बिहार की सियासत में एक बार फिर राघोपुर विधानसभा सीट सुर्खियों में है। इस बार वजह बनी है राजद प्रमुख लालू यादव के दोनों बेटों के बीच की राजनीतिक खिंचातानी। खबर है कि राघोपुर से इस बार तेज प्रताप यादव ने तेजस्वी के खिलाफ अपने उम्मीदवार प्रेम कुमार यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। यह कदम तेज प्रताप के लिए राजनीतिक जोखिम भी है और अपने अस्तित्व की लड़ाई भी।
तेज प्रताप का अचानक बड़ा फैसला
राजद के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक कुछ दिनों से राघोपुर में हलचल बढ़ गई थी। कहा जा रहा था कि इस बार तेज प्रताप यादव किसी बड़े कदम की तैयारी में हैं। आखिरकार जब तेज प्रताप ने प्रेम कुमार यादव को राघोपुर से उम्मीदवार बनाने की घोषणा की, तो पूरे बिहार की राजनीति में हलचल मच गई। यह कदम सीधे तौर पर उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव को चुनौती माना जा रहा है।
राघोपुर सीट पारंपरिक रूप से लालू परिवार का गढ़ रही है। इस क्षेत्र ने लालू यादव, राबड़ी देवी और अब तेजस्वी यादव को विधानसभा पहुंचाया था। ऐसे में तेज प्रताप का यहां किसी दूसरे उम्मीदवार को उतारना बिहार की राजनीति में नया मोड़ लेकर आ सकता है।
कौन हैं प्रेम कुमार यादव
प्रेम कुमार यादव एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता हैं जिन्होंने लंबे समय तक राघोपुर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में काम किया है। वे पेशे से किसान परिवार से आते हैं और युवाओं के बीच उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। तेज प्रताप से उनका जुड़ाव करीब पांच साल पुराना बताया जाता है। वे तेज प्रताप के संगठन “लैटलाइट सेना” और “लालू सेना” में प्रारंभिक दौर से सक्रिय रहे हैं।
प्रेम कुमार यादव लंबे समय से जनसुविधाओं, शिक्षा और किसानों के अधिकारों को लेकर आवाज उठाते रहे हैं। राघोपुर के लोग उन्हें एक सादे जीवन वाले नेता के रूप में जानते हैं। तेज प्रताप द्वारा उन्हें मौका देना उनके वफादारी का सम्मान भी माना जा रहा है।
तेजस्वी के लिए मुश्किल बनेगी राघोपुर की चुनौती
राघोपुर सीट पर अब की स्थिति पहले जैसी नहीं रही। तेजस्वी यादव यहां राजद के मुख्य चेहरे हैं, लेकिन तेज प्रताप के कदम से वोटों का बंटवारा तय माना जा रहा है। राजनीति जानकारों का कहना है कि यदि तेज प्रताप के समर्थक प्रेम कुमार यादव के साथ खड़े रहे, तो मुकाबला दिलचस्प हो सकता है।
तेजस्वी पहले ही बतौर उपमुख्यमंत्री और अब विपक्ष के नेता के तौर पर राज्य में सक्रिय हैं। लेकिन लगातार परिवार के भीतर चल रही मतभेद की खबरें उनकी छवि पर असर डाल सकती हैं। राघोपुर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में यह असर सीधे वोटबैंक पर दिख सकता है।
राजद में अंदरूनी खींचतान फिर आई सामने
यह पहली बार नहीं है जब तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव के बीच राजनीतिक मतभेद खबरों में आए हों। कई बार तेज प्रताप ने सार्वजनिक रूप से भी अपनी नराज़गी जताई है। कभी टिकट बंटवारे को लेकर तो कभी संगठन के फैसलों पर वे तेजस्वी से अलग राय रखते आए हैं। अब तेजस्वी के खिलाफ राघोपुर से अपने करीबी को उतारना खुली चुनौती माना जा रहा है।
राजद के अंदर इस कदम को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ नेताओं का मानना है कि इससे पार्टी की एकता पर असर पड़ेगा, वहीं तेज प्रताप के समर्थक इसे “लोकतांत्रिक निर्णय” बता रहे हैं।
भविष्य की राजनीति पर असर
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर राघोपुर में मुकाबला तिकोना हुआ, यानी राजद, भाजपा और तेज प्रताप समर्थक प्रत्याशी आमने-सामने हुए, तो इसका फायदा विपक्षी दलों को हो सकता है। इससे न केवल राजद का वोटबैंक कमजोर होगा, बल्कि लालू परिवार की एकता पर भी सवाल उठेगा।
तेज प्रताप का राजनीतिक व्यवहार हमेशा से अप्रत्याशित रहा है। उन्होंने पहले भी अपने बयानों और फैसलों से पार्टी को चौंकाया है। फिलहाल उनका यह कदम यह दर्शाता है कि वे अपने राजनीतिक स्थान की तलाश में हैं और अब किसी भी कीमत पर खुद को राजनीतिक रूप से साबित करना चाहते हैं।
प्रेम कुमार यादव की रणनीति क्या होगी
प्रेम कुमार यादव ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा है कि उनका मकसद विकास कार्यों को आगे बढ़ाना है। उन्होंने गांवों में युवाओं और महिलाओं को लेकर कई योजनाओं की घोषणा की है। वे खुद को किसी विवाद से दूर बताते हैं और कहते हैं कि वे सिर्फ जनता की सेवा करने आए हैं।
जानकारों के मुताबिक प्रेम कुमार यादव राघोपुर में लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं। वे घर-घर जाकर लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं। तेज प्रताप का पूरा प्रचार प्रबंधन भी अब इसी क्षेत्र पर केंद्रित है।
तेज प्रताप की छवि में बदलाव की कोशिश
तेज प्रताप यादव लंबे समय से “विद्रोही” नेता की छवि के साथ जुड़े हुए हैं। उन्हें अक्सर पारिवारिक राजनीति में अलग सुर में बोलने वाला नेता माना जाता है। लेकिन, उन्होंने हाल के कुछ महीनों में खुद की छवि को “जननायक” रूप में पेश करने की कोशिश की है। तेजस्वी के खिलाफ राघोपुर से उम्मीदवार उतारना इसी अभियान का हिस्सा बताया जा रहा है।
वे अब सीधे जनता से संवाद स्थापित कर रहे हैं, सोशल मीडिया से दूरी बनाकर कार्यकर्ताओं से जुड़ाव बढ़ा रहे हैं। चुनाव के नतीजे चाहे जो हों, इतना तय है कि बिहार की राजनीति में यह चुनाव लालू परिवार के भीतर बदलाव की झलक जरूर दिखाएगा।
राघोपुर की चुनावी जंग काफी दिलचस्प होने वाली है। तेजस्वी यादव अपनी परंपरागत सीट बचाने की कोशिश करेंगे, तो दूसरी ओर तेज प्रताप अपने करीबी प्रेम कुमार यादव के जरिए भाई के किले में सेंध लगाने का प्रयास करेंगे। यह मुकाबला सिर्फ एक चुनाव नहीं बल्कि भावनात्मक और पारिवारिक संघर्ष का प्रतीक भी बनेगा। बिहार की जनता इस राजनीतिक अध्याय को बड़ी दिलचस्पी से देख रही है, क्योंकि राघोपुर का नतीजा आने वाले वर्षों में लालू परिवार की दिशा भी तय कर सकता है।