पंजाब डूबा पानी में: 23 जिले बाढ़ग्रस्त, 30 की दर्दनाक मौत
3 सितंबर 2025 को पंजाब सरकार ने राज्य के सभी 23 जिलों को बाढ़ प्रभावित घोषित कर दिया है। भारी बारिश और नदियों में आई बाढ़ ने पूरे प्रदेश में तबाही मचा दी है। अब तक 30 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। सबसे ज्यादा नुकसान फसलों को हुआ है। खेतों में खड़ी धान, मक्का और गन्ने की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। यह आपदा राज्य के लिए आर्थिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर गहरा संकट लेकर आई है।
बारिश और बाढ़ का कहर
पिछले दो हफ्तों से पंजाब में लगातार भारी बारिश हो रही है। सतलुज, ब्यास और घग्गर नदी उफान पर हैं। जलस्तर इतना बढ़ गया कि आसपास के गांवों और कस्बों को जलमग्न कर दिया। कई इलाकों में मकान और सड़कें पूरी तरह डूब गईं। लोग घरों की छतों और ऊंची जगहों पर शरण लेने को मजबूर हैं। बाढ़ की वजह से परिवहन व्यवस्था ठप हो गई है और ग्रामीण इलाकों का संपर्क जिला मुख्यालयों से कट गया है।
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प्रशासनिक कार्रवाई और राहत कार्य
राज्य सरकार ने सभी जिलों को तुरंत राहत और सहायता प्रदान करने के आदेश दिए हैं। एनडीआरएफ और सेना की टीमें बचाव कार्य में लगी हुई हैं। हेलीकॉप्टरों से भोजन पैकेट और दवाइयां बांटी जा रही हैं। अब तक हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। जिला प्रशासन ने स्कूलों और सरकारी भवनों को राहत शिविरों में बदल दिया है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि सभी प्रभावित परिवारों को फिलहाल मुफ्त राशन और अस्थायी आवास उपलब्ध कराया जाएगा।
मृतकों और घायलों की स्थिति
अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि दर्जनों लोग घायल हुए हैं। अधिकांश मौतें मकान गिरने, करंट लगने और डूबने से हुई हैं। घायलों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों और नर्सों की अतिरिक्त टीमें राहत कैंपों में तैनात की गई हैं। स्थानीय लोग भी बचाव कार्य में प्रशासन का सहयोग कर रहे हैं। मौत के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं जिससे स्थिति और भयावह हो गई है।
किसानों पर गहरा संकट
पंजाब की अर्थव्यवस्था कृषि पर टिकी है, लेकिन इस बाढ़ ने लाखों किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। धान की खड़ी फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। मक्का, कपास और गन्ने के खेतों में भी पानी भर गया है। किसान बेहद निराश और चिंतित हैं। उनका कहना है कि वे पहले ही कर्ज के बोझ तले दबे थे और अब इस बाढ़ ने उनकी उम्मीदों को खत्म कर दिया है। सरकार ने फसल क्षति का आंकलन शुरू कर दिया है और जल्द ही मुआवजा देने का आश्वासन दिया है।
स्कूलों और सार्वजनिक जीवन पर असर
बाढ़ के कारण ज्यादातर स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। कई सरकारी दफ्तर भी जलमग्न हैं। व्यापार और उद्योग पर भी इसका गहरा असर पड़ा है। ट्रांसपोर्ट सिस्टम और बिजली सप्लाई बाधित हो गई है। दूरदराज के गांवों में भोजन और पीने के पानी की भारी कमी हो गई है। हर तरफ अफरा-तफरी और बेचैनी का माहौल है। लोग प्रशासन से जल्द से जल्द राहत पहुंचाने की गुहार लगा रहे हैं।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
इस आपदा पर राजनीतिक दलों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। विपक्ष ने सरकार से सवाल किया है कि समय रहते पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किए गए जबकि मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी दे दी थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार पूरी गंभीरता से काम कर रही है और जल्द ही सभी प्रभावित परिवारों की मदद की जाएगी। सामाजिक संगठन और स्वयंसेवी संस्थाएं भी ग्रामीण इलाकों में राहत कार्य चला रही हैं।
लोगों की परेशानियां और भावनाएं
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग बेहद परेशान और हताश हैं। उनका कहना है कि उन्होंने पहले कभी इतनी भयावह स्थिति नहीं देखी। महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा भयभीत हैं। कई जगह लोग अपनों से बिछड़ गए हैं और उन्हें ढूंढ़ने की कोशिशें की जा रही हैं। जिनके मकान गिर गए हैं उन्हें अस्थायी टेंटों में रहना पड़ रहा है। पीने का पानी दूषित हो गया है जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
भविष्य की चुनौतियां
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बाढ़ ने पंजाब में लंबे समय की समस्याओं को उजागर कर दिया है। राज्य में जल निकासी प्रणाली कमजोर है। नदियों की सफाई और तटबंधों की मरम्मत नियमित नहीं होती। शहरीकरण और अवैज्ञानिक निर्माण ने भी बाढ़ की भयावहता को बढ़ा दिया। आने वाले समय में सरकार को ऐसे ठोस कदम उठाने होंगे जिससे इस तरह की आपदाओं को रोका जा सके और जल प्रबंधन बेहतर हो।
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