सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला अब सड़क पर खुलकर घूमेंगे कुत्ते
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने आदेश में बदलाव करते हुए कहा कि अब नसबंदी और टीकाकरण के बाद आवारा कुत्तों को आश्रय गृह में रखने के बजाय उसी क्षेत्र में छोड़ा जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आवारा कुत्तों पर बदली नीति, नसबंदी के बाद छोड़ा जाएगा वापस
कर्नाटक की राजधानी दिल्ली-एनसीआर और पूरे देश में आवारा कुत्तों के बढ़ते मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने आदेश में अहम बदलाव किया है। अदालत ने साफ कहा कि अब सभी आवारा कुत्तों को स्थायी रूप से आश्रय गृहों में नहीं रखा जाएगा, बल्कि नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें उसी क्षेत्र में छोड़ा जाएगा। यह आदेश केवल उन कुत्तों पर लागू नहीं होगा जो आक्रामक व्यवहार दिखाते हैं या रेबीज से संक्रमित पाए जाते हैं।
अदालत का आदेश
सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ — न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एनवी अंजारिया — ने अपने पुराने आदेश की समीक्षा करते हुए कहा कि अब पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी को भी सार्वजनिक रूप से आवारा कुत्तों को खाना खिलाने की अनुमति नहीं होगी। इसके बजाय, नगर निगम को समर्पित फीडिंग जोन बनाने होंगे।न्यायमूर्ति नाथ ने कहा “नगरपालिका अधिकारियों को ABC नियमों का पालन करना होगा। कुत्तों को नसबंदी, कृमिनाशन और टीकाकरण के बाद उसी इलाके में छोड़ा जाए। आक्रामक और रेबीज से ग्रस्त कुत्तों को छोड़ना मना होगा।”इसके साथ ही अदालत ने चेतावनी दी कि आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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पशु प्रेमियों और NGO के लिए शर्तें
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जो लोग या संगठन इस मामले में पक्षकार बनना चाहते हैं, उन्हें ₹25,000 से ₹2 लाख तक शुल्क देना होगा। वहीं, जो पशु प्रेमी कुत्तों को गोद लेना चाहते हैं, वे एमसीडी से आवेदन कर सकते हैं। लेकिन एक बार गोद लेने के बाद, कुत्तों को दोबारा सड़क पर छोड़ना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
विवाद और आलोचना
दरअसल, 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने आदेश दिया था कि 8 हफ्तों में दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को आश्रय गृहों में भेजा जाए। इसका उद्देश्य सड़कों को कुत्तों से मुक्त करना था। लेकिन इस आदेश की पशु अधिकार कार्यकर्ताओं, NGO और मशहूर हस्तियों ने कड़ी आलोचना की थी। उनका कहना था कि इस तरह का आदेश महंगा और अव्यवहारिक है क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर कुत्तों को रखने का बुनियादी ढांचा ही उपलब्ध नहीं है।2024 के आंकड़ों के अनुसार, 37 लाख कुत्तों के काटने के मामले और 54 रेबीज से मौतें दर्ज की गई थीं, जिसके चलते यह मामला काफी संवेदनशील हो गया था।
अब आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल ABC नियमों के तहत ही काम किया जाएगा। यानी, नसबंदी और टीकाकरण के बाद ही कुत्तों को उसी इलाके में छोड़ा जाएगा। यह नीति अब पूरे देश में लागू होगी और राष्ट्रीय स्तर पर अंतिम नीति तय करने के लिए सभी लंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित किया जाएगा।
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