रेडी-टू-मूव इन फ्लैट बनाम अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी: समझिए कौन है बेहतर निवेश विकल्प
जानिए क्यों रेडी-टू-मूव इन फ्लैट खरीदना अधिक सुरक्षित और समझदारी भरा निर्णय है, जबकि अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी में जोखिम अधिक होते हैं।
रेडी-टू-मूव इन फ्लैट बनाम अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी: कौन-सा विकल्प है ज्यादा सुरक्षित और फायदेमंद?
आजकल रियल एस्टेट में निवेश करने से पहले लोगों के सामने सबसे बड़ा सवाल होता है — क्या अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी खरीदनी चाहिए या रेडी-टू-मूव इन फ्लैट? अधिकतर खरीदार अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट की ओर झुक जाते हैं क्योंकि उसकी कीमत रेडी-टू-मूव प्रॉपर्टी की तुलना में कम होती है। लेकिन यह सस्ती डील कई बार भारी पड़ सकती है। एक समझदार निवेशक को केवल कीमत नहीं, बल्कि उससे जुड़े जोखिम और टैक्स इम्प्लीकेशन भी समझने चाहिए।
वित्तीय दृष्टिकोण से सोचें तो रेडी-टू-मूव फ्लैट ही है बेहतर विकल्प
जैसा कि कहा गया है, "हाथ का एक पक्षी झाड़ी के दो पक्षियों से बेहतर है", यह बात घर खरीदने पर भी पूरी तरह लागू होती है।
अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी में सबसे बड़ा खतरा है — डिले (विलंब) और डेवलपर का डिफॉल्ट। आपको अक्सर खबरों में सुनने को मिलता है कि बिल्डर ने तय समय पर पजेशन नहीं दिया। भले ही RERA नियम लागू होने के बाद स्थिति कुछ सुधरी हो, लेकिन जोखिम अब भी मौजूद है।
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इसके विपरीत, रेडी-टू-मूव इन फ्लैट में न तो डिले का डर होता है, न डेवलपर की वित्तीय स्थिति की चिंता। आप तुरंत अपने घर में शिफ्ट हो सकते हैं और किराए का खर्चा भी बचा सकते हैं। इससे आपकी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बनी रहती है।
अक्सर लोग अंडर कंस्ट्रक्शन घर बुक करते समय अपनी पूरी बचत और भविष्य की आय (EMI के रूप में) लगा देते हैं। यदि बिल्डर पजेशन देने में देरी करता है, तो EMI और किराए का डबल बोझ एक आम परिवार की कमर तोड़ देता है। कई बार लोगों को अधूरा घर बेचने की नौबत आ जाती है।
वहीं दूसरी तरफ, रेडी फ्लैट में शिफ्ट होते ही आपका किराया बंद हो जाता है। अगर आप खुद उसमें न रहें तो उसे किराए पर देकर EMI का कुछ हिस्सा निकाल सकते हैं।
असल में, अंडर कंस्ट्रक्शन घर बुक करना डेवलपर को ब्याज रहित लोन देने जैसा है, जिसमें जोखिम तो है ही, लेकिन रिटर्न की गारंटी नहीं।
टैक्स लाभ के मामले में भी रेडी-टू-मूव घर ज्यादा फायदेमंद
अगर टैक्स बचत के नजरिए से देखें तो रेडी-टू-मूव प्रॉपर्टी अंडर कंस्ट्रक्शन घर से कहीं ज्यादा फायदे देती है।
इनकम टैक्स नियमों के मुताबिक, आप होम लोन पर टैक्स बेनिफिट तभी ले सकते हैं जब घर का कंस्ट्रक्शन पूरा हो जाए और आपको पजेशन मिल जाए।
निर्माण के दौरान जो प्री-EMI इंटरेस्ट आप भरते हैं, उसका टैक्स लाभ केवल 5 बराबर किश्तों में लिया जा सकता है, वो भी तब जब घर का पजेशन मिल जाए।
यदि प्रॉपर्टी की डिलीवरी 5 साल से ज्यादा देरी से होती है, तो Section 24(b) के तहत मिलने वाला ₹2 लाख का डिडक्शन घटकर सिर्फ ₹30,000 रह जाता है।
इसके अलावा, यदि आप पजेशन से पहले घर बेच देते हैं, तो उस पर ब्याज और EMI का टैक्स लाभ पूरी तरह समाप्त हो जाता है।
रेडी फ्लैट के मामले में आपको तुरंत टैक्स छूट मिलनी शुरू हो जाती है — जैसे होम लोन इंटरेस्ट डिडक्शन, Section 80C के तहत EMI छूट और किराए की आय पर टैक्स सेट ऑफ।
निष्कर्ष: मन की शांति और सुरक्षित निवेश के लिए रेडी घर चुनें
अगर आप मानसिक शांति, टैक्स लाभ और फाइनेंशियल सुरक्षा चाहते हैं, तो रेडी-टू-मूव इन घर खरीदना ही समझदारी है।
अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी में कीमत भले कम हो, लेकिन उसमें छिपे जोखिम और कानूनी जटिलताएं भविष्य में बड़ा नुकसान करा सकती हैं।
इसलिए निर्णय लेने से पहले अपनी वित्तीय स्थिति, टैक्स प्लानिंग, और रियल एस्टेट ट्रेंड्स को ध्यान में रखें।
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