मैच के दौरान मिला दुखद संदेश
श्रीलंका क्रिकेट टीम के लिए यह मुकाबला बेहद खास था। खिलाड़ी मैदान पर अपनी पूरी ताकत झोंक रहे थे और स्टेडियम में दर्शक खेल का रोमांच का लुत्फ उठा रहे थे। लेकिन इसी बीच एक श्रीलंकाई खिलाड़ी की जिंदगी में ऐसा पल आया जिसने खेल और उसके जीवन दोनों को हिला कर रख दिया। मैदान पर खेल रहे दुनिथ वेलालगे तक उसके पिता सुरंगा वेलालगे के निधन की खबर पहुंची। यह खबर कोच सनथ जयसूर्या ने उन्हें दी। उस समय खिलाड़ी बैटिंग और फील्डिंग को लेकर दिमाग लगा रहा था, लेकिन अचानक उसके सामने ऐसी खबर आ गई, जिसे सुनकर वह भावुक हो गया।
मैच खेलते समय खिलाड़ियों के मन में अक्सर हजारों बातें चलती हैं। देश के लिए प्रदर्शन करना, दर्शकों का उत्साह, साथियों का सहयोग—इन सबके बीच जब निजी जिंदगी से जुड़ी इस तरह की खबर मिले तो उस पर संभलना आसान नहीं होता। यही हुआ इस खिलाड़ी के साथ। उस क्षण खेल से ज्यादा उसकी आंखों के सामने पिता का चेहरा घूमने लगा। यह क्षण न केवल खिलाड़ी बल्कि पूरी टीम के लिए भावुक करने वाला था। मैदान पर साथी खिलाड़ियों ने उसका हौसला बढ़ाया, लेकिन दिल के भीतर उठने वाला यह तूफान कहीं ज्यादा भारी था।
कोच जयसूर्या ने दी जानकारी
श्रीलंका के पूर्व कप्तान और मौजूदा कोच सनथ जयसूर्या खेल के दौरान टीम और खिलाड़ियों पर कड़ी निगाह रखे हुए थे। जब उन्हें इस घटना की जानकारी मिली तो वे तुरंत उस खिलाड़ी तक पहुंचे। कोच का काम केवल रणनीति और प्रदर्शन तक सीमित नहीं होता, बल्कि ऐसे मुश्किल समय में वह एक अभिभावक की तरह भी खड़े होते हैं। जयसूर्या ने बड़े ही भावुक लहजे में खिलाड़ी को पिता के निधन की सूचना दी।
खबर सुनते ही खिलाड़ी स्तब्ध रह गया। वह कुछ समय तक समझ ही नहीं पाया कि इस तरह अचानक मिली खराब खबर पर कैसे प्रतिक्रिया दे। स्टेडियम की गहमागहमी के बीच उसके कानों में बस यही गूंज रहा था कि उसने अपने पिता को खो दिया है। कोच ने उसे ढांढस बंधाया और टीम के बाकी खिलाड़ियों ने भी उसके साथ खड़े होकर समर्थन दिया। इस दौरान दर्शक भी हैरान रह गए कि आखिर मैदान पर अचानक ऐसा क्या हुआ जिसने पूरे माहौल को बदल दिया।
पिता के साथ गहरा रिश्ता
हर खिलाड़ी के जीवन में परिवार की भूमिका बेहद अहम होती है। पिता अक्सर न केवल सहारा बनते हैं, बल्कि वह पहले कोच भी होते हैं जो बच्चों को खेल की ओर बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। इस श्रीलंकाई खिलाड़ी के जीवन में भी उनके पिता की भूमिका कुछ ऐसी ही रही थी। बचपन में जब उसने बल्ला पकड़ा था तो पिता ही थे जिन्होंने उसकी हिम्मत बढ़ाई थी। कठिन हालात हों या आर्थिक दिक्कतें, पिता हमेशा बेटे के साथ खड़े रहे।
बेटे के हर शॉट और हर विकेट पर पिता का गर्व साफ झलकता था। लेकिन कलम का यह पन्ना बड़ा दर्दनाक है क्योंकि जिस समय बेटा मैदान पर देश का मान बढ़ा रहा था, उसी समय पिता ने दुनिया को अलविदा कह दिया। यह खिलाड़ी जब भी मैदान पर आता था तो उसकी आंखों में पिता की मेहनत की झलक और सपनों की तस्वीर साफ दिखाई देती थी। इसीलिए पिता का जाना उसके लिए केवल एक पारिवारिक क्षति नहीं बल्कि जिंदगी का सबसे कठिन मोड़ है।
टीम और दर्शकों का समर्थन
इस घटना के बाद पूरी श्रीलंकाई क्रिकेट टीम उसके साथ खड़ी हो गई। खिलाड़ियों ने उसे हिम्मत दी कि वह इस गम के बीच अकेला नहीं है। साथी खिलाड़ी हर पल उसका मनोबल बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे। मैदान पर मौजूद दर्शक भी खामोश हो गए और सोशल मीडिया पर हजारों संदेश आने लगे। लोग दुख व्यक्त कर रहे थे और परिवार को इस मुश्किल समय में शक्ति देने की प्रार्थना कर रहे थे।
टीम प्रबंधन ने साफ किया कि खिलाड़ी चाहे तो मैच छोड़कर परिवार के पास जा सकता है। क्योंकि निजी जीवन और पारिवारिक क्षति से बड़ा कुछ नहीं होता। लेकिन वह खिलाड़ी मैदान पर ही रुका और अपने पिता को श्रद्धांजलि देने के लिए खेल पूरा करने का निर्णय लिया। उसकी आंखों में आंसू थे, लेकिन बल्ले ने जवाब दिया कि पिता का सपना अधूरा न रहे। यह क्षण सभी के लिए भावुक कर देने वाला था, जहां खेल और संवेदना एक साथ जुड़ गए।
क्रिकेट जगत में गम की लहर
जैसे ही पिता के निधन की खबर सामने आई, पूरे क्रिकेट जगत में शोक की लहर दौड़ गई। पूर्व क्रिकेटरों से लेकर लाखों प्रशंसकों तक सभी ने संवेदना व्यक्त की। कई दिग्गजों ने कहा कि इस तरह के समय में खिलाड़ी के लिए मैदान पर टिके रहना आसान नहीं होता। खेल से ज्यादा परिवार जरूरी होता है। लेकिन जिस मजबूती से उसने हालात का सामना किया, वह उसके साहस को दिखाता है।
श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ने भी परिवार के लिए शोक संदेश जारी किया और पूरी मदद का भरोसा दिलाया। यह घटना हमें यह सिखाती है कि खिलाड़ी केवल खेल तक सीमित नहीं होते, वे भी हमारी तरह इंसान हैं, जिनकी जिंदगी में भी उतार-चढ़ाव आते हैं। उनके आंसू भी होते हैं, गम भी और भावनाएं भी।
इस घटना ने न केवल क्रिकेट बल्कि पूरे खेल जगत को यह याद दिलाया कि जिंदगी खेल से कहीं ज्यादा बड़ी है। एक खिलाड़ी जब मैदान पर उतरता है तो वह केवल टीम और देश के लिए नहीं बल्कि अपने परिवार और खास तौर पर माता-पिता के लिए खेलता है। पिता उसके लिए सबसे बड़ी प्रेरणा और मार्गदर्शक होते हैं। ऐसे में पिता का जाना किसी भी खिलाड़ी के लिए दुनिया बदलने जैसा होता है।
मैच के बीच इस श्रीलंकाई खिलाड़ी पर टूटा दुखों का पहाड़ हमें यह सिखाता है कि जीत और हार से ज्यादा मायने रिश्ते और परिवार का होता है। खेल महज एक हिस्सा है, लेकिन जीवन और भावनाएं कहीं गहरी और बड़ी हैं। पिता की यह स्मृति हमेशा उसके खेल और जिंदगी दोनों में अपना असर छोड़कर जाएगी। बाकी दुनिया उसके प्रदर्शन को देखेगी, लेकिन वह हर रन और हर गेंद पर अपने पिता की याद के साथ मैदान पर खड़ा होगा।