भाजपा ने उठाए सवाल, सोनिया गांधी वोटर लिस्ट विवाद में घिरीं
क्या सोनिया गांधी का नाम नागरिक बनने से पहले मतदाता सूची में है? भाजपा का बड़ा आरोप
भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर बड़ा आरोप लगाया है कि 1980 से 1982 के बीच नई दिल्ली की मतदाता सूची में उनका नाम शामिल था, जबकि उस समय वह भारतीय नागरिक नहीं थीं। यह विवाद भाजपा और कांग्रेस के बीच चुनावी राजनीति में एक नया मोड़ ले रहा है।
भाजपा का आरोप
पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा आईटी प्रमुख अमित मालवीय का कहना है कि सोनिया गांधी का नाम 1983 में भारतीय नागरिक बनने पर मतदाता सूची में जोड़ा गया था। मालवीय ने दावा किया कि इस दौरान यह प्रक्रिया चुनाव कानून का उल्लंघन है।
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भाजपा ने कहा कि यह प्रविष्टि नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र के लोकसभा चुनाव से पहले की गई थी। विवाद बढ़ने पर 1982 में उनका नाम सूची से हटा दिया गया था, लेकिन 1983 में उनके नागरिक बनने के बाद इसे फिर से शामिल कर लिया गया।
कांग्रेस का जवाब
कांग्रेस के अनुसार, सोनिया गांधी ने खुद कभी मतदाता सूची में अपना नाम जोड़ने का अनुरोध नहीं किया। नाम शामिल करना उस समय चुनाव आयोग की कार्रवाई का हिस्सा था। कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने कहा, "चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है और उसने अपने फैसले खुद लिए हैं।"
कांग्रेस ने भाजपा पर भी निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि चुनाव आयोग आज भाजपा के प्रभाव में काम कर रहा है।
विपक्ष का आरोप और 'वोट चोरी' मामला
पिछले साल, राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि कर्नाटक और महाराष्ट्र में लाखों अवैध वोट दर्ज किए गए थे। उन्होंने दावा किया कि अकेले बेंगलुरु के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में एक कमरे से 80 वोट दर्ज किए गए थे।
विपक्ष ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव हारने के बाद एक करोड़ से ज़्यादा मतदाताओं को सूची में जोड़ा गया। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
चुनाव आयोग और भाजपा का रुख
चुनाव आयोग ने आरोपों को खारिज कर दिया और राहुल गांधी से सबूत पेश करने को कहा। आयोग ने स्पष्ट किया कि उसकी प्रक्रिया पारदर्शी है और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। भाजपा ने राहुल गांधी पर संवैधानिक संस्थाओं की छवि खराब करने का आरोप लगाया।
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया
बिहार चुनाव से पहले चलाई जा रही विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच विवाद भी बढ़ गया है। विपक्ष का कहना है कि यह प्रक्रिया लाखों मतदाताओं के नाम सूची से बाहर करने के लिए की जा रही है।
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