हिमाचल प्रदेश के चंबा शहर में इस बार की रामलीला हमेशा के लिए याद रह जाएगी। मंगलवार की शाम सब कुछ सामान्य चल रहा था। दर्शकों से भरा पंडाल, मंच पर कलाकार रामायण की कहानी को जीवंत कर रहे थे। अचानक ही माहौल बदल गया। मंच पर दशरथ का किरदार निभा रहे 59 वर्षीय अमरेश महाजन अचानक लड़खड़ाए और जमीन पर गिर पड़े। सबको पहले लगा ये भी अभिनय का ही हिस्सा है। लेकिन जब वे नहीं उठ पाए तो मंच पर अफरा-तफरी मच गई। थोड़ी ही देर में पता चला कि उन्हें हार्ट अटैक आया है।
23 सालों से रामलीला मंच पर दर्शकों का दिल जीतने वाले कलाकार का अंतिम अभिनय
अमरेश महाजन पिछले 23 वर्षों से रामलीला में तरह-तरह के किरदार निभाते आ रहे थे। इस बार वे दशरथ का रोल कर रहे थे। जैसे ही मंच पर पुत्र वियोग में दशरथ का दर्द दिखाने की बारी आई, वे अपनी पूरी भावनाओं के साथ डायलॉग बोलने लगे। उनके अभिनय में इतनी सच्चाई थी कि देखने वाले भी भावुक हो गए। उसी दौरान मंच पर खड़े-खड़े उनकी साँसें थम गईं। उनके अचानक इस तरह चले जाने से रामलीला मैदान में हर कोई स्तब्ध रह गया।
सीन के बीच गिर पड़े दशरथ, लोगों को लगा अभिनय कर रहे हैं
मंच पर एक बहुत भावुक दृश्य चल रहा था। अमरेश महाजन जब संवाद बोल रहे थे, तभी उनकी तबीयत खराब हो गई। उनके गिरने को सब लोगों ने अभिनय समझा। कुछ कलाकार भी पास आए, पर जब अमरेश महाजन के चेहरे पर पीला पन आया और वे नहीं संभले तो आयोजकों ने तुरंत उन्हें अस्पताल भिजवाया। लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। हार्ट अटैक इतना तेज था कि उन्हें बचाया नहीं जा सका। मंच के पर्दे के पीछे कई लोगों की आंखों में आंसू थे। यह घटना सबके लिए कभी न भूलने वाली बन गई।
वीडियो देखकर भी लोगों के रोंगटे खड़े हो गए
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें मंच पर सब कुछ अचानक रुक जाता है। लोग कहते हैं कि जिंदगी का कोई भरोसा नहीं। एक क्षण में हास्य और अगले ही पल में गम। अमरेश महाजन के हार्ट अटैक वाले वीडियो को लेकर लोग बहुत भावुक हैं और अपने-अपने तरीके से श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश के चंबा में रामलीला के मंच पर गिर पड़े 'दशरथ', अभिनय करते-करते थम गई सांसें, हैरान करने वाला वीडियो आया सामने#video | #HimachalNewspic.twitter.com/sQ4MV9n6N2
— NDTV India (@ndtvindia) September 24, 2025
चंबा में शोक की लहर, हर तरफ अमरेश महाजन को किया जा रहा याद
चंबा शहर में अमरेश महाजन के चाहने वालों की कमी नहीं थी। रामलीला के हर दर्शक को उनकी आवाज़, उनकी शैली, उनका अभिनय हमेशा याद रहेगा। उनके जाने के बाद से इलाके में शोक की लहर है। लोग सोशल मीडिया पर उनके पुराने वीडियो शेयर कर रहे हैं। उनके साथी कलाकारों ने उसी रात एक मोमबत्ती जला कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। सबको विश्वास नहीं हो रहा कि अब मंच पर दशरथ की आवाज गूंजेगी ही नहीं।
रामलीला आयोजक समिति और पूरे शहर को बड़ा झटका
रामलीला आयोजित करने वाली समिति भी कलाकार के यूं चले जाने से गहरे आहत है। समित के अध्यक्ष ने बताया कि अमरेश महाजन हर साल बिना किसी स्वार्थ के अपनी सेवाएं देते थे। उन्होंने कहा, "उन जैसा समर्पित कलाकार मिलना बहुत मुश्किल है। इस बार दशरथ के रोल के लिए उन्हीं का चुनाव सबसे पहले सभी ने किया था।" अब समिति यह सोच रही है कि बिना उनके आयोजन अधूरा ही लगेगा।
परिवार में भी गहरा दुख, बच्चों की आंखों में भी आंसू
अमरेश महाजन के परिवार के लिए यह वक्त बहुत मुश्किल है। उनकी पत्नी और बच्चे सदमे में हैं। आसपास के लोग सांत्वना देने उनके घर पहुंच रहे हैं। परिवार वालों ने बताया कि वे हमेशा अपने काम और परिवार के बीच संतुलन बनाए रखते थे। घर में भी वे रामायण और महाभारत की बातें करते रहते थे। बच्चों को भी संस्कृति से जोड़ते थे। उनका अचानक जाना पूरे परिवार के लिए बहुत बड़ा नुकसान है।
हर किसी की जुबां पर एक ही बात - अमरेश महाजन जी को कभी नहीं भूल पाएंगे
रामलीला देखने आने वाले दर्शकों से लेकर वरिष्ठ लोगों तक, हर कोई यही कह रहा है कि अमरेश महाजन जी ना सिर्फ शानदार कलाकार थे बल्कि बहुत अच्छे इंसान भी थे। वे बच्चों को मंचन की बारीकियां सिखाते, पुरानी पीढ़ी से सम्मान लेते और सभी से मुस्कुराकर बात करते थे। उनका भरा-पूरा साथ और जीवन सबके मन में हमेशा जीवित रहेगा।
समाज को मिली एक सीख, स्वास्थ का रखें ध्यान
अमरेश महाजन के निधन ने सबको सोचने पर मजबूर किया है कि एक्टिंग, भावनाएं और जिंदगी - सबका तालमेल जरूरी है। मंच पर कलाकार चाहे कितना ही समर्पित हो, लेकिन स्वास्थ का ध्यान रखना सबसे जरूरी है। हार्ट अटैक जैसी घटनाएं कभी-कभी बेहद गंभीर हो जाती हैं, इसलिए तनाव को कम करें, अपनी सेहत की अनदेखी न करें।
आखिर में शहर के लोग क्यों कह रहे- ऐसा कलाकार बहुत कम जन्म लेता है
अमरेश महाजन जैसे कलाकार चंबा जैसे छोटे शहर में बहुत कम मिलते हैं। वे सिर्फ रामलीला के ही नहीं, पूरे शहर के प्रिय थे। उनकी सरलता, मेहनत और कलाकारिता हमेशा याद की जाएगी। मंच पर जो सच्चाई लेकर आते थे, वह बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर किसी के दिल में बस गई है।