भारतीय रेलवे पर यात्रा करना देश के लाखों लोगों के लिए सबसे पसंदीदा साधन है। हजारों ट्रेनें रोजाना देशभर में चलती हैं और यात्रियों को उनके गंतव्य तक सुरक्षित और आरामदायक सफर का मौका देती हैं। अक्सर ट्रेन के चार्ट तैयार होने के बाद कई यात्रियों का टिकट RAC (Reservation Against Cancellation) में बदल जाता है। यह स्थिति तब होती है जब ट्रेन में सभी सीटें पहले से बुक हो चुकी होती हैं। आरएसी टिकट में यात्रियों को आधा सीट मिलता है और उस सीट को एक अन्य यात्री भी इस्तेमाल करता है। लेकिन सवाल यह है कि अगर चार्ट बनने के बाद कोई यात्री आरएसी टिकट पर सफर नहीं करना चाहता तो क्या रेलवे उसे रिफंड देगा?
आरएसी टिकट का मतलब और सफर कैसे होता है?
आरएसी टिकट का मतलब है कि यात्री के लिए ट्रेन में आधा सीट सुरक्षित है। यह टिकट उन यात्रियों को मिलता है जिनका टिकट कन्फर्म नहीं हुआ होता, लेकिन रेलवे द्वारा सफर के लिए अनुमति दी जाती है कि आधे सीट पर वह यात्रा कर सकता है। आधे सीट का मतलब यह है कि आधी सीट पर दो यात्री सफर करते हैं, इसलिए सुविधा थोड़ी सीमित होती है। इसका उद्देश्य अधिकतम यात्रियों को ट्रेन में सफर का मौका देना होता है।
चार्ट बनने के बाद टिकट कैंसिलेशन और रिफंड की सफाई
भारतीय रेलवे के नियमों के अनुसार, ट्रेन का चार्ट बनने के बाद टिकट कैंसिल करने की सीमा सीमित होती है। यदि आपके टिकट का स्टेटस चार्ट तैयार होने के बाद RAC में बदल जाता है और आप उस टिकट पर यात्रा नहीं करना चाहते, तो आप टिकट कैंसिल कर सकते हैं और रिफंड का दावा कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप ट्रेन के प्रस्थान से कम से कम 30 मिनट पहले टिकट को कैंसिल करें या टीडीआर (Ticket Deposit Receipt) फाइल करें। उनकी वेबसाइट पर इस प्रक्रिया को पूरा करना होता है।
RAC टिकट कैंसिलेशन के लिए टीडीआर कैसे फाइल करें?
अगर चार्ट बनने के बाद आपकी टिकट RAC में चली जाती है और आप सफर नहीं करना चाहते तो आपको सबसे पहले IRCTC की वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर लॉगिन करना होगा। "Booked Tickets" सेक्शन में जाकर उस टिकट को चुनें और टिकट कैंसिलेशन के लिए विकल्प चुनें। अगर समय रहते टिकट कैंसिल नहीं करते तो रिफंड नहीं मिलेगा। इसके अलावा अगर ट्रेन निकल चुकी है तो टिकट कैंसिलेशन संभव नहीं होता, लेकिन आप टीडीआर फाइल करवा कर रिफंड की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। यह प्रक्रिया मोबाइल या कंप्यूटर से आसान है।
रेलवे से रिफंड मिलने की शर्तें और चुकानी पड़ने वाली फीस
चार्ट बनने के बाद RAC टिकट कैंसिल कराने पर रेलवे रिफंड तो देता है, लेकिन उससे कुछ सेवा शुल्क यानी क्लर्केज फीस काटी जाती है। आम तौर पर करीब 60 रुपये प्रति टिकट क्लर्केज फीस के तौर पर काटे जाते हैं। अगर टिकट समय पर कैंसिल या टीडीआर दायर नहीं किया गया तो आपका पैसा वापस नहीं मिलेगा। इसलिए समय का खास ख्याल रखना चाहिए। रिफंड की राशि आपके बैंक खाते में उसी तरीके से जमा हो जाती है जिससे आपने टिकट बुक किया था।
यात्रियों के लिए रेलवे के नियम और सुविधा का महत्त्व
भारतीय रेलवे के नियम यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाये गए हैं। यह नियम सुनिश्चित करते हैं कि यात्रियों को उनके सफर का पूरा आराम मिल सके और किसी भी प्रकार की परेशानी न हो। साथ ही, रेलवे इस बात का भी ध्यान रखता है कि टिकट कैंसिल करने पर यात्रियों को उचित रिफंड मिले, जिससे उनकी नाराजगी न हो। देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार में भी रेलवे की अहम भूमिका है जो लाखों लोगों को काम देता है।
यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें और सुझाव
अगर आपके टिकट का स्टेटस RAC आ गया है और आप सफर नहीं करना चाहते तो जल्द से जल्द ट्रेन के चलने से 30 मिनट पहले अपना टिकट कैंसिल करना या टीडीआर फाइल करना न भूलें। इससे आपको रिफंड मिल सकेगा और आप अनावश्यक नुकसान से बचेंगे। टिकट कैंसिलेशन या टीडीआर प्रक्रिया को ई-रेलवे की वेबसाइट या मोबाइल ऐप से आसानी से किया जा सकता है। सफर के दौरान रेलवे कर्मचारी और ऑनलाइन सेवा आपकी मदद करते हैं।
भारतीय रेलवे में चार्ट बनने के बाद अगर आपका टिकट RAC में बदल जाता है और आप सफर नहीं करना चाहते तो आपकी सुविधा का पूरा ध्यान रखा गया है। आपको प्रस्थान से 30 मिनट पहले टिकट कैंसिलेशन या टीडीआर फाइल कर रिफंड मिलने का अधिकार है। मगर अगर आप समय पर ये कदम नहीं उठाते तो रिफंड मिलने में परेशानी हो सकती है। इसलिए यात्रियों को हमेशा रेलवे के नियमों और समय सीमा का ध्यान रखना चाहिए ताकि उन्हें कोई नुक़सान न हो। रेलवे लगातार यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ाने में लगा हुआ है ताकि हर यात्री का सफर सुखद और आसान हो सके।
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