Sugarcane Farmers Protest: कर्नाटक में पिछले एक हफ्ते से गन्ना किसानों का विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। Sugarcane Farmers Protest अब राज्य की सियासत के केंद्र में आ गया है। किसान संगठन गन्ने के उचित मूल्य (Fair Price of Sugarcane) की मांग कर रहे हैं। वहीं, भाजपा और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे पर जुबानी जंग छिड़ गई है। भाजपा नेता आर अशोक ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वे शासन नहीं संभाल सकते, तो पद से इस्तीफा दे दें। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री ने केंद्रीय नीति (Central Policy) को समस्या की जड़ बताया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को पत्र लिखकर तत्काल बैठक की मांग की है।
सीएम सिद्धारमैया ने केंद्र पर साधा निशाना, कहा “नीति ही संकट की जड़”
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने बयान में कहा कि केंद्र द्वारा तय किया गया Fair and Remunerative Price (FRP) फॉर्मूला गन्ना किसानों के हित में नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि चीनी के लिए Minimum Support Price (MSP) स्थिर रखने और इथेनॉल नीति में बदलाव न करने से किसानों की आर्थिक हालत बिगड़ी है। सिद्धारमैया ने कहा कि केंद्रीय नीति में सुधार के बिना किसानों की समस्याओं का समाधान संभव नहीं है।
उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि वे जल्द से जल्द इस विषय पर विचार करें और राज्य के किसानों के साथ न्याय सुनिश्चित करें। सीएम ने यह भी कहा कि उनकी सरकार किसानों के साथ है और वह हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है।
भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर बोला हमला, कहा “अब जिम्मेदारी से भागना बंद करो”
दूसरी ओर, विपक्षी दल भाजपा (BJP) ने कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोला है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर अशोक (R Ashoka) ने एक्स (X) पर लिखा, “सात दिन हो गए, हजारों किसान सड़क पर हैं, लेकिन मुख्यमंत्री सिर्फ केंद्र को दोष देने में व्यस्त हैं।” उन्होंने कहा कि जब सिद्धारमैया विपक्ष में थे, तो बड़े-बड़े भाषण देते थे, लेकिन अब जब सत्ता में हैं, तो किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। भाजपा की मांग है कि राज्य सरकार किसानों को FRP से 500 रुपये प्रति टन अधिक प्रोत्साहन राशि दे और ₹5,000 करोड़ का रिवॉल्विंग फंड बनाए ताकि मिल मालिकों को समय पर भुगतान हो सके।
#WATCH | Karnataka: Farmers attempted to block (Bengaluru-Pune national Highway) at Hattaragi toll plaza in Belagavi district over the issue of fixing sugarcane price. pic.twitter.com/YBqUG3xHvJ
— ANI (@ANI) November 7, 2025
आंदोलन बना जनआंदोलन, कई जिलों में फैला विरोध
कर्नाटक के बेलगावी, बागलकोट, विजयपुरा और हावेरी जिलों में किसान सड़कों पर उतर आए हैं। बेलगावी जिले के हट्टारागी टोल प्लाजा पर किसानों ने बंगलूरू-पुणे राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध करने की कोशिश की। यह आंदोलन अब राज्य के उत्तर हिस्से तक फैल गया है।
किसानों का कहना है कि जब तक उन्हें उचित मूल्य (गन्ने की एमएसपी) नहीं मिलेगा, वे पीछे नहीं हटेंगे। स्थिति को संभालने के लिए मुख्यमंत्री ने किसान नेताओं और चीनी मिल प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई है। राज्य सरकार दावा कर रही है कि जल्द समाधान निकाला जाएगा, लेकिन किसान संगठनों का कहना है कि अब केवल “कागजी आश्वासन” नहीं, ठोस फैसला चाहिए।
केंद्र बनाम राज्य की नीति टकराव में फंसा किसान
यह आंदोलन सिर्फ कर्नाटक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देशभर के गन्ना किसानों के लिए एक एहम मुद्दा बनता जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार अनुसार, देश में करीब 5 करोड़ से अधिक लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गन्ना उद्योग से जुड़े हैं। ऐसे में हर बार गन्ने की कीमत पर राज्य और केंद्र के बीच की यह रस्साकशी किसानों के लिए नुकसानदायक साबित होती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि गन्ना किसानों को स्थायी राहत देने के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय नीति जरूरी है, जिसमें हर राज्य के हिसाब से लागत, उत्पादन और बाजार मूल्य को संतुलित किया जाए।
कर्नाटक में जारी यह आंदोलन आने वाले महीनों में राजनीतिक माहौल को और गर्मा सकता है। भाजपा और कांग्रेस दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं, जबकि किसान न्याय की राह देख रहे हैं। अब नजर इस बात पर है कि क्या मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और केंद्र सरकार मिलकर किसानों की चिंताओं का हल निकाल पाते हैं या यह आंदोलन किसी बड़े राष्ट्रीय किसान आंदोलन का रूप ले लेगा।
यह भी पढ़ें:- Vote Chori: क्या वाकई हो रही है वोट चोरी? राहुल गांधी के बयान से मचा सियासी हड़कंप


