Shardiya Navratri Day 4 : मां कूष्मांडा पूजा से पाएं सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद
शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा की पूजा को समर्पित है। इस दिन मां को पूजा, व्रत और फलाहार के जरिए प्रसन्न किया जाता है। पीला रंग इस दिन का शुभ रंग माना गया है जो ऊर्जा, सफलता और खुशहाली का प्रतीक है। भक्त पूरे मन और श्रद्धा से व्रत का पालन कर मां से सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। देश और विदेश में नवरात्रि का पर्व गरबा, दांडिया और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।
नवरात्रि का चौथा दिन: मां कूष्मांडा पूजन
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- मां कूष्मांडा की पूजा और पीले रंग का महत्व
- व्रत नियम: सात्विक भोजन और मन की शुद्धता
- गरबा-डांडिया और दुनिया भर में नवरात्रि का उत्सव
नवरात्रि का चौथा दिन खास होता है क्योंकि इस दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप कूष्मांडा की पूजा की जाती है। मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की रचना करने वाली माता माना जाता है। पुरानी मान्यता है कि सृष्टि की शुरुआत में जब चारों ओर अंधकार था, तभी मां कूष्मांडा ने हल्की सी मुस्कान से पूरे ब्रह्मांड को जन्म दिया। इसलिए उन्हें सृष्टि की जननी भी कहा जाता है। नवरात्रि के इस दिन पीले रंग का खास महत्व है। पीला रंग खुशहाली, सौभाग्य और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। पूजा में मां को पीली चुनरी, पीले फूल और पीले फल अर्पित करने से घर में सुख-शांति और धन-संपत्ति का वास होता है। पुराने बरसों से लोग मानते आए हैं कि मां कूष्मांडा की सच्चे मन से आराधना करने पर हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं।
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नवरात्रि व्रत रखने के नियम सरल भाषा में
शारदीय नवरात्रि व्रत का पालन बहुत ही श्रद्धा और ध्यान से किया जाता है। नवरात्रि में व्रती प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनते हैं और मां के समक्ष दीप जलाते हैं। व्रत में सबसे जरूरी है मन और आहार की शुद्धता। किसी के बारे में बुरा न सोचें, मीठा और शांत व्यवहार रखें। व्रत के दौरान लहसुन-प्याज, अनाज और तामसिक आहार न खाएं। पूजा स्थल के पास गंगाजल छिड़क कर शुद्धता बनाए रखें। व्रतधारी हर दिन एक वक्त फलाहार कर सकते हैं। मां को भोग में घर की बनी शुद्ध मिठाई या फल अर्पित करें। पूरे व्रत के दौरान कोशिश करें कि सात्विक और हल्का भोजन ही करें और मन में मां के नाम का जाप करते रहें। विशेष रूप से शुद्ध घी का दीपक जलाकर मां की आरती करें और परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना करें।
मां कूष्मांडा पूजन की विधि और सरल कहानी
मां कूष्मांडा का पूजन करने के लिए सबसे पहले एक चौकी पर माता की तस्वीर या मूर्ति रखें। उसे पीले या लाल कपड़े से सजाएं। अक्षत, हल्दी, सिंदूर, गुलाब के फूल, नारियल, और पीली मिठाई मां को अर्पित करें। पूजा पढ़ते समय "ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः" का जाप करें। माता की आरती के बाद उन्हें भोग लगाएं। पूजा में ये प्रयास करें कि पूरे परिवार का साथ हो तो सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। नवदुर्गा कथा के अनुसार, मां कूष्मांडा ने जब हल्की सी मुस्कान से ब्रह्मांड रच दिया तो सारे देवी-देवता उनके आगे नतमस्तक हो गए। वे कमल के आसन पर बैठी हैं और उनके आठ हाथों में अमृत कलश, धनुष, कमल, चक्र, गदा, कमंडल, जपमाला और कमल का फूल है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति दुख-दारिद्र और रोग के कारण परेशान है, अगर वह मां कूष्मांडा की पूजा करे तो निश्चित ही उसे राहत मिलती है।
व्रत फलाहार रेसिपी – आसानी से घर में बनाएं स्वादिष्ट फलाहार
व्रत में सबसे जरूरी होता है शुद्ध और हल्का भोजन। चौथे दिन के व्रत के लिए आप स्वादिष्ट साबूदाना खिचड़ी बना सकते हैं। साबूदाना को 2 घंटे भिगो दे। फिर उसमें उबले आलू, मूंगफली दाने, सेंधा नमक, हरी मिर्च और थोड़ा सा देसी घी मिलाकर भून लें। उसमें नींबू रस डालकर गर्म-गर्म परोसें। इसके अलावा व्रती लोग कुट्टू के आटे का चीला या सिंघाड़े के आटे की पूरी भी बना सकते हैं। फल और ड्राई फ्रूट्स दिन में एक बार जरूर लें, ताकि शरीर को जरूरी ऊर्जा मिलती रहे। कोशिश करें कि ताजा दही और फल ज्यादा मात्रा में शामिल करें, ये पेट को हल्का रखता है और सारा दिन ऊर्जा देता है।
गरबा-दांडिया और सांस्कृतिक रंग-बिरंगे आयोजन
नवरात्रि का नाम सुनते ही दिमाग में गरबा और दांडिया की खूबसूरत तस्वीरें उभरने लगती हैं। गुजरात समेत पूरे देश में हर जगह गरबा-डांडिया का आयोजन होता है। लोग रंग-बिरंगे पारंपरिक कपड़े पहनते हैं और डांडिया की लकड़ी के साथ मां के भजनों पर ताल से ताल मिलाते हैं। गरबा का मतलब होता है ‘दीपक’, और ये मां दुर्गा की शक्ति का उत्सव है। नौ दिनों तक महिलाएं, बच्चे और युवा रात में संगीत के बीच नाचते गाते हैं। गरबा और दांडिया से लोगों में जोश और उमंग बढ़ती है और समाज में आपसी भाईचारा मजबूत होता है। छोटे शहरों से लेकर बड़े महानगरों में भी अलग-अलग थीम पर गरबा नाइट्स का आयोजन किया जाता है, जिसमें बच्चे, बूढ़े सभी बड़े धूमधाम से शामिल होते हैं।
भारत और दुनिया में नवरात्रि का बड़ा उत्सव
भारत में नवरात्रि का उत्सव हर राज्य में अपने अंदाज में मनाया जाता है। उत्तर भारत में जहां माता के भंडारे और कन्या पूजन का आयोजन होता है, वहीं गुजरात और मुंबई में गरबा-डांडिया की धूम अलग ही नजर आती है। बंगाल में इसी समय दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन होता है, जिसमें मां दुर्गा की भव्य प्रतिमाएं सजाई जाती हैं। पंजाब और दिल्ली में मंदिरों में देर रात तक भजन-कीर्तन चलता रहता है। विदेशों की बात करें तो अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके में रहने वाले भारतीय समुदाय भी नवरात्रि का पर्व बड़े उल्लास और उत्साह से मनाते हैं। वहां भी गरबा नाइट्स, संगीतमय पूजा, भोज और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिससे भारत से दूर लोग भी अपनी संस्कृति से जुड़े रहते हैं। हर जगह मां दुर्गा के जयकारों की गूंज सुनाई देती है और मां के भक्त हर जगह खुशियों में झूम उठते हैं।
नवरात्रि का ये पर्व बच्चों को सिखाता है आस्था और संस्कार
नवरात्रि न सिर्फ पूजा-अर्चना और व्रत का पर्व है, बल्कि बच्चों के लिए संस्कार, संयम और श्रद्धा सीखने का भी माध्यम है। नौ दिन तक माता की कथा सुनना, आरती गाना, और पूजा करना बच्चों में अच्छे संस्कार और आस्था का बीजारोपण करता है। इसलिए नवरात्रि के इन दिनों में सबसे जरूरी है कि घर के छोटे-बड़े सभी सदस्य मिलकर पूजा और अनुष्ठान में भाग लें, ताकि परिवार में स्नेह, प्रेम और एकता बढ़े।
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मां कूष्मांडा की पूजा का क्या महत्व है?
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