सहारनपुर जिले से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। यहां एक किसान की मौत खेतों में कीटनाशक छिड़काव करते समय हार्ट अटैक आने से हो गई। यह खबर गांव में तेज़ी से फैल गई और पूरे माहौल में मातम छा गया। परिजनों की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं और गांव के लोग भी गमगीन हो गए हैं।
खेत में काम करते समय अचानक बिगड़ी तबीयत
घटना सहारनपुर जिले के एक गांव की है, जहां किसान सुबह सूरज निकलने के साथ ही अपनी फसल को बचाने के लिए कीटनाशक का छिड़काव करने निकला था। लगातार छिड़काव के दौरान उसे अचानक सीने में तेज दर्द उठा। परिवार के लोग और साथी किसान जब तक उसकी मदद के लिए दौड़े, तब तक हालत नाज़ुक हो चुकी थी। उसे तुरंत नज़दीकी अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। बताया जा रहा है कि यह किसान पूरी तरह स्वस्थ लग रहा था और रोज़ाना खेतीबाड़ी में मेहनत करता था। ऐसे में उसकी मौत ने हर किसी को चौंका दिया है।
गांव में मातम और परिवार का दर्द
इस किसान की मौत से गांव में गहरा सन्नाटा छा गया है। घर पर रोने-बिलखने की आवाज़ों ने पूरे माहौल को गमगीन बना दिया। परिजन सदमे में हैं और विश्वास नहीं कर पा रहे कि खेत में काम कर रहे उनके घर के सहारे ने कुछ ही पलों में दम तोड़ दिया। ग्रामीणों का कहना है कि किसान मेहनत करता है ताकि वह अपने परिवार का पेट पाल सके, लेकिन कभी-कभी किस्मत इतनी बेरहम हो जाती है कि मेहनत करने वाले इंसान की जिंदगी ही छिन जाती है। गांव के लोग लगातार परिवार को ढांढस बंधा रहे हैं, लेकिन उस दर्द को कम करना बेहद मुश्किल है।
कीटनाशक छिड़काव के दौरान सावधानी की जरूरत
विशेषज्ञों का कहना है कि कीटनाशक छिड़काव के दौरान किसान को बेहद सावधानी बरतनी चाहिए। कई बार छिड़काव में इस्तेमाल होने वाले रसायन सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। लंबे समय तक इनके संपर्क में रहने से सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द और हार्ट अटैक जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। डॉक्टर बार-बार चेतावनी देते हैं कि खेत में काम करते समय मास्क, दस्ताने और सुरक्षात्मक कपड़े पहनना जरूरी है। लेकिन गांव में अक्सर किसान इन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जो बाद में जानलेवा साबित हो जाता है।
डॉक्टरों की राय और सुझाव
डॉक्टरों का मानना है कि किसान की अचानक मौत का कारण हार्ट अटैक तो है ही, लेकिन साथ ही यह भी संभव है कि कीटनाशक का असर उसके शरीर पर पड़ा हो। विशेषज्ञ बताते हैं कि जब शरीर पर लगातार रसायन का दबाव पड़ता है तो उससे दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है और यह स्थिति घातक बन सकती है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि खेती-किसानी करने वाले लोग नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच कराएं और ज़रा भी असुविधा होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। ऐसा करने से कई बार बड़े हादसों को टाला जा सकता है।
गांव और प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस हादसे की खबर मिलते ही गांव के सरपंच और प्रशासनिक अधिकारियों ने परिवार से मुलाकात की। अधिकारियों ने इस घटना को दुखद बताया और आश्वासन दिया कि किसान के परिवार को सरकार की ओर से हरसंभव मदद दी जाएगी। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि यह मदद केवल कागज़ों में ही रहती है। असली ज़रूरत तो किसान की ज़िंदगी बचाने की है, जिसके लिए प्रशासन को खेती में सुरक्षित तरीकों को बढ़ावा देना चाहिए।
किसान की जिंदगी और संघर्ष
किसान की मौत केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह तस्वीर पूरे किसान वर्ग की कठिनाई को भी दर्शाती है। किसान हर दिन खेतों में पसीना बहाता है, लेकिन उसकी सुरक्षा और स्वास्थ्य की ओर शायद ही कभी ध्यान दिया जाता है। महंगाई, कर्ज़ और मौसम की मार तो पहले ही उसकी ज़िंदगी पर बोझ डालते हैं, अब कीटनाशक छिड़काव जैसी घटनाएं उसकी मुश्किलें और बढ़ा देती हैं। सहारनपुर की यह घटना इस बात का संकेत है कि अब समय आ गया है जब हमें अपने अन्नदाता की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी।