कर्नाटक के बीजापुर जिले के चडाचन कस्बे में मंगलवार सुबह उस वक्त हड़कंप मच गया जब तीन नकाबपोश हथियारबंद लुटेरों ने एसबीआई बैंक में धावा बोल दिया। जानकारी के अनुसार इन बदमाशों ने बैंक के भीतर घुसते ही कर्मचारियों को बंदूक की नोक पर लिया और तिजोरी से करीब ₹21 करोड़ का सोना और नकदी निकलवा लिया। मौके पर मौजूद ग्राहकों में भगदड़ मच गई और हर कोई जान बचाकर भागने लगा। जिस तरह से यह घटना पेश आई, उसने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया है। पुलिस का कहना है कि लुटेरों ने इस वारदात को बेहद सोची-समझी साजिश के तहत अंजाम दिया है। इस घटना के बाद आसपास के शहर और कस्बों में भी बैंकों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ गए हैं। आम लोग भी अब यह सोचने पर मजबूर हैं कि इतनी बड़ी रकम और सोने की लूट संभव कैसे हो गई। गवाहों ने बताया कि सब कुछ कुछ ही मिनटों में हो गया। नकाबपोश बदमाशों की नज़रें किसी के डर को अनदेखा कर केवल तिजोरी पर टिकी थीं। किसी को कुछ समझने का मौका ही नहीं मिला। यह सब ठीक वैसे ही हुआ जैसा फिल्मों के दृश्यों में दिखाया जाता है।
कर्मचारियों और ग्राहकों को बनाया बंधक
जब बदमाश बैंक में दाखिल हुए, उस समय शाखा में करीब 20 लोग मौजूद थे जिनमें कर्मचारी और ग्राहक शामिल थे। लुटेरों ने बिना समय गवाए सभी को धमकाकर एक कमरे में बंद कर दिया। बताया जा रहा है कि लुटेरे पहले से ही बैंक के सुरक्षा इंतजामों की जानकारी जुटा चुके थे। उन्हें यह पता था कि किस समय बैंक में भीड़ कम रहती है और गार्ड कितनी सख्ती से निगरानी करता है। इसीलिए उन्होंने ठीक उसी समय हमला बोला। कर्मचारियों ने बताया कि बदमाशों के हाथ में आधुनिक हथियार थे और उन्होंने एक शब्द तक ज्यादा नहीं कहा। सीधा आदेश दिया – "तिजोरी खोलो और पैसे निकालो।" इस दौरान बैंक प्रबंधक और कैशियर बुरी तरह घबरा गए, लेकिन मजबूर होकर सहमति व्यक्त करनी पड़ी। वारदात के दौरान महिलाएं और बुजुर्ग ग्राहक रोने लगे, मगर नकाबपोशों के चेहरे पर कोई असर नहीं देखा गया। पुलिस का मानना है कि यह गिरोह बहुत पेशेवर अंदाज में काम करता है और पहले से ही सब कुछ प्लान कर चुका था। इस घटना ने बैंक कर्मचारियों की सुरक्षा और मानसिक स्थिति को झकझोर दिया है। कर्मचारी यह सोचकर कांप रहे हैं कि अगर किसी ने उनका आदेश मानने से इंकार कर दिया होता तो अनहोनी भी हो सकती थी।
फर्जी वैन से बदमाशों की फिल्मी अंदाज में फरारी
लूट को अंजाम देने के बाद बदमाशों ने पूरी चालाकी दिखाते हुए एक फर्जी वैन का इस्तेमाल किया। आंखों के सामने वे एक सफेद वैन में सोना और नकदी लादकर बाहर निकले। गवाह बताते हैं कि वैन पर बैंक की नकली पहचान के स्टीकर लगे हुए थे, जिससे राहगीरों को लगा कि यह बैंक की आधिकारिक गाड़ी है और कोई शिकायत दर्ज करने में देर हो गई। घटनास्थल से निकलने के बाद यह वैन हाईवे की ओर तेजी से फरार हो गई। पुलिस के मुताबिक वैन को बाद में एक सुनसान जगह पर छोड़ दिया गया और अंदेशा है कि बदमाश दूसरी गाड़ी में बैठकर आगे बढ़ गए। यह वारदात इतनी सफाई से हुई कि पुलिस को भी शुरू-शुरू में यह समझने में समय लग गया कि असली में गाड़ी फर्जी थी। एफएसएल टीम और फॉरेंसिक विशेषज्ञों को बुलाकर वैन की जांच की जा रही है। पुलिस को शक है कि इन अपराधियों के पीछे एक बड़ा गैंग सक्रिय है। इस गिरोह को बैंक के अंदर की जानकारी पहले से ही उपलब्ध कराई गई होगी। इस तरह फर्जी वैन से हुई फरारी ने पुलिस टीम को भी हैरान कर दिया है। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि इस वारदात के पीछे लंबे समय की जासूसी और तैयारी छिपी हुई है।
पुलिस की जांच और गिरोह की तलाश में कठिनाई
लूट के बाद पुलिस ने पूरे इलाके में नाकाबंदी कर दी, मगर बदमाश अब तक पकड़ में नहीं आए हैं। एसपी स्तर के अधिकारी खुद जांच की निगरानी कर रहे हैं। बैंक के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं, पर लुटेरों ने मुंह पर नकाब पहन रखा था, जिससे पहचान मुश्किल हो रही है। पुलिस को उम्मीद है कि वैन के रास्ते और मोबाइल लोकेशन के जरिए जल्द ही लुटेरों तक पहुंच बनाई जाएगी। पुलिस का कहना है कि यह घटना किसी साधारण गैंग का काम नहीं हो सकती। इसमें उच्च तकनीक और अंदर से मिली जानकारी का उपयोग किया गया है। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि कितने लोगों ने बाहर से इस गैंग का समर्थन किया। बीजापुर जिले की पुलिस ने पड़ोसी राज्यों को भी सतर्क कर दिया है। आम जनता में इस घटना को लेकर गुस्सा और डर दोनों है। लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि जब राज्य के बड़े बैंक में सुरक्षा का यह हाल है तो छोटे कस्बों और गांवों में बैंकों की हालत कैसी होगी। पुलिस ने बैंक कर्मचारियों से भी गहन पूछताछ शुरू कर दी है कि कहीं अंदरूनी मदद से यह वारदात तो नहीं हुई। पुलिस ने अपील की है कि लोग अफवाहों पर विश्वास न करें और किसी भी तरह की संदिग्ध जानकारी तुरंत साझा करें, ताकि अपराधियों को पकड़ा जा सके।
लोगों का गुस्सा और सुरक्षा पर सवाल
इस घटना के बाद लोगों का गुस्सा सोशल मीडिया पर साफ दिख रहा है। हर कोई यही कह रहा है कि इतनी बड़ी रकम और सोने की लूट बिना अंदरूनी मदद के संभव ही नहीं है। इलाके में रहने वाले लोगों का कहना है कि बैंक प्रबंधन को रोजमर्रा की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना चाहिए था। कई लोगों ने आरोप लगाया है कि अगर बैंक की सुरक्षा ठीक होती तो बदमाशों के लिए इतनी आसानी से वारदात को अंजाम देना संभव नहीं था। लोगों के मन में अब डर बैठ गया है कि कहीं उनके मेहनत की कमाई भी इसी तरह लुट न जाए। बच्चे-बच्चे तक इस घटना की बातें कर रहे हैं। दुकानें, बाजार और चौराहों पर हर तरफ इस डकैती की चर्चा हो रही है। पुलिस के बढ़ते गश्त के बावजूद लोग खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे। सरकार पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर बैंकों को इतना असुरक्षित क्यों छोड़ दिया गया है। लोग चाहते हैं कि ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए कड़े कानून और पुख्ता इंतजाम हों। यह घटना न केवल बीजापुर बल्कि पूरे कर्नाटक के लिए एक चेतावनी है कि अगर सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया गया तो अपराधियों के हौसले और बढ़ सकते हैं।