RBI लॉन्च करेगा Deposit Tokenisation पायलट: बैंकिंग में डिजिटल क्रांति का नया कदम
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) 8 अक्टूबर से Deposit Tokenisation का पायलट लॉन्च करने जा रहा है, जो वित्तीय लेनदेन को और अधिक तेज, सुरक्षित और किफायती बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस प्रयोग में CBDC (Central Bank Digital Currency) का होलसेल लेयर आधार के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। RBI के चीफ जनरल मैनेजर सुवेंदु पाटी के अनुसार, यह पहल बैंक में जमा राशि को डिजिटल रूप में बदलकर सुरक्षित और पारदर्शी लेनदेन सुनिश्चित करेगी।
Deposit Tokenisation क्या है?
फाइनेंसियल दुनिया में Tokenisation का मतलब है किसी वास्तविक वित्तीय संपत्ति को डिजिटल रूप में एक टोकन के जरिए प्रतिनिधित्व करना। Deposit Tokenisation में बैंक में रखी गई जमा राशि को टोकन के रूप में बदला जाएगा। प्रत्येक टोकन वास्तविक जमा राशि का प्रतिनिधित्व करेगा, यानी 1 टोकन = 1 यूनिट जमा। इस डिजिटल टोकन का उपयोग बैंकिंग सिस्टम के भीतर लेनदेन, ट्रांसफर और सेटलमेंट के लिए किया जा सकता है।
RBI इस पहल के तहत पहले सरकारी प्रतिभूतियों (government securities) और ग्राहक जमा को टोकनाइज करने का मूल्यांकन कर चुका है। इस प्रयोग का उद्देश्य वित्तीय लेनदेन को तेज, सुरक्षित और पारदर्शी बनाना है और डिजिटल करेंसी को भारतीय बैंकिंग प्रणाली में और अधिक एकीकृत करना है।
CBDC Wholesale क्यों इस्तेमाल किया जाएगा?
यह पायलट India की Wholesale CBDC (e₹-W) पर आधारित होगा। होलसेल CBDC मुख्य रूप से इंटरबैंक और संस्थागत सेटलमेंट के लिए डिजाइन किया गया है, जैसे कि सरकारी प्रतिभूतियों के बाजार में लेनदेन।
Wholesale CBDC पर आधारित टोकनाइज़ेशन यह सुनिश्चित करता है कि टोकन RBI द्वारा समर्थित हों और केंद्रीय बैंक की मुद्रा की सुरक्षा और फाइनलिटी प्राप्त हो। साथ ही यह प्रयोग एक नियंत्रित वातावरण में होता है, जिससे बड़े पैमाने पर रिटेल टोकनाइजेशन से पहले सभी प्रक्रियाओं का परीक्षण किया जा सके।
भारत में CBDC पायलट्स का इतिहास
भारत ने 1 नवंबर 2022 को Wholesale CBDC पायलट शुरू किया था, जो सरकारी प्रतिभूतियों के बाजार में सेटलमेंट के लिए था। इसके बाद, 1 दिसंबर 2022 को Retail CBDC पायलट (e₹-R) शुरू किया गया, जो चयनित शहरों में Person-to-Merchant (P2M) और Person-to-Person (P2P) लेनदेन के लिए था।
मार्च 2024 तक, रिटेल CBDC का उपयोग तेजी से बढ़ा है — outstanding retail CBDC ₹6 करोड़ से बढ़कर ₹234 करोड़ हो गया, यानी लगभग 39 गुना वृद्धि। इसके विपरीत, होलसेल CBDC का उपयोग कम हुआ।
इस पायलट के माध्यम से RBI का उद्देश्य भारतीय वित्तीय प्रणाली में डिजिटल करेंसी और टोकनाइजेशन को एक मजबूत आधार प्रदान करना और बैंकिंग लेनदेन को अधिक सुरक्षित, तेज और पारदर्शी बनाना है।