शारदीय नवरात्रि 2025 में सातवां दिन देवी काली की पूजा के लिए बेहद खास माना जाता है। इस दिन भक्तगण मां काली की आराधना और कथा पाठ करते हैं ताकि उनके जीवन में आनंद, शक्ति और सकारात्मकता का संचार हो सके। मां काली का चरित्र नकारात्मकता को खत्म करता है और साधक को रक्षा प्रदान करता है। नवरात्रि का सातवां दिन लोगों के मन में नई ऊर्जा जगाता है और हर घर में विशेष पूजा होती है। यह पर्व बच्चों से लेकर बड़े सभी के लिए धार्मिक आस्था और संस्कार बढ़ाने का भी मौका होता है।
सातवें दिन कौन सी कथा पढ़ना चाहिए
नवरात्रि के सातवें दिन मां काली की कथा का पाठ करने की परंपरा है। प्रचलित मान्यता के अनुसार, काली माता की कथा सुनने और उसे अपने जीवन में महसूस करने से बुरी शक्तियां दूर रहती हैं और सुख-शांति का वातावरण बनता है। इस कथा में मां काली के अद्भुत पराक्रम, असुर संहार और भक्तों की रक्षा का वर्णन है। बड़े-बुजुर्ग घर में परिवार को कथा सुनाते हैं और बच्चे भी सरल भाषा में इन शिक्षाओं को समझ पाते हैं। मां काली की कथा उनके साहस और शक्ति का प्रतीक है, जो हर भक्त के लिए प्रेरणा बनती है।
मां काली की पूजा विधि एवं विशेष विधान नवरात्रि के सातवें दिन
नवरात्रि के सातवें दिन पूजा सुबह जल्दी शुरू होती है। सबसे पहले घर की सफाई करें, फिर मां काली की मूर्ति या तस्वीर को लाल वस्त्र पर स्थापित करें। चंदन, अक्षत और लाल फूल अर्पित किए जाते हैं। भक्तजन मां का ध्यान करते हुए दुर्गा सप्तशती या मां काली की मंत्र का जाप करते हैं। इसके बाद मां काली की कथा का पाठ करें – यह कथा बच्चों को भी जरूर सुनाएं। पूजा में नारियल, फल, मिठाई आदि का भोग लगाया जाता है। अंत में मां काली की आरती गाकर उनसे परिवार की सुरक्षा और कृपा की कामना की जाती है।
मां काली की कथा, जिसे नवरात्रि के सातवें दिन सुनना चाहिए
कथा के अनुसार, जब देवताओं और इंसानों को असुरों से मुक्ति की कोई भी संभावना नहीं दिखी, तब मां काली ने जन्म लिया। उनका स्वरूप इतना भयानक था कि असुर भागने लगे। मां काली ने शुम्भ-निशुम्भ जैसे बड़े राक्षसों का अंत किया। कथा बताती है कि मां काली साधारण मानवों को भी अपनी रक्षा चक्र में शामिल करती हैं। यह कथा छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी के लिए बेहद प्रेरणादायक है। इसमें सिखाया जाता है कि डर से लड़ना और परिस्थिति का सामना करना ही असली शक्ति है।
नवरात्र के सातवें दिन की पूजा के शुभ संकेत
मां काली के उपासक मानते हैं कि नवरात्रि के सातवें दिन पूजा करने से कई शुभ संकेत मिलते हैं। परिवारिक कलह दूर होता है, घर में सुख-शांति आती है और जीवन में तरक्की के रास्ते खुलते हैं। बच्चों को मां की कथा सुनाकर उन्हें भी संस्कार दिए जाते हैं जिससे वे जीवन में कठिनाईयों का डटकर सामना कर सकें। यह दिन जीवन में बुराई से बचने का संदेश देता है। मां काली की कृपा से साधक को डर, शंका और नकारात्मकता का अंत निश्चित है।
नवरात्रि के सातवें दिन मां काली की कथा का विशेष महत्व
शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन साधारण पर्व नहीं है, बल्कि यह दिन मां काली की विशेष कृपा पाने का दिन है। इस कथा के महत्व को हर घर में समझाया जाता है ताकि सभी लोग मानसिक बल और आत्मविश्वास प्राप्त करें। पूजा में सरलता और भक्ति को देखकर ही मां प्रसन्न होती हैं। छोटे बच्चे भी इस अवसर पर भगवान के महत्व को जान सकते हैं। अगर किसी को मन की शांति चाहिए, तो नवरात्रि के सातवें दिन कथा पाठ और देवी की आराधना जरूर करें।
मां काली की पूजा के साथ करें ये संकल्प
नवरात्रि का सातवां दिन अवसर है आत्मबल बढ़ाने का और अच्छे संकल्प लेने का। मां काली की पूजा करते समय यह संकल्प लिया जा सकता है कि हम किसी की बुराई नहीं करेंगे, जरूरतमंदों की मदद करेंगे और अपने जीवन को सकारात्मक बनाएंगे। पूजा के दौरान मां काली के नाम का जाप मन, वचन और कर्म की शुद्धता के लिए करें। इससे जीवन में अच्छा परिवर्तन आता है।
नवरात्रि का सातवां दिन मां काली की कथा सुनने, उनके चरित्र को समझने और जीवन में उनके बताये हुए मार्ग पर चलने का संदेश देता है। यह दिन सभी के लिए प्रेरणा भरा है। शारदीय नवरात्रि के इस शुभ अवसर पर मां काली की कृपा सभी पर बनी रहे – यही शुभकामना है।
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मां काली पूजा का मुख्य लाभ क्या है?
Mansi Arya
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