रेलवे प्रोजेक्ट बना काल! एक-एक कर बुझीं 4 मासूम की ज़िंदगियाँ
महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में रेलवे परियोजना स्थल पर बड़ा हादसा हुआ। पानी से भरे गहरे गड्ढे में डूबकर चार मासूम बच्चों की मौत ने पूरे इलाके को शोक और आक्रोश से भर दिया।
यवतमाल हादसा मासूमों की चीखें सुनकर कांप उठे लोग
महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के दारव्हा में बुधवार शाम एक बेहद दर्दनाक हादसा हुआ। रेलवे परियोजना के लिए खोदे गए गहरे गड्ढे में पानी भर जाने से 4 बच्चों की डूबकर दर्दनाक मौत हो गई। यह घटना से पूरे इलाके में शोक और आक्रोश का कारण बना हुआ है । कौन थे ये मासूम बच्चे? इस हादसे में अपनी जान गंवाने वाले बच्चे बेहद कम उम्र के थे। उनकी पहचान इस प्रकार की गई है: रिहान असलम खान (13 वर्ष) गोलू पांडुरंग नारनवरे (10 वर्ष) सोम्या सतीश खडसन (10 वर्ष) वैभव आशीष बोधले (14 वर्ष) परिवारों के लिए यह गहरा सदमा है। खेलते-खेलते नहाने के लिए गए ये मासूम कभी वापस घर नहीं लौट पाए।
कैसे हुआ यह हादसा?
वर्धा-यवतमाल-नांदेड रेलवे लाइन का काम दारव्हा-नेर मार्ग पर तेजी से चल रहा है। पुल और खंभे बनाने के लिए कई बड़े-बड़े गड्ढे खोदे गए थे। हाल की भारी बारिश के कारण ये गड्ढे पानी से लबालब भर गए।
Related Articles
बुधवार दोपहर चारों बच्चे नहाने के लिए इस गड्ढे में उतर गए। उन्हें पानी की गहराई का अंदाज़ा नहीं था। धीरे-धीरे सभी बच्चे डूबने लगे। आसपास मौजूद लोगों ने चीख-पुकार सुनी और उन्हें बाहर निकाला, लेकिन तब तक हालात बिगड़ चुके थे।
अस्पताल ले जाने के बाद भी नहीं बच सकी जान
स्थानीय लोगों ने आनन-फानन में बच्चों को दारव्हा के उप जिला अस्पताल पहुंचाया। उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें यवतमाल के संजीवनी अस्पताल रेफर किया गया। डॉक्टरों ने काफी प्रयास किया लेकिन चारों मासूमों को बचाया नहीं जा सका।
रेलवे और प्रशासन पर उठे सवाल
यह हादसा रेलवे और प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है गड्ढों के चारों ओर सुरक्षा घेरा या चेतावनी बोर्ड नहीं लगाए गए थे बारिश के मौसम में पानी भर जाने की संभावना के बावजूद कोई रोकथाम नहीं की गई बच्चों को वहां जाने से रोकने के लिए कोई गार्ड या सुरक्षा कर्मी मौजूद नहीं थे।स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर समय रहते उचित इंतजाम किए जाते, तो आज 4 परिवार अपने बच्चों को खोने के दर्द से नहीं गुजर रहे होते।
लोगों में आक्रोश और मांग
इस हादसे के बाद क्षेत्र में शोक और गुस्से का माहौल है। लोगों ने रेलवे और प्रशासन से मांग की है कि ऐसे सभी निर्माण स्थलों पर सुरक्षा बैरिकेडिंग की जाए चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं।पानी भरने की स्थिति में गड्ढों को तुरंत भरने या ढकने की व्यवस्था हो।इसके साथ ही मृतकों के परिजनों को मुआवजा और न्याय दिलाने की मांग भी उठ रही है।
ये भी पढ़ें
मैं हूँ मानसी आर्या, GCShorts.com की एडिटर। टेक-गियर, न्यूज़ कवरेज, ये सब मेरे जिम्मे है। कंटेंट की प्लानिंग से लेकर प्रोडक्शन तक सब कुछ देखती हूँ। डिजिटल मार्केटिंग और सोशल मीडिया की झलक भी है मेरे फैसलों में, जिससे खबरें जल्दी, बढ़िया और असली आपके पास पहुँचती रहें। कोई फालतू झंझट नहीं, बस काम की बातें।
-
हांगकांग की भीषण आग इतनी तेजी से क्यों फैली? — फास्ट-बर्निंग फोम पर बड़ा खुलासा -
सिद्धारमैया का प्लान: अगर कांग्रेस DK शिवकुमार को बढ़ावा दे तो क्या होगा? -
सदियों पुराना दर्द आज खत्म: पीएम मोदी ने राम मंदिर ध्वजारोहण पर कही अहम बातें -
बिहार में योगी मॉडल लागू करना: सम्राट चौधरी के लिए जरूरी और मजबूरी -
इथियोपिया की ज्वालामुखीय राख दिल्ली की पहले से जहरीली हवा को और बिगाड़ सकती है -
Shashi Tharoor का आइडियोलॉजिकल पवित्रता वाला जवाब PM की आलोचना के बाद चर्चा में