है कि आरोपी अकेला नहीं था बल्कि अन्य लोगों की भी इसमें भूमिका रही है। यही कारण है कि हजारों लोग सड़कों पर उतरे। हाथों में बैनर और तख्तियां लेकर भीड़ ने नारे लगाते हुए रैली निकाली और मांग की कि इस मामले में बाकी आरोपियों को भी तुरंत गिरफ्तार किया जाए। भीड़ का आक्रोश इस हद तक था कि उन्होंने दोषियों को फांसी देने की मांग भी की। पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाने की आवाज़ हर गली और चौक-चौराहे तक पहुंची। पुलिस प्रशासन के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण बन गई क्योंकि कानून व्यवस्था बनाए रखना भी उतना ही जरूरी था जितना लोगों को न्याय का भरोसा दिलाना।
परिवार और समाज का टूटा भरोसा
इस तरह की वारदातें केवल एक परिवार को नहीं बल्कि पूरे समाज को झकझोर देती हैं। पूनम पारीक, जो एक गृहिणी के रूप में अपने परिवार के लिए समर्पित थी, उसकी ज़िंदगी अचानक इस तरह खत्म कर दी गई। रिश्ते में देवर और भाभी का रिश्ता हमेशा से सम्मान और अपनापन वाला रहा है, लेकिन इस मामले ने उस रिश्ते की पवित्रता पर दाग लगा दिया। परिवार के लोग बेहोशी की हालत में रो रहे हैं और गांव की औरतों में खौफ और गुस्सा दोनों है। समाज के बुज़ुर्गों का कहना है कि यह सिर्फ हत्या नहीं बल्कि इंसानियत की हत्या है। आज की युवा पीढ़ी में बढ़ती आपराधिक प्रवृत्तियां और नैतिक मूल्यों का गिरता स्तर लगातार चिंता का विषय है। पूनम जैसी महिलाएं जो घर संभालती हैं और रिश्तों को जोड़कर रखती हैं, उनके साथ इस तरह की घटनाएं निश्चित ही पूरे समाज के लिए शर्म की बात है।
पुलिस और कानूनी प्रक्रिया पर सवाल
राजस्थान पुलिस का कहना है कि मामले की जांच तेज़ी से की जा रही है। मुख्य आरोपी जेल में है और अन्य नामजद लोगों पर भी निगरानी रखी जा रही है। लेकिन जनता का भरोसा बार-बार डगमगा रहा है। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर कब तक महिलाएं इस तरह के खौफ के साए में जियेंगी? कानून बनने के बाद भी अपराधी खुलेआम क्यों घूमते हैं? ऐसी घटनाओं के बाद पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ जाती है। ग्रामीण इलाकों में अक्सर यह देखा गया है कि दबंग प्रवृत्ति के लोग महिलाओं के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करते हैं। लेकिन जब तक पीड़ित परिवार सामने आकर आवाज़ नहीं उठाता, इन पर कार्रवाई नहीं होती। पूनम पारीक का मामला इसी सच्चाई को उजागर करता है कि कानून तभी असरदार है जब उसकी पालना सही समय और सख्ती से हो। अब देखना यह है कि अदालत इस मामले को कितनी गंभीरता से लेती है और दोषियों को किस स्तर की सज़ा मिलती है।
भीड़ की मांग और समाज का गुस्सा
चूरू जिले की इस खौफनाक वारदात ने हर वर्ग के लोगों को आक्रोश से भर दिया है। हजारों लोगों की भीड़ में एक ही मांग ज़ोर-ज़ोर से उठ रही है कि आरोपी को फांसी दी जाए। लोग मानते हैं कि जब तक इस तरह के अपराधियों को कठोर सजा नहीं दी जाएगी, तब तक समाज में डर पैदा नहीं होगा। गांव-कस्बों में इस घटना के बाद माहौल तनावपूर्ण है। महिलाएं खुलकर बोल रही हैं कि अगर एक घर में देवर जैसी जगह पर कोई इतना बड़ा अपराध कर सकता है, तो फिर महिला सुरक्षित कहां है? यह सवाल आज समाज के हर व्यक्ति के सामने खड़ा है। दूसरी ओर, मानवाधिकार कार्यकर्ता यह भी कह रहे हैं कि हर मामला जांच पर आधारित होता है और कानून के अनुसार ही फैसला होना चाहिए। लेकिन गुस्से से भरी भीड़ इस तर्क को मानने के लिए तैयार नहीं है।
भविष्य के लिए सबक और सवाल
पूनम पारीक हत्याकांड हमें एक गहरी सीख देता है। रिश्तों में विश्वास और मर्यादा का टूटना समाज को अंदर से खोखला करता है। इस घटना ने साबित कर दिया कि जब इंसान की नीयत गलत हो और वह अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक चला जाए, तब परिणाम कितना भयानक होता है। आज जरूरत है कि समाज ऐसे अपराधों के खिलाफ आवाज़ न दबाए बल्कि डटकर सामने आए। महिलाओं की सुरक्षा केवल सरकार का ही नहीं बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। अगर समय रहते परिवार और समाज ऐसे अपराधियों को पहचान ले और उनके खिलाफ कार्रवाई करे, तो शायद किसी की जान बचाई जा सके। पूनम पारीक की मौत व्यर्थ न जाए, यही आज हर किसी की प्रार्थना है। लोग चाहते हैं कि अदालत से सख्त सजा मिले ताकि आगे कोई और महिला ऐसी दर्दनाक मौत का शिकार न बने। यह केवल चूरू की एक घटना नहीं, बल्कि पूरे देश को आगाह करने वाली कहानी है कि हमें सजग रहना होगा और इंसानियत को बचाना होगा।