Srinagar Dal Lake : में मिला पाकिस्तान का फतह-1 रॉकेट, ऑपरेशन सिंदूर की नाकामी का सबसे बड़ा सबूत सामने आया
श्रीनगर की डल झील से पाकिस्तान का फतह-1 रॉकेट बरामद होने के बाद ऑपरेशन सिंदूर की असफलता एक बार फिर उजागर हो गई है। रॉकेट का खोल झील की सफाई के दौरान मिला, जिसे पुलिस ने कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है। यह घटना पाकिस्तान की नाकाम कोशिश और भारत की सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती को दर्शाती है। अब यह सबूत साफ कर रहा है कि पाकिस्तान की हर चाल हमेशा नाकाम साबित होती है।
श्रीनगर की खूबसूरत डल झील रविवार को न सिर्फ सैर के लिए प्रसिद्ध रही, बल्कि इस बार वह एक बड़े रहस्य की गवाह भी बनी। सफाई अभियान के दौरान झील से पाकिस्तान का फतह-1 रॉकेट का खोल मिला। यह वही रॉकेट है जिसे 10 मई को पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दागा था। इसका निशाना श्रीनगर का सैन्य ठिकाना था लेकिन रॉकेट अपने लक्ष्य तक पहुंच ही नहीं सका। अब इसका सिर्फ खोल बचा है जो झील की गहराई में छिपा हुआ था।
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ऑपरेशन सिंदूर का सच और पाकिस्तान की नाकामी
बीते महीनों में पाकिस्तान लगातार भारतीय सीमाओं के खिलाफ साजिशें रच रहा है। ऑपरेशन सिंदूर इसी साजिश का हिस्सा था। पाकिस्तान की सेना ने श्रीनगर स्थित महत्वपूर्ण सैन्य ठिकाने को निशाना बनाने के लिए फतह-1 रॉकेट दागा था। लेकिन उसकी यह कोशिश पूरी तरह नाकाम हो गई। रॉकेट अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही तकनीकी खराबी का शिकार हो गया और झील में गिर गया। यह पाकिस्तान के बनाए रॉकेट सिस्टम की नाकामी का ताजा सबूत है।
स्थानीय लोगों में दहशत और पुलिस की कार्रवाई
जब डल झील की सफाई करने वाली टीम को यह लोहे का टुकड़ा मिला तो पहले तो उन्हें लगा कि यह किसी नाव या अन्य औज़ार का हिस्सा होगा। लेकिन ध्यान से देखने पर साफ हो गया कि यह किसी साधारण कबाड़ का हिस्सा नहीं है। तुरंत पुलिस को खबर दी गई। मौके पर पहुंचे सुरक्षा जवानों और बम निरोधक दस्ते ने इसे जांच के लिए कब्जे में लिया। विशेषज्ञों ने पुष्टि की कि यह फतह-1 रॉकेट का खोल है। झील में इस खोल के मिलने के बाद स्थानीय लोगों के बीच चिंता का माहौल भी देखा गया। हालांकि, पुलिस अधिकारियों ने लोगों को भरोसा दिलाया कि अब किसी तरह का खतरा नहीं है।
भारत के खिलाफ पाकिस्तान की साजिश बार-बार बेनकाब
पाकिस्तान लंबे समय से भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद और असफल सैन्य कार्रवाइयों को अंजाम देता आया है। डल झील से मिले इस रॉकेट के खोल ने एक बार फिर पाकिस्तान की मंशा और उसकी नाकामी को सामने रख दिया है। भारतीय खुफिया एजेंसियां और सेना लगातार पाकिस्तान की इन हरकतों का पर्दाफाश करती रही हैं। इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तान चाहे कितनी भी कोशिश कर ले, उसकी रणनीतियां भारतीय सुरक्षा तंत्र के सामने टिक नहीं पातीं।
रॉकेट मिलने से सुरक्षा एजेंसियों को मिली बड़ी जानकारी
झील में मिला यह फतह-1 रॉकेट न सिर्फ पाकिस्तान की असफलता का सबूत है बल्कि यह भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए अहम दस्तावेज भी बन गया है। अब विशेषज्ञ इसकी जांच कर यह समझने की कोशिश करेंगे कि रॉकेट क्यों फुस्स हुआ। इससे पाकिस्तान की तकनीकी कमजोरियों और उसकी साजिश के तरीकों को समझने का मौका मिलेगा। सुरक्षा एजेंसियां इस जानकारी का इस्तेमाल भविष्य में संभावित हमलों से बचने के लिए करेंगी।
सीमा पार से आए खतरों के बावजूद भारत का भरोसा कायम
पाकिस्तान की हर असफल कोशिश के बाद भारत की जनता और सेना का मनोबल और मजबूत होता है। डल झील से मिला यह रॉकेट इस बात का प्रतीक है कि दुश्मन चाहे कितनी भी साजिश कर ले, भारत के आत्मविश्वास और सुरक्षा कवच को भेद नहीं सकता। श्रीनगर की इस घटना ने आम नागरिकों को भी यह विश्वास दिलाया है कि भारतीय सुरक्षा बल हर परिस्थिति का सामना करने में सक्षम हैं।
पाकिस्तान की नाकामी का एक और पक्का सबूत
ऑपरेशन सिंदूर के समय दागा गया यह रॉकेट अब हर किसी के सामने पाकिस्तान की नाकामी का पक्का सबूत है। झील में पड़े इस खोल ने यह साबित कर दिया कि पाकिस्तान के हथियार कितने कमजोर और असफल हैं। भारत को नुकसान पहुंचाने की हर कोशिश उसी के लिए शर्मिंदगी का कारण बन रही है।
समापन
श्रीनगर की डल झील से मिला फतह-1 रॉकेट यह बताने के लिए काफी है कि पाकिस्तान की हर चाल और मंशा भारत की सुरक्षा के सामने नाकाम साबित हो रही है। ऑपरेशन सिंदूर में उसकी यह सबसे बड़ी हार है। भारत की सेना और खुफिया एजेंसियां न केवल इन साजिशों का समय पर पता लगाती हैं, बल्कि देशवासियों को सुरक्षित भी रखती हैं। यह घटना पूरे देश को यह संदेश देती है कि भारत हर परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह सक्षम है और पाकिस्तान कितनी भी कोशिश कर ले, सच हमेशा सामने आ ही जाता है।
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