प्रयागराज के खुल्दाबाद थाना क्षेत्र के लूकरगंज इलाके में हाल ही में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। 70 वर्षीय नीलिमा श्रीवास्तव का मृत शरीर करीब 15 दिनों से अधिक समय तक उनके घर में पड़ा रहा। इस दौरान नीलिमा की बहन पूनम श्रीवास्तव, जो मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं, अकेले उसके साथ थीं। मोहल्ले वालों को इस बात का पता तब चला जब शव से असहनीय दुर्गंध फैलने लगी। सूचना पाते ही पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
मोहल्ले में फैली यह खबर पूरे क्षेत्र में सकते का कारण बनी। नीलिमा की मौत के कई रहस्य अब तक अनसुलझे हैं। यह घटना उन सामाजिक और पारिवारिक मुद्दों को भी उजागर करती है जहाँ वृद्ध और अकेलेपन में जी रहे बुजुर्गों की देखभाल एक बुनियादी चुनौती बनी हुई है।
घर में कितनी गंभीर थी स्थिति नीलिमा का शव सड़ रहा था, पर पूनम ने किसी से कुछ नहीं कहा
नीलिमा की मौत और उनके मृत शरीर से उठने वाली दुर्गंध के बीच भी पूनम लगातार मोहल्ले की गलियों में घूमती रही। इस दौरान उसने अपनी बहन की मौत की बात न तो किसी से कही और न ही आसपास के लोगों को कोई संदिग्ध लगने वाली बात समझाई। पड़ोसियों की शिकायत के बाद पुलिस ने शुक्रवार को घर के अंदर जाकर स्थिति की पड़ताल की। शव की हालत इतनी खराब थी कि उस पर कीड़े लगे हुए थे और हड्डियां दिख रही थीं। इस क्रूर और दर्दनाक दृश्य ने मोहल्ले में सन्नाटा ला दिया।
यह घटना इस बात की हताशा और निराशा को दर्शाती है कि किस तरह नीलिमा की मौत को कई दिन तक छिपाया गया और परिवार की परिस्थितियां कितनी पेचीदा थीं।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट मौत की असली वजह भी रह गई अज्ञात
शनिवार को मोहल्ले के कई रिश्तेदार और लोग मौके पर मौजूद थे जब शव का पोस्टमार्टम कराया गया। फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. राजीव रंजन ने बताया कि शव की स्थिति इतनी खराब थी कि मौत की सही वजह का पता लगाना संभव नहीं हो पाया। उनका अनुमान है कि नीलिमा की मृत्यु 15 से 18 दिन पहले हुई होगी।
यह आश्चर्यजनक तथ्य इस मामले को और भी जटिल बनाता है। मौत की वास्तविक वजह का न खुल पाना पुलिस और जांच एजेंसियों के सामने चुनौती है, जिससे इस घटना की गहराई और दुखद रूप सामने आ रहा है।
परिवार की जानकारी एकाकी जीवन में बीती नीलिमा और पूनम की कहानी
नीलिमा और पूनम दोनों ही अविवाहित थीं। उनका परिवार पहले ही टूट चुका था। पिता रेलवे में काम करते थे और उनकी पेंशन पर दोनों बहनों का जीवन चलता था। इस तरह के परिवार में जिम्मेदारियां और दबाव सबसे ज्यादा अकेली बहनों पर आते थे।
मोहल्ले वालों को इस बात ने हैरान कर दिया कि पूनम अपनी मानसिक स्थिति के बावजूद भी इतने लंबे समय तक अपनी बड़ी बहन की मौत का खुलासा न कर सकी। यह सवाल मन में उठता है कि कैसे इस कड़वे सच को इतना समय तक छिपाया गया और मदद के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।
शव का अंतिम संस्कार और मोहल्ले में फैली शोक की लहर, कई सवाल अभी भी अधूरे
शनिवार को पोस्टमार्टम के बाद रिश्तेदारों और मोहल्ले के लोगों ने नीलिमा का अंतिम संस्कार किया। लेकिन इस悲द घटना ने कई अनुत्तरित सवाल लोगों के मन में छोड़ दिए हैं। अकेली बहन के साथ दिन-दहाड़े हुई मौत, मृत शरीर को इतनी देर तक घर में पड़ा रहने देना, क्या किसी ने मदद नहीं की? इन सब सवालों का जवाब ढूंढ़ना फिर भी जरूरी है।
प्रयागराज के इस मामले ने सामाजिक एकल लोगों के प्रति संवेदनशीलता और उत्तरदायित्व पर भी सवाल उठाए हैं। वृद्धों और असहाय लोगों के लिए बेहतर सुरक्षा, देखभाल और सहानुभूति की जरूरत को इसने मजबूती से सामने रखा है। समुदाय और प्रशासन दोनों को इस दिशा में सुधार की पहल करनी होगी ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।