भारतीय न्याय व्यवस्था में जब भी किसी बड़े मामले में सवाल उठते हैं, तो सुप्रीम कोर्ट की भूमिका निर्णायक बन जाती है। इसी क्रम में रिलायंस के वंतारा मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में नियुक्त विशेष जांच दल यानी एसआईटी ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए 195 सवालों की लिस्ट तैयार की है। यह सवाल वंतारा प्रोजेक्ट से जुड़े लेन-देन, दस्तावेज, जमीन की खरीद-बिक्री और उसकी पारदर्शिता से जुड़े बताए जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख और वजह
भारत का सर्वोच्च न्यायालय हमेशा इस बात पर जोर देता है कि देश में किसी भी स्तर पर पारदर्शिता बनी रहनी चाहिए। रिलायंस जैसा बड़ा कॉर्पोरेट समूह जब किसी प्रोजेक्ट पर काम करता है, तो उसकी पूरी प्रक्रिया को बेहद ध्यान से देखा जाता है। इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए एसआईटी को जांच का आदेश दिया कि कहीं इस पूरे मामले में कानूनी प्रक्रिया या वित्तीय नियमों का उल्लंघन तो नहीं हुआ है। अदालत चाहती है कि जनता के सामने सब खुलकर रखा जाए।
एसआईटी द्वारा तैयार किए गए 195 सवाल
इस खास मामले में एसआईटी ने कुल 195 सवाल तैयार किए हैं। इन सवालों में सबसे ज्यादा ध्यान इस बात पर दिया गया है कि वंतारा प्रोजेक्ट के लिए जो जमीन खरीदी गई, वह सही तरीके से खरीदी गई या नहीं। सवाल यह भी हैं कि जमीन के दाम किस प्रक्रिया से तय किए गए, किसे कितनी रकम दी गई, यह रकम कहां से आई, और किस कानून के तहत इन लेन-देन को पूरा किया गया।
इसके अलावा सवाल इस बात से भी जुड़े हैं कि क्या किसी सरकारी नियम को दरकिनार करते हुए इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई। यहां तक कि यह भी पूछा गया है कि जिन गांवों या किसानों की जमीन इस प्रोजेक्ट में ली गई, क्या उन्हें पूरा मुआवजा मिला या नहीं।
सीबीआई और ईडी की संभावित भूमिका
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और एसआईटी की शुरुआती जांच के बाद यह भी कहा जा रहा है कि अब सीबीआई और ईडी जैसी बड़ी एजेंसियां भी इस मामले में शामिल हो सकती हैं। सीबीआई मुख्य रूप से आपराधिक धांधली की जांच करती है, वहीं ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय सीधी नज़र धन शोधन और विदेशी लेन-देन पर रखता है। अगर दोनो एजेंसियां इस मामले में जुड़ती हैं तो जांच का दायरा और भी व्यापक हो जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि सीबीआई और ईडी की जांच से यह साफ हो सकता है कि कहीं इस पूरे प्रोजेक्ट में काला धन तो इस्तेमाल नहीं हुआ, या कहीं विदेशी निवेश नियमों का उल्लंघन तो नहीं किया गया।
जमीन खरीद को लेकर उठ रहे सवाल
वंतारा प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी खासियत उसकी ज़मीन बताई जाती है। कहा जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट के लिए बड़े हिस्से की जमीन किसानों और ग्रामीणों से खरीदी गई थी। सवाल यह है कि क्या किसानों को ठीक से जानकारी दी गई थी, क्या उन्हें जमीन का सही दाम मिला, और क्या इस खरीद-फरोख्त में कोई जबरदस्ती या गड़बड़ी हुई थी। एसआईटी के सवाल इस पहलू को भी खोलने की कोशिश में हैं कि कहीं किसी बिचौलिये ने अनुचित लाभ तो नहीं उठाया। क्योंकि जब किसी बड़े कॉर्पोरेट प्रोजेक्ट की भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया होती है, तो अक्सर छोटे किसानों पर दबाव बनाने की शिकायतें सामने आती हैं।
जनता की नज़र इस जांच पर क्यों है
रिलायंस जैसा बड़ा नाम जब किसी मामले में घिरता है तो देशभर की निगाहें उस पर टिक जाती हैं। आम जनता यह देखना चाहती है कि न्यायपालिका कितनी निष्पक्ष और कड़ी जांच करवाती है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जब खुद एसआईटी नियुक्त की, तो यह विश्वास और बढ़ गया कि जनता के हितों की रक्षा की जा रही है। कोर्ट के इस फैसले से उन लोगों को भी उम्मीद मिली है जो मानते हैं कि बड़े कॉर्पोरेट समूहों के सामने आम नागरिकों की आवाज अक्सर दब जाती है।
राजनीतिक असर और बहस
जाहिर है कि इतना बड़ा मामला बिना राजनीतिक हलचल के संभव नहीं है। वंतारा प्रोजेक्ट पर उठे सवालों ने सरकार और विपक्ष दोनों को अपने-अपने रुख साफ करने पर मजबूर कर दिया है। विपक्ष सवाल उठा रहा है कि सरकार ने क्यों इतनी देर से कार्रवाई शुरू की, और क्यों पहले इन बातों को दबाया गया। वहीं सरकार का कहना है कि जांच पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रही है, और इसमें किसी को सियासी रंग देखने की जरूरत नहीं है।
भविष्य में क्या हो सकता है
जब सीबीआई और ईडी जैसे संस्थान शामिल होंगे, तो जाहिर है कि ज्यादा दस्तावेज खंगाले जाएंगे और ज्यादा लोगों से पूछताछ होगी। इसमें कंपनी के बड़े अधिकारियों से लेकर स्थानीय स्तर पर जुड़े लोग तक समाने आ सकते हैं। जांच लंबे समय तक चल सकती है और अदालत को भी बार-बार रिपोर्ट सौंपी जा सकती है। इस बीच उम्मीद यही की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले में लगातार निगरानी बनाए रखेगा ताकि किसी स्तर पर दबाव या गड़बड़ी की गुंजाइश न रहे।
न्याय व्यवस्था पर जनता का भरोसा
किसी भी लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत उसकी न्याय व्यवस्था होती है। इस मामले ने एक बार फिर दिखा दिया है कि जब भी कोई मुद्दा बड़ा और संवेदनशील हो, तो सुप्रीम कोर्ट उसमें निर्णायक भूमिका निभाने से पीछे नहीं हटता। वंतारा प्रोजेक्ट की जांच से जनता को यह भरोसा मिला है कि चाहे मामला कितना भी बड़ा हो, न्याय सभी के लिए बराबर है।