कंपनियों के दावे कुछ और, सड़क की सच्चाई कुछ और – टाटा नेक्सन EV मैक्स और MG ZS EV दोनों ही कागज पर शानदार लगती हैं, लेकिन जब इन्हें हाइवे या शहर के ट्रैफिक में चलाया जाता है, तो असली रेंज और परफॉर्मेंस की पोल खुल जाती है।
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EV रेंज का सच: दावा बनाम हकीकत
खबर का सार AI ने दिया · News Team ने रिव्यु किया
EV कंपनियों के रेंज दावे और असली परफॉर्मेंस में बड़ा अंतर है।
टाटा नेक्सन EV मैक्स की वास्तविक रेंज 320-330 किमी, जबकि MG ZS EV की 370 किमी तक है।
MG ZS EV का एनर्जी मैनेजमेंट सिस्टम नेक्सन EV से ज़्यादा भरोसेमंद पाया गया।
EV की दुनिया में अब बातें सिर्फ “eco-friendly” तक सीमित नहीं रहीं। आज मामला इस बात का है कि कौन-सी गाड़ी असली में भरोसा दिलाती है। दो नाम सबसे ज़्यादा सुर्खियों में रहते हैं टाटा नेक्सन EV मैक्स और MG ZS EV। दोनों ही गाड़ियाँ अपने-अपने ब्रांड की शान हैं, लेकिन जब इन्हें असली सड़कों पर उतारो, तो हकीकत कुछ और ही बोलती है।
पावर और परफॉर्मेंस – दावा बनाम असली चलन
कंपनियाँ जो दावे करती हैं, वो सुनने में तो कमाल लगते हैं। टाटा बोलती है 453 किलोमीटर की रेंज, MG कहती है 461 किलोमीटर। लेकिन भाई, मैं खुद चला चुका हूँ असली दुनिया में नेक्सन EV मैक्स मुश्किल से 320-330 किलोमीटर तक जाती है, और MG ZS EV करीब 370 किलोमीटर तक।
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एक बार याद है, जयपुर हाइवे पर रात में मैं नेक्सन चला रहा था। बैटरी 6% पर थी और नजदीकी चार्जिंग स्टेशन 12 किलोमीटर दूर। उस वक्त समझ आया कि रेंज के नंबर नहीं, ground reality मायने रखती है। MG में वही डर थोड़ा कम लगता है, क्योंकि उसकी energy management system थोड़ा भरोसेमंद है।
ड्राइविंग फील – कौन देती है सुकून
अब बात करते हैं चलाने के मजे की। MG ZS EV चलाने में एकदम शांत और confident महसूस होती है। इसका steering response European touch देता है tight, predictable और थकाता नहीं। वहीं नेक्सन EV मैक्स में acceleration थोड़ा unpredictable है, खासकर स्पोर्ट मोड में।
मुझे याद है, एक दिन गुरुग्राम की सड़कों पर MG से U-turn लिया तो गाड़ी literally whisper जैसी लगी, जबकि नेक्सन में वही turn लेते वक्त थ्रोटल थोड़ा सोचने लगा। वो fraction of second का lag कभी-कभी irritating हो जाता है।
सॉफ्टवेयर और सिस्टम – भरोसे का असली टेस्ट
EV सिर्फ मोटर और बैटरी नहीं, पूरा सिस्टम है जिसमें software का रोल crucial है। MG ZS EV का सिस्टम polished है, updates timely आते हैं और infotainment lag नहीं करता। नेक्सन का software अब भी थोड़ी practice में लगता है। एक बार music system freeze हुआ, AC command नहीं लिया। सर्विस सेंटर गया तो बोला गया “Sir, अगला OTA update fix कर देगा।” वो अगला वाला वादा EV दुनिया में बहुत common है।
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चार्जिंग नेटवर्क – सुविधा बनाम संघर्ष
MG की charging compatibility काफी impressive है। Plug-in करो और काम हो गया। टाटा Power का network तो बड़ा है, लेकिन reliability inconsistent है। कई बार QR code काम नहीं करता, app crash हो जाती है और फिर वो typical scene: “भाई, Wi-Fi on करो, फिर से try करो।” असली frustration वहीं से शुरू होता है।
कीमत और वैल्यू – कौन देता है समझदारी वाला सौदा
टाटा नेक्सन EV मैक्स की कीमत करीब 19 लाख से शुरू होती है, जबकि MG ZS EV 23 लाख तक जाती है। देखने में MG महंगी लगती है, पर drive comfort, brand trust aur tech stability के मामले में वो price वसूलती है। नेक्सन EV Max सस्ती है, पर “Max” नाम जितना वादा करता है, उतना output नहीं देता।
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निजी अनुभव – भरोसा चार्जिंग से बढ़कर होता है
मैंने दोनों गाड़ियों को अलग-अलग शहरों में, बारिश में और ट्रैफिक में चलाया है। MG हर बार predictable लगी कोई drama नहीं। नेक्सन दिल जीतती है, लेकिन software glitches और inconsistent range का डर पीछा नहीं छोड़ता। कभी infotainment अटक जाता है, कभी regenerative braking अनियमित लगती है। EV में भरोसा सिर्फ battery pe nahi, पूरे experience pe बनता है। MG इस मामले में थोड़ा आगे है, क्योंकि वो “ready to live with” महसूस होती है।
अंतिम राय – तकनीक नहीं, भरोसा निर्णायक है
अगर आप पहली बार EV खरीद रहे हैं और चाहते हैं कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कोई tension न हो, तो MG ZS EV आपके लिए perfect चुनाव है। लेकिन अगर दिल भारतीय ब्रांड के साथ है और आप थोड़ी imperfections को नजरअंदाज कर सकते हैं, तो टाटा नेक्सन EV Max एक emotional, desi विकल्प है।
बस ध्यान रहे EV खरीदते वक्त specs नहीं, भरोसे की गिनती करें। क्योंकि आखिर में, गाड़ी सिर्फ चलती नहीं, भरोसा भी चलाती है।