सीधी बात कहूँ तो जब मैंने पहली बार Samsung Fold 7 Ultra को हाथ में उठाया, मुझे वही पुरानी फीलिंग आई जो 2019 में Fold 1 को देखकर आई थी थोड़ा उत्साह, थोड़ी शंका, और थोड़ी-सी हँसी भी, कि यह कितने दिन चलेगा। पर इस बार मामला अलग है। काफी अलग।
Fold 7 Ultra में जो पहली चीज़ चुभ जाती है ना वह इसका आकार नहीं, बल्कि इसका आत्मविश्वास है। फोन ऐसे खुलता-बंद होता है जैसे कह रहा हो: “मैं नाज़ुक नहीं हूँ, तू पिछले मॉडलों का घमण्ड मत कर।”
डिस्प्ले का खेल: अच्छा है पर बिल्कुल परफ़ेक्ट नहीं
इस बार सैमसंग ने ब्राइटनेस, रिफ्रेश रेट, हिंज सब पर अच्छी मेहनत की है। लेकिन हम जैसे पुराने यूज़र जानते हैं कि Fold सीरीज़ का असली कमज़ोर बिंदु समय के साथ ही सामने आता है। Fold 4 के समय मुझे याद है, एक दिन शोरूम के टेस्ट यूनिट की इनर स्क्रीन के बीच में हल्का-सा ग्रे पैच दिखने लगा था। स्टाफ ने बोल दिया: “सर, यह नॉर्मल है।” हाँ, बिल्कुल नॉर्मल।
Fold 7 Ultra का डिस्प्ले काफ़ी स्मूद है, पर हल्की-सी क्रीज़ अभी भी दिख जाती है। लोग कहते हैं “दिखती नहीं”, पर भाई जब लाइट का एंगल बदलता है ना बस, वह क्रीज़ तुम्हें आंख मार देती है।
परफ़ॉर्मेंस: दम है, पर गरम भी हो जाता है
प्रोसेसर नया है, तेज़ है, गेमिंग स्मूद है, मल्टीटास्किंग मज़े में चलती है। लेकिन हाँ, ज़रा-सा गरम हो जाता है। मैं एक बार एयरपोर्ट लाउंज में बैठा 45 मिनट एडिटिंग कर रहा था, फोन ने मुझे थोड़ा चेतावनी जैसा लुक दिया, जैसे कह रहा हो: “थोड़ा आराम से भाई।
सैमसंग के दावे बड़े होते हैं, पर असली दुनिया में Fold यूज़र जानते हैं कि हीट और बैटरी ड्रेन का जोड़ा हमेशा साथ चलता है। Fold 7 Ultra भी इससे पूरी तरह बच नहीं पाया।
कैमरा अच्छा है बस लोग फोल्डेबल होने की वजह से ज़्यादा उम्मीद लगा लेते हैं

कैमरा बढ़िया है, पर फ़्लैगशिप जैसा नहीं लगता। मैं एक बार दिल्ली ऑटो एक्सपो के प्रेस-डे में Fold 5 से फ़ोटो ले रहा था, तो एक फ़ोटोग्राफ़र ने रोककर कहा: “भाई, DSLR तो ले आते, ये फोल्डेबल्स का कैमरा इतना स्टेबल नहीं होता।” अब बात तो उसकी सही थी। Fold 7 Ultra में सुधार है, पर अभी भी यह S-सीरीज़ जैसी लाइन तक पूरी तरह नहीं पहुँचा।
हिंज: टूटने का डर कम है, पर गया नहीं
पिछले दस साल में जितने भी फोल्डेबल देखे, एक बात समझ आई हिंज पर भरोसा मतलब खुद जोखिम उठाना। इस बार सैमसंग ने हिंज में अच्छा सुधार किया है। डस्ट रेज़िस्टेंस बढ़िया है। फ़ील प्रीमियम है।
लेकिन कहानी वही है फोल्डेबल कभी भी सामान्य स्लैब फोन जितना निश्चिंत नहीं होता। अगर जेब में थोड़ी-सी भी धूल, रेत, या कोई छोटा कण रह गया, या गलती से फोल्ड करते समय किसी चीज़ की पतली-सी परत स्क्रीन के बीच आ गई खेल खत्म।
सॉफ़्टवेयर: मज़ा भी देता है और चिढ़ भी
सैमसंग का OneUI फोल्ड के लिए अच्छा चलता है। मल्टीटास्किंग आसान, ड्रैग-ड्रॉप का मज़ा, कवर-डिस्प्ले पर विजेट्स काम की चीज़ सब सही चलता है।
पर हाँ, कभी-कभी ऐप्स साइज बदलने में नखरे दिखा देते हैं। जैसे मैं एक बार महिन्द्रा स्कॉर्पियो-एन की लॉन्च कवरेज ब्राउज़र में टाइप कर रहा था, और फोन ने अचानक लेआउट इधर-उधर कर दिया। मुझे लगा नेटवर्क गया होगा… पर नहीं, Fold ही थोड़ा मूड में नहीं था।
बैटरी: ठीक ठाक, पर भारी इस्तेमाल में थोड़ी कमज़ोरी
सीधी बात बड़ी स्क्रीन ज़्यादा पावर लेती है। Fold 7 Ultra एक दिन निकाल देता है हल्के उपयोग में, लेकिन कैमरा, सोशल मीडिया, या एडिटिंग ज़रा अधिक कर ली तो पॉवर बैंक साथ रखना ही पड़ता है। चार्जिंग स्पीड थोड़ी और तेज़ होती तो बात जम जाती।
मेरा अंतिम मत: किसके लिए बना है Fold 7 Ultra?
अगर तुम गैजेट्स से प्यार रखते हो, नया टेक इस्तेमाल करने का रोमांच पसंद करते हो, और अपनी चीज़ों का ध्यान रखने की आदत है, तो Samsung Fold 7 Ultra तुम्हें एक नया अनुभव देगा। खूब प्रीमियम, खूब फ्यूचर जैसा।
लेकिन अगर तुम फोन में सिर्फ भरोसा चाहते हो जिसे उठाओ और चला दो, जो रोज़ 12 घंटे बिना ड्रामा के काम करे तो ये मॉडल शायद तुम्हारी परीक्षा ले लेगा।
मेरी तरफ़ से एक सीधी लाइन: Fold 7 Ultra दिखावा करने वाला फोन नहीं, एक लाइफ़स्टाइल डिवाइस है। अगर लाइफ़स्टाइल में जगह है, बजट लचीला है, और थोड़ा जोखिम सह सकते हो, तो मज़ा आएगा। और हाँ, एक बात और अगर पहले कभी Fold इस्तेमाल नहीं किया, शुरुआत में थोड़ा डर सामान्य है। मुझे भी लगा था मेरा पहला यूनिट टूट ही जाएगा। पर सातवीं पीढ़ी में सैमसंग ने काफी सुधार कर दिया है।
बस, जितना अच्छा दिखता है, उतना सीधा-सादा नहीं है। थोड़ा ऐटिट्यूड रखता है। और शायद इसी वजह से अलग भी लगता है।


