कफ और खांसी की समस्या हर मौसम में आम होती है, खासकर बच्चों में। डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप, जिसे आम बोलचाल में कफ सिरप कहा जाता है, खांसी को कम करने के लिए दी जाती है। यह दवा खांसी को दबाती है और गले की जलन को कम करती है। कई लोग इसे बिना डॉक्टरी सलाह के भी इस्तेमाल करते हैं। लेकिन हाल ही में राजस्थान में कई बच्चों की तबियत इस दवा के सेवन के बाद बिगड़ गई। इससे सवाल उठते हैं कि यह कफ सिरप कितनी सुरक्षित है और कब खतरनाक हो सकता है।
डेक्सट्रोमेथॉर्फन सिरप के फायदे और सामान्य असर
डेक्सट्रोमेथॉर्फन सिरप का मुख्य फायदा यह है कि यह गहरी और लगातार खांसी को रोकने में मदद करता है। खांसी के दौरान गले की जलन और सांस लेने में तकलीफ कम होती है। सामान्य डोज में यह दवा सुरक्षित मानी जाती है और अक्सर बच्चों और वयस्कों दोनों को दी जाती है। डॉक्टर्स बताते हैं कि अगर सही समय पर और सही मात्रा में इसे लिया जाए तो इसके साइड इफेक्ट बहुत कम होते हैं।
डेक्सट्रोमेथॉर्फन सिरप कब बन सकता है जानलेवा
हालांकि यह सिरप सुरक्षित माना जाता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा या गलत तरीके से लेने पर यह खतरनाक हो सकता है। डॉक्टर्स के अनुसार, ज्यादा खुराक लेने पर बच्चे में उल्टी, नींद आना, चक्कर आना और कभी-कभी गंभीर मामलों में सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यही कारण है कि इस दवा को बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं देना चाहिए।
बच्चों में इस कफ सिरप का दुरुपयोग क्यों खतरनाक साबित हुआ
राजस्थान के हालिया मामले में कुछ बच्चों को यह सिरप सही मात्रा से ज्यादा दे दिया गया। बच्चों का वजन और उम्र देखकर सही डोज तय करना बहुत जरूरी है। ज्यादा खुराक लेने से बच्चे की लिवर और किडनी पर दबाव बढ़ता है। इसके अलावा, डेक्सट्रोमेथॉर्फन सिरप के कुछ ऐसे असर भी हैं जो छोटे बच्चों में जल्दी दिख जाते हैं, जैसे नींद में गड़बड़ी, बेचैनी और कभी-कभी गंभीर हालत में होश खो देना।
डॉक्स की सलाह कफ सिरप देते समय किन बातों का ध्यान रखें
डॉक्टर्स का कहना है कि कफ सिरप बच्चों को देने से पहले उनकी उम्र, वजन और स्वास्थ्य की स्थिति जरूर देखें। अगर बच्चे को बुखार, सांस लेने में तकलीफ या एलर्जी की समस्या है तो सिरप देने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें। किसी भी स्थिति में अपने बच्चे को ज्यादा मात्रा में कफ सिरप न दें। यह याद रखना जरूरी है कि दवा की मात्रा ज्यादा होना खतरे की वजह बन सकती है।
कफ सिरप के सेवन के बाद अगर लक्षण दिखें तो तुरंत करें यह कदम
अगर सिरप लेने के बाद बच्चे में उल्टी, नींद में गड़बड़ी, चक्कर या सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं दिखें तो तुरंत नज़दीकी अस्पताल जाएं। डॉक्टर बच्चे की हालत देखकर सही इलाज शुरू करेंगे। घर पर इंतजार करने या खुद दवा बदलने की कोशिश करना खतरनाक हो सकता है।
सावधानी और जागरूकता ही सबसे सुरक्षित तरीका
कफ सिरप को सुरक्षित बनाने का सबसे आसान तरीका यह है कि इसे हमेशा डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दिया जाए। दवा की बोतल पर लिखी खुराक और इस्तेमाल की जानकारी को ध्यान से पढ़ें। बच्चों के हाथों से दवा की बोतल दूर रखें और कभी भी बिना सलाह के अपने हिसाब से खुराक न बढ़ाएं। अगर बच्चों में खांसी लंबे समय तक बनी रहे तो बिना डॉक्टर की जांच के खुद दवा बदलने से बचें।
खांसी की दवा हो सकती है मददगार लेकिन सावधानी जरूरी
डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप खांसी कम करने में बहुत मददगार है, लेकिन इसके सही इस्तेमाल और मात्रा का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। बच्चों में गलत खुराक से गंभीर खतरा हो सकता है। इसलिए हमेशा डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा दें, ज्यादा मात्रा न लें और लक्षणों पर ध्यान रखें। सही सावधानी से यह सिरप खांसी को कम करने और बच्चों को आराम देने में कारगर साबित होता है।