Ramabhadracharya : की कथा आयोजकों और टेंट कारोबारी के बीच 42 लाख रुपये बकाया का विवाद
मेरठ में आयोजित जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य की रामकथा अब धार्मिक माहौल से ज्यादा आर्थिक विवाद को लेकर चर्चा में है। टेंट कारोबारी अनुज अग्रवाल का आरोप है कि आयोजकों ने 42 लाख रुपये का भुगतान नहीं किया। कई बार संपर्क करने के बाद भी फोन तक न उठाने से कारोबारी परेशान हैं। इस विवाद ने न सिर्फ व्यापारियों को चिंतित किया है बल्कि धार्मिक आयोजनों की पारदर्शिता और भविष्य की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
मेरठ शहर में हाल ही में हुई जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य की रामकथा अब केवल धार्मिक आयोजन के लिए ही नहीं बल्कि बकाया पैसों के विवाद को लेकर भी चर्चा का विषय बन गई है। शहर के प्रसिद्ध टेंट कारोबारी अनुज अग्रवाल का आरोप है कि रामकथा के आयोजकों ने उनसे लिया गया टेंट, पंडाल और अन्य व्यवस्थाओं का 42 लाख रुपये का भुगतान अभी तक नहीं किया है। यह बात सामने आने के बाद से स्थानीय व्यापारियों और समाज में भी इसकी चर्चा है। अनुज अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने आयोजन की सफलता के लिए पूरी जिम्मेदारी के साथ सभी इंतजाम किए थे, लेकिन आयोजन पूरा होने के कई दिन बाद तक भी उन्हें पैसे नहीं दिए गए।
टेंट कारोबारी का यह भी कहना है कि उन्होंने आयोजकों से कई बार बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन सामने से कोई जवाब नहीं मिला। यहां तक कि अब फोन कॉल का भी कोई रिस्पॉन्स नहीं किया जा रहा। इस पूरे मामले ने न केवल अनुज अग्रवाल को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है, बल्कि धार्मिक आयोजनों की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। कई लोगों का मानना है कि इस प्रकार के विवाद भविष्य में बड़े धार्मिक आयोजनों की छवि को धूमिल कर सकते हैं। आयोजन जैसे कार्यक्रमों से जुड़े लोगों को भी लगता है कि यदि बकाया राशि का निपटारा न हुआ तो अन्य कारोबारी भी आगे आयोजनों से दूरी बनाने लगेंगे।
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टेंट कारोबारी की शिकायत और तकलीफ
अनुज अग्रवाल लंबे समय से मेरठ और आसपास के इलाकों में बड़े आयोजनों के लिए टेंट और पंडाल का काम करते आ रहे हैं। उनका कहना है कि इस बार भी उन्होंने न केवल टेंट लगाया बल्कि मंच, लाइटिंग, कुर्सियां और अन्य जरूरत की चीजें समय पर और पूरी जिम्मेदारी से उपलब्ध कराईं। आयोजन के वक्त सब कुछ सुचारू रूप से हुआ और हजारों की संख्या में श्रद्धालु कथा सुनने पहुंचे। लेकिन जब बारी आई मेहनताना और खर्च के भुगतान की, तब उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा।
अनुज का कहना है कि आयोजन समिति के लोगों ने कई बार उन्हें आश्वासन दिया, लेकिन वास्तविक भुगतान की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। इतना ही नहीं, अब हालात यह हैं कि वे फोन करने पर भी जवाब नहीं देते। इससे यह साफ जाहिर होता है कि आयोजक भुगतान करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। अनुज का दर्द इस बात से भी है कि आयोजन धार्मिक था और इसके लिए श्रद्धालु दिन-रात उपस्थित रहे। ऐसे पवित्र माहौल में लोगों को आर्थिक नुकसान पहुंचाना कहीं से भी उचित नहीं है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही राशि का भुगतान नहीं किया गया तो उन्हें मजबूर होकर कानूनी रास्ता अपनाना पड़ेगा।
आयोजकों की चुप्पी और बढ़ते सवाल
इस पूरे मामले में सबसे हैरानी की बात आयोजकों की चुप्पी है। कथित रूप से उन्होंने अब तक टेंट कारोबारी की शिकायतों का कोई जवाब नहीं दिया है। न तो उन्होंने सार्वजनिक तौर पर इस विवाद पर कोई बयान दिया और न ही कारोबारी से संपर्क साधने की पहल की। इससे समाज में तरह-तरह की बातें फैल रही हैं। कई लोग आयोजन समिति की नीयत पर सवाल खड़े कर रहे हैं और कह रहे हैं कि अगर वास्तव में समिति ईमानदार है तो उसे तुरंत टेंट कारोबारी का भुगतान निपटाना चाहिए।
धार्मिक आयोजनों का उद्देश्य लोगों में सकारात्मकता और भक्ति की भावना जगाना होता है, लेकिन यदि आयोजक ही पारदर्शिता से काम न करें तो आम जनता का भरोसा टूट सकता है। आयोजन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि समिति के कुछ सदस्य इन दिनों शहर से बाहर हैं, जबकि अन्य ने खुद को इस विवाद से दूर कर लिया है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में समिति इस विवाद पर क्या रुख अपनाती है। लेकिन फिलहाल उनकी चुप्पी कारोबारियों और समाज, दोनों की नजरों को और भी अधिक आकर्षित कर रही है।
धार्मिक आयोजनों पर आर्थिक विवाद का प्रभाव
मेरठ में हुआ यह विवाद केवल एक टेंट कारोबारी और आयोजकों के बीच का मामला नहीं है। इसका असर शहर और समाज के दूसरे कारोबारियों पर भी पड़ सकता है। व्यापार जगत के लोगों का कहना है कि अगर आयोजकों की ऐसी ही कार्यशैली रही तो भविष्य में कोई भी कारोबारी बड़े धार्मिक आयोजनों के साथ हाथ मिलाने से पहले कई बार सोचेगा। इससे आयोजनों की शान और गरिमा को नुकसान पहुंच सकता है।
धार्मिक आयोजन समाज में लोगों को जोड़ने का सबसे बड़ा माध्यम होते हैं। चाहे वह रामकथा हो या कोई और आध्यात्मिक आयोजन, इनके जरिए हजारों लोग एकजुट होकर आध्यात्मिक आनंद लेते हैं। लेकिन जब ऐसे आयोजनों के साथ लाखों का बकाया और विवाद जुड़ जाए तो धार्मिक आस्था भी प्रभावित होती है। अनुज अग्रवाल जैसे कारोबारी अपनी मेहनत और पूंजी लगाते हैं ताकि आयोजन भव्य और सफल हो, लेकिन अगर उनका भुगतान ही न किया जाए तो उनका विश्वास टूट जाता है। यही वजह है कि कई लोग इस विवाद को लेकर चिंतित हैं और चाहते हैं कि जल्द से जल्द इसका समाधान हो।
समाज और प्रशासन से उम्मीद
अनुज अग्रवाल ने अब यह साफ कर दिया है कि अगर राशि का भुगतान जल्द नहीं मिला तो वे इस मामले को अदालत तक ले जाएंगे। उन्होंने समाज और प्रशासन से भी अपील की है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कोई स्पष्ट व्यवस्था बने ताकि धार्मिक आयोजनों में काम करने वाले कारोबारी खुद को असुरक्षित महसूस न करें।
प्रशासन की ओर से अभी तक इस विषय पर आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है, लेकिन लोगों का मानना है कि अगर इस विवाद को गंभीरता से निपटाया नहीं गया तो भविष्य में ऐसे मामलों की संख्या बढ़ सकती है। समाज के कई लोग यह भी कह रहे हैं कि आयोजन समिति को सामने आकर इस विवाद का हल निकालना चाहिए, जिससे शहर और धर्म दोनों की छवि बनी रहे। फिलहाल पूरे शहर की निगाहें इस विवाद पर टिकी हैं और देखा जा रहा है कि आखिर रामभद्राचार्य की कथा से जुड़े आयोजक इस आरोप पर क्या रुख अपनाते हैं।
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